तुर्की ने कई मोर्चों पर युद्ध छेड़ दिया था, अब अमेरिका उसे उसके किए की सज़ा दे रहा है

अमेरिका के इस युद्ध में गोली एक नहीं चलेगी, लेकिन बर्बादी भरपूर होगी

तुर्की

दुनियाभर के अलग-अलग विवादों को भड़काकर अपने हितों को बढ़ावा देने की कोशिश करने वाला तुर्की अब अमेरिका के निशाने पर आ गया है और लगता है कि उसके लगातार उकसावों के बाद अब अमेरिका ने इस देश के खिलाफ आर्थिक युद्ध छेड़ दिया है। अमेरिका अब अंकारा को चौतरफा घेर कर ऐसी सज़ा देने की तैयारी कर चुका है, जिसके बाद तुर्की को दोबारा अपने पैरों पर खड़े होना का मौका ही नहीं मिल पाएगा।

उदाहरण के लिए हाल ही में अमेरिका के इशारे पर मोरक्को की सरकार ने Morocco-Turkey Free Trade Agreement में बड़ा बदलाव करते हुए तुर्की को एक बड़ा आर्थिक झटका दिया है। बदलाव करने के बाद अब मोरक्को ने तुर्की से आयात किए जाने वाले करीब 12 हज़ार उत्पादों पर आयात कर को 90 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है। यह ऐसे समय में हुआ है जब पिछले हफ्ते ही अमेरिका और मोरक्को के बीच 10 वर्षीय सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर हुए हैं।

हालांकि, बात सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। अमेरिका अब तुर्की को उसके किए पापों की भरपूर सज़ा दे रहा है और इस काम में वह अपने सभी साथियों की भरपूर मदद ले रहा है। पिछले दिनों ही सऊदी अरब ने भी तुर्की से अपने सभी आर्थिक रिश्ते तोड़ने का ऐलान किया था। गल्फ न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, “सऊदी अरब के चैंबर ऑफ कॉमर्स के अध्यक्ष ने हाल ही में ट्विटर पर किए गए पोस्ट में तुर्की की हर वस्तु के बहिष्कार की मांग की है, चाहे वह आयात हो, निवेश हो, या फिर पर्यटन ही क्यों न हो, और साथ ही में ये भी कहा कि ऐसा करना हर सऊदी नागरिक का कर्तव्य है।”

इतना ही नहीं, वह खुद भी अब कभी भी तुर्की पर प्रतिबंधों का ऐलान कर सकता है और इसके लिए अमेरिका में दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियों के सांसद मांग उठा चुके हैं। हाल ही में यह रिपोर्ट्स देखने को मिली थी कि तुर्की ग्रीस के F-16 विमानों को रूसी एस400 की सहायता से ट्रेस कर रहा है। इसके बाद Democrat सांसद Chris Van और Republican सांसद James Lankford ने माइक पोम्पियो को एक पत्र लिखकर कहा था “तुर्की द्वारा अमेरिकी F-16 के खिलाफ S-400 के इस्तेमाल के बाद रूस को हमारे हथियारों से जुड़ा संवेदनशील डेटा मिल सकता है और यह हमारे लिए बेहद चिंता की बात है।” S-400 के मुद्दे पर अमेरिका और तुर्की पहले भी एक दूसरे के आमने सामने आ चुके हैं, और अमेरिका में CAATSA एक्ट के तहत Turkey पर प्रतिबंध लगाए जाने की मांग उठाई जा चुकी है। हालांकि,अब जिस प्रकार Turkey इन रूसी उपकरणों को अमेरिकी हथियारों के खिलाफ ही इस्तेमाल करने के संकेत दे रहा है, उसके बाद तुर्की पर इन प्रतिबंधों का खतरा और ज़्यादा बढ़ गया है। अमेरिका पहले ही अपने एफ़-35 fighter प्रोग्राम से Turkey को बाहर का रास्ता दिखा चुका है।

इतना ही नहीं, अमेरिका भू-मध्य सागर विवाद में भी ग्रीस और साइप्रस जैसे देशों की भरपूर सहायता कर तुर्की के लिए मुश्किलें बढ़ा चुका है। अमेरिका ने पिछले महीने ही साइप्रस पर लगे सालों पुराने arms embargo को हटा दिया था, जिसके बाद अब यह देश अपनी आत्मरक्षा के लिए दूसरे देशों से हथियार खरीद पाएगा। अमेरिका के इस कदम के बाद तुर्की की ओर से बेहद गुस्सा प्रकट किया गया था।

हाल ही में तुर्की को अमेरिका के साथी कनाडा ने भी बड़ा झटका दिया था जब उसने Turkey को किए जाने वाले अपने सभी defense exports पर पाबंदी लगाने का फैसला लिया था। कनाडा ने Turkey पर उसकी तकनीक का इस्तेमाल करके मानवाधिकारों का उल्लंघन करने के आरोप लगाए थे। पिछले कुछ समय से अमेरिका और उसके साथी यह इशारे दे रहे हैं कि Turkey की हरकतों को देखते हुए उसको NATO से बाहर का रास्ता भी दिखाया जा सकता है। इसी कड़ी में अब अमेरिका तुर्की में मौजूद अपने military bases के विकल्प के रूप में ग्रीस के Crete द्वीप पर अपना military base विकसित करने में लगा है, ताकि तुर्की पर उसकी निर्भरता कम हो सके। इस संबंध में कुछ दिनों पहले ही अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ग्रीस यात्रा पर भी गए थे। Turkey के पाप का घड़ा अब भर चुका है और इसके साथ ही अमेरिका का धैर्य भी अब जवाब देने लगा है। अमेरिका अब तुर्की के खिलाफ ऐसा युद्ध छेड़ चुका है, जिसमें गोली तो एक भी नहीं चलेगी, लेकिन तुर्की की बर्बादी निश्चित ही होकर रहेगी।

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