अमेरिकी F-16 को रूसी S-400 से मात देने की तैयारी में है NATO देश तुर्की, लग सकते हैं कड़े प्रतिबंध

विनाशकाले विपरीत बुद्धि!

S-400

लगता है कि चारों तरफ से घिर चुके तुर्की के राष्ट्रपति एर्दोगन अब अपना आपा खो चुके हैं और वे लगातार ऐसे कदम उठा रहे हैं जिसके बाद कभी भी अमेरिका तुर्की पर प्रतिबंध लगा सकता है। हालिया रिपोर्ट्स के मुताबिक तुर्की ने अब अपने S-400 सिस्टम को एक्टिवेट कर ग्रीस के एफ़-16 विमानों को trace करना शुरू कर दिया है। NATO के सदस्य देश द्वारा रूस के सैन्य उपकरणों का अमेरिकी हथियारों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाना अमेरिका किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेगा और इसीलिए अब तुर्की पर अमेरिकी प्रतिबंधों का खतरा और ज़्यादा बढ़ गया है।

तुर्की के इस कदम पर Democrat सांसद Chris Van और Republican सांसद James Lankford ने माइक पोम्पियो को एक पत्र लिखकर कहा “तुर्की द्वारा अमेरिकी F-16 के खिलाफ S-400 के इस्तेमाल के बाद रूस को हमारे हथियारों से जुड़ा संवेदनशील डेटा मिल सकता है और यह हमारे लिए बेहद चिंता की बात है।” S-400 के मुद्दे पर अमेरिका और तुर्की पहले भी एक दूसरे के आमने सामने आ चुके हैं, और अमेरिका में CAATSA एक्ट के तहत तुर्की पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग उठाई जा चुकी है। हालांकि,अब जिस प्रकार तुर्की इन रूसी उपकरणों को अमेरिकी हथियारों के खिलाफ ही इस्तेमाल करने के संकेत दे रहा है, उसके बाद तुर्की पर इन प्रतिबंधों का खतरा और ज़्यादा बढ़ गया है।

अमेरिका को अब इस बात का डर है कि तुर्की S-400 को अमेरिका के F-35 विमानों के खिलाफ भी इस्तेमाल कर सकता है। अमेरिकी विशेषज्ञों के मुताबिक तुर्की अगर ऐसा करता है तो रूस आसानी से अमेरिका के इस अत्याधुनिक हथियार से संबन्धित बेहद महत्वपूर्ण डेटा को एकत्रित कर अमेरिकी रक्षा तकनीक को भेदने की प्रणाली विकसित कर सकता है, और अगर ऐसा होता है तो यह अमेरिकी रक्षा उद्योग को करारा झटका दे सकता है।

रक्षा उद्योग का अमेरिकी अर्थव्यवस्था में एक अति-महत्वपूर्ण स्थान है। वर्ष 2018 में इस उद्योग ने अमेरिकी GDP में 374 बिलियन का योगदान दिया था, जो कि अमेरिकी GDP का लगभग 2 प्रतिशत है। ऐसे में अगर रूस के हथियार सफलतापूर्वक अमेरिका का आधुनिक हथियारों के खिलाफ इस्तेमाल किए जाते हैं, तो यह अमेरिका के इस बड़े उद्योग को बड़ा नुकसान पहुंचा सकता है और अमेरिका यह कतई नहीं चाहेगा।

तुर्की और NATO की विचारधारा अब एक दूसरे से बिलकुल अलग हो चुकी है। तुर्की रूस से हथियार खरीद रहा है, हमास के आतंकवादियों के साथ नज़दीकियाँ बढ़ा रहा है, सीरिया और लीबिया में अपने लड़ाकों और आतंकियों को भेजकर जमीनी हालातों को और बिगाड़ने में लगा है। ऐसे में अब NATO के प्रमुख देश भी तुर्की की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने लगे हैं। खुद अमेरिका भी अब तुर्की पर अपनी निर्भरता को कम करने के प्रयासों में लगा है। अमेरिका तुर्की में मौजूद अपने military bases के विकल्प के रूप में ग्रीस के Crete द्वीप पर अपना military base विकसित करने में लगा है, ताकि तुर्की पर उसकी निर्भरता कम हो सके। इस संबंध में कुछ दिनों पहले ही अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ग्रीस यात्रा पर भी गए थे।

अमेरिका पहले से ही तुर्की के खिलाफ कड़े एक्शन लेने की बात कर चुका है और वह इससे जुड़े संकेत भी दे चुका है। ऐसे में तुर्की के हालिया उकसावे के बाद अमेरिका तुर्की के खिलाफ प्रतिबंधों का ऐलान करने के लिए बाध्य भी हो सकता है और अगर ऐसा होता है तो पहले से ही जूझ रही तुर्की की अर्थव्यवस्था के लिए यह असहनीय प्रहार होगा।

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