अब भारत और अमेरिका मिलकर मोबाइल निर्माण के क्षेत्र में चीन के वर्चस्व को देंगे चुनौती

यहाँ से भी चीन की विदाई तय समझें..

अमेरिका

दुनियाभर की अर्थव्यवस्थाओं में चीन पर निर्भरता और CCP द्वारा जासूसी और निजता के हनन की चिंताओं के बीच दुनिया को यह नहीं भूलना चाहिए कि आज भी चीनी मोबाइल निर्माता कंपनियाँ दुनिया के बड़े मार्केट शेयर पर कब्जा जमाये बैठी हैं। हालांकि, अब लगता है कि अमेरिका और भारत चीन के टेक सेक्टर को निशाना बनाने के बाद अब चीन के mobile phone सेक्टर को चोट पहुंचाने के लिए हाथ जोड़ चुके हैं।

Livemint की एक रिपोर्ट के मुताबिक अब Verizon, T-Mobile, AT&T जैसी बड़ी अमेरिकी टेलिकॉम कंपनियाँ 200 डॉलर से कम कीमत वाले फोन ब्राण्ड्स के उत्पादन के लिए चीनी कंपनियों को छोड़कर भारतीय कंपनियों को बड़े ऑर्डर दे सकती है। अभी तक ये अमेरिकी कंपनियाँ TCL और ZTE जैसी चीनी कंपनियों से ही अपने मोबाइल handsets का उत्पादन कराती थी। रिपोर्ट के मुताबिक चीन और अमेरिका के बीच बढ़ रहे तनाव के कारण ही अमेरिका के कंपनियों ने अब भारत की ओर रुख करने का फैसला लिया है। इसके बाद भारत की Micromax और Lava जैसी कंपनियों को बड़ा फायदा पहुँचने की उम्मीद है।

Micromax के सह-संस्थापक राहुल शर्मा के मुताबिक “भारत और वियतनाम अब मोबाइल उत्पादन के केंद्र के रूप में उभरकर सामने आ रहे हैं। अमेरिकी बाज़ारों की ज़रूरत के हिसाब से उन्हें सेवा प्रदान करने के लिए भारतीय कंपनियाँ पूरी तरह सक्षम हैं।” स्पष्ट है कि भारतीय कंपनियों के लिए समय तेजी से बदल रहा है, क्योंकि हालिया समय तक भी भारतीय कंपनियों को अमेरिकी कंपनियों के bidding process में शामिल होने तक की अनुमति नहीं मिलती थी। Lava के सह-संस्थापक S N Rai के मुताबिक अगर सब कुछ सही जाता है तो जल्द ही कंपनी को सालाना 2 हज़ार करोड़ के आर्थिक अवसर मिलने का रास्ता खुल जाएगा।

भारत सरकार “Make in India” स्कीम के तहत पहले ही भारत में mobile phone के उत्पादन को बढ़ावा देने लिए Incentive scheme को जारी कर चुकी है। Incentive scheme के तहत देश में उत्पाद करने वाली electronics कंपनियों को अगले 5 सालों तक उनकी बिक्री के आधार पर 4 से 6 फीसदी का incentive दिया जाएगा। यह स्कीम अगस्त से शुरू भी हो चुकी है और इस वर्ष सरकार ने 5300 करोड़ का incentive देने का ऐलान किया है। बता दें कि Micromax और Lava जैसी भारतीय कंपनियों को पहले ही सरकार द्वारा इस स्कीम के लाभार्थी के तौर पर शामिल कर लिया गया है। ऐसे में भारतीय उत्पादकों के पास विकास करने का सुनहरा अवसर है और अगर इस मौके को अच्छे से भुनाया गया तो भारत की ये कंपनियाँ दुनियाभर में चीनी मोबाइल कंपनियों के वर्चस्व को चुनौती देने में सक्षम हो सकेंगी!

अभी वैश्विक मोबाइल बाज़ार के बड़े हिस्से पर चीनी कंपनियों का कब्जा है और साल दर साल इसमें इजाफ़ा देखने को मिल रहा है। दुनिया के टॉप 5 मोबाइल ब्राण्ड्स में तीन चीन के ही हैं। मार्केट शेयर के हिसाब से आज सैमसंग दुनिया की सबसे बड़ी कंपनी है, जिसने वर्ष 2018 की दूसरी तिमाही से लेकर वर्ष 2019 की दूसरी तिमाही तक के अंतराल में करीब 7 करोड़ 66 लाख handsets बेच डाले थे। दूसरे नंबर पर चीन की हुवावे है, इसके बाद Iphone का तीसरा नंबर आता है। इसके बाद Xiaomi और Oppo आते हैं जो चीन से ही हैं। भारत के बाज़ार की बात करें तो इन चीनी कपनियों ने भारत के करीब 70 प्रतिशत से ज़्यादा मार्केट शेयर पर कब्ज़ा किया हुआ है।

अमेरिका और भारत की कंपनियों के इस गठजोड़ से चीनी कंपनियों के प्रभुत्व को चुनौती मिलना तय है। चीनी कंपनियों को लेकर पहले ही निजता के हनन और डेटा चोरी के मामले सामने आते रहते हैं, ऐसे में अगर दुनिया के सामने चीनी कंपनियों के मुक़ाबले भारतीय mobile phone ब्राण्ड्स बेहतर विकल्प बनकर उभरते हैं, तो उनका चीनी कंपनियों को मात देना तय है!

Exit mobile version