भारत,जापान और US ने दिये संकेत- ऑस्ट्रेलिया को बचाने के लिए किसी भी हद तक जाएंगे

QUAD को कमजोर करने की चाहत में Australia पर आर्थिक दबाव बना रहा चीन

ऑस्ट्रेलिया

चीन की खिलाफत में क्वाड सबसे आक्रमक रुख अपनाए हुए है। चीन को भी पता है कि जब तक क्वाड उसकी खिलाफत करता रहेगा तब तक विश्व में उसकी भद्द यूं ही पिटती रहेगी। इस लिए अब चीन अपनी आक्रामक नीति से इतर कूटनीतिक चाल चलने की जुगत में है और क्वाड की सबसे कमजोर कड़ी को तोड़कर चीन इस पूरे संगठन को नेस्तनाबूत करने की नीति अपना सकता है। चीन के अनुसार ये कमजोर कड़ी कोई औऱ नही बल्कि ऑस्ट्रेलिया है जो कि हाल के दिनों में सबसे ज्यादा चीन पर हमलावर रहा है। ऑस्ट्रेलिया एक छोटी अर्थव्यवस्था है जो कि आयात निर्यात पर निर्भर है। इसीलिए अब चीन ऑस्ट्रेलिया के कारोबार को चोट पहुंचाने  की योजना बना रहा है।

हाल ही में चीन ने ऑस्ट्रेलिया से कोयले का आयात पर रोक दिया है। चीन के कस्टम ऑफिसर्स ने बिजली संयंत्रों और कंपनियों को ऑस्ट्रेलियाई कोयले के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। ऑस्ट्रेलिया की अर्थव्यवस्था को इस निर्यात की रोक के कारण प्रतिवर्ष करीब 15 बिलियन डॉलर्स का नुकसान हो सकता है और उसकी अर्थव्यवस्था पर एक बड़ा झटका लग सकता है। क्वाड में सक्रियता के चलते ही ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ चीन ने एक टेरिफ युद्ध भी छेड़ रखा है।

चीन के खिलाफ ऑस्ट्रेलियाई सरकार के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन द्वारा जिस तरह बयान दिए गए उसके बाद से ही दोनों देशों के बीच लगातार दूरियां बढ़ रही हैं। इसी के चलते ही चीन लगातार ऑस्ट्रेलिया पर आर्थिक वार कर रहा है। हालांकि, ऑस्ट्रेलिया को इन सभी कदमों का अंदाजा था फिर भी स्कॉट मॉरिसन ने चीन को लताड़ा। चीन ऑस्ट्रेलिया का सबसे बड़ा आर्थिक साझेदार है जिसका कारोबार करीब 194.6 बिलियन डॉलर्स का है। ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय काफी हद तक चीनी छात्रों पर निर्भर है जो दिखाता है कि उनकी अर्थव्यवस्था में चीन की भूमिका कितनी ज्यादा अहम है। इसके बावजूद चीन के खिलाफ बोलना ऑस्ट्रेलिया का उसके प्रति गुस्सा दिखाता है।

क्वाड के मजबूत और चीन विरोधी देशों की बात करें तो जापान, अमेरिका और भारत सभी जमकर चीन को लताड़ते हैं। इन सभी का विरोध अब किसी से छिपा नहीं है। अमेरिका ने चीन की आर्थिक मोर्चे पर कमर तोड़ रखी है। भारत पहले ही सीमा विवाद के चलते और अपने यहां जरूरत से ज्यादा दखल के कारण चीनी मोबाइल एप्लिकेशंस को बैन कर चुका है। जापान के साथ साउथ चाइना सी पर विवाद चीन के लिए एक बेहद ही मुश्किल चुनौती रहा है। ऐसे में उसके साथ तो किसी भी तरह की सुलह असंभव ही है।

इसीलिए चीन क्वाड को कमजोर करने के लिए इनमें से किसी देश से उम्मीद नहीं लगा रहा है। चीन ऑस्ट्रेलिया के साथ ही इस नीति का इस्तेमाल कर सकता है। ऑस्ट्रेलिया को क्वाड की सबसे कमजोर कड़ी कहा जाता है। इसी के चलते चीन की मीडिया लगातार ऑस्ट्रेलिया को अपने टुकड़ों पर पलने वाला बताकर उसके लिए भद्दी बातें करता रहता है। चीन ने ऑस्ट्रेलिया के जौ आयात पर सामान्य से कहीं ज्यादा कर लगाया और फिर इसे बैन भी कर दिया जिससमे ऑस्ट्रेलिया को काफी नुकसान हुआ। चीन की आक्रमकता को देखते हुए ही क्वाड ऑस्ट्रेलिया के साथ आकर खड़ा हो गया है। जौ के आयात शुल्क को बढ़ाकर जिस तरह से चीन ने ऑस्ट्रेलिया पर दबाव बनाया उसके बाद भारत का जौ आयात के लिए ऑस्ट्रेलिया को संदेश देना साफ जाहिर करता है कि इस कमजोर कड़ी के साथ क्वाड खड़ा है।

इसके अलावा वैश्विक स्तर पर आपूर्ति के क्षेत्र में चीन का दबदबा सबसे ज्यादा है जिसके चलते अब वैश्विक आपूर्ति के लिए भारत और जापन ने एक नीति बनाई है जिसमें ऑस्ट्रेलिया की भी एक महत्वपूर्ण भूमिका होगी। इससे न केवल चीन की इस क्षेत्र में कमजोरी सामने आएगी बल्कि क्वाड के साथ-साथ ऑस्ट्रेलिया भी मजबूत होगा। ऑस्ट्रेलिया खुद अपनी अर्थव्यवस्था को लेकर परेशान है। इसके चलते टोक्यो में क्वाड की बैटक के ठीक बाद ऑस्ट्रेलियाई विदेश मंत्रालय ने क्षेत्र में आपूर्ति की श्रृंखला को अधिक मजबूत बनाने के लिए इसके नियमों को लचीला करने की बात कही थी। ये बयान साफ दिखाता है कि चीन के कारण ऑस्ट्रेलिया को नुकसान तो हो रहा है लेकिन फिर भी वो क्वाड के साथ खड़ा है क्योंकि उसे क्वाड से मदद का पूरा भरोसा है।

इन सबसे इतर चीन ने ये दिखा दिया है कि कैसे वो अपने आर्थिक ढांचे का प्रयोग करके दुनिया के किसी भी देश को अपने सामने झुकने पर मजबूर कर सकता है और इसी नीति के तहत वो क्वाड को कमजोर करने के लिए उसकी कमजोर नब्ज यानी ऑस्ट्रेलिया को परेशान कर रहा है लेकिन अमेरिका, जापान और भारत चीन के इन मंसूबों को नाकाम करते हुए ऑस्ट्रेलिया के साथ खड़े हैं।

 

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