लद्दाख की कड़ाके की ठंड में बीतते समय के साथ चीनी PLA की हालत पतली होती जा रही है

लद्दाख

चीनी पीएलए के एक सैनिक वांग हा लॉन्ग को भारतीय लद्दाख क्षेत्र में सेना द्वारा पकड़ा गया था जिसके बाद सेना की तरफ से कहा गया कि चीनी सैनिक को वापिस भेज दिया जाएगा। भारतीय सेना ने बताया कि इस सैनिक की जासूसी के मामले में भी जांच की गई है जो कि बेहद अहम माना जा रहा है। इस मामले को लेकर सेना की तरफ से कहा गया है कि उस सैनिक को सभी तरह के चिकित्सा, भोजन व ठंड को देखते हुए कपड़ों की सुविधाएं दी गईं हैं। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक चीनी सैनिक की शारीरिक स्थिति अच्छी नहीं थी जिसके कारण उसे ठंड में काफी दिक्कतें हो रहीं थीं।

लद्दाख की ठंड में पकड़े गए चीनी सैनिक की हालत साफ संकेत देती है कि किस तरह से चीनी सैनिकों को ठंड में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। भारतीय सेना ने अपने कैंप में जिस तरह से पकड़े गये चीनी सैनिक सुविधाएं दी हैं वो मानवीय रूप से बेहद सराहनीय है। उस सैनिक की हालत बताती हैं कि असल में चीनी सैनिकों की उनके कैंपो में भी कुछ ऐसी ही हालत होगी। चीनी सैनिकों को लद्दाख की ठंड में लगातार परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है जिसके लिए उनका शरीर प्रशिक्षित भी नहीं है। इस ठंड के कारण ये चीनी सैनिक वहां धीरे-धीरे मौत के मुंह में जा रहे हैं।

चीन के पूर्व से चलने वाली हवाएं उनके सैनिकों के लिए मुसीबत बन गई हैं। उन्हें ठंड में दिक्कत हो रही है। इन चीनी सैनिकों को इस तरह के इलाकों में ऑपरेशंस का कोई अनुभव नहीं है। कोई भी व्यक्ति जिसे अचानक औसतन 25 डिग्री Celsius के तापमान के इलाके से लद्दाख के -40 डिग्री Celsius वाले तापमान में भेज दिया जाए तो उसे दिक्कतें होगी ही, उसी तरह की दिक्कतें चीनी सैनिकों को भी हो रही है। एक तरफ जहां भारतीय सेना लद्दाख में किसी भी खतरे समेत युद्ध लड़ने को लेकर जोश में है तो दूसरी ओर चीन के सैनिकों का खून लद्दाख की सर्द हवाओं ने ही जमा दिया है और इसके चलते उनकी हालत पल-पल बिगड़ रही है।

इस मामले में एक रिपोर्ट बताती है कि चीनी सैनिकों के लगातार इस क्षेत्र की बर्फ में बिगड़ते हालत के चलते उन्हें मुख्य युद्ध क्षेत्र से दूर पूर्वी चीन में ले जाया जा रहा है जहां उनका सही तरीके से इलाज किया जा सके। हाल ही में देखा गया था कि किस तरह से पैंगॉन्ग त्सो के पास सैनिकों को इलाज के लिए ले जाया गया था। इसके अलावा चीनी सैनिकों को वहां किसी भी तरह की खास सुविधाएं नहीं दी गई हैं जिसके चलते उन्हें मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है।

ये सारे वाक़ये बताते हैं कि किस तरह से इन सैनिकों को अमानवीय तरीके से रहना पड़ रहा है। एक अन्य रिपोर्ट ये भी बताती है कि अब चीन ने ग्वाझुओं नामक एक प्लास्टिक कंपनी से प्लास्टिक के तंबुओं को लगाने का करार किया है जिससे सैनिकों को 15 हजार फुट की ऊंचाई पर ठंड से बचाया जा सके। वहीं इस मामले में लद्दाख में इंडो-तिब्बत  सीमा क्षेत्र पर तैनात चीनी सैनिकों का एक वीडियो वायरल हुआ है जिसमें वो लोग चीनी पीएलए का गाना ग्रीन फ्लावर्स इन आर्मी को गाने के दौरान कांपते हुए रो रहे हैं और उनकी आंखो से आंसू छलक रहे थे। इस वीडियो को लेकर लगातार चीनी सैनिकों का मजाक उड़ाया जा रहा है।

चीनी सैनिकों के लिए केवल लद्दाख की जमा देने वाली ठंड ही मुसीबत का सबब नहीं है। इसके अलावा भारतीय सेना का जोश तो उनके लिए मुसीबत बना ही हुआ है। इन सब कारणों के चलते उन्हें आए दिन चिकित्सीय सहायता लेनी पड़ रही है। वो बेचारे न चाहते हुए भी इस क्षेत्र में तैनाती के लिए मजबूर हैं। ये किसी से छिपा नहीं है कि चीनी सैनिकों को किसी भी तरह के युद्ध का कोई प्रशिक्षण नहीं हैं। उनके पास युद्ध क्षेत्र के अनुभव की इतनी ज्यादा कमी है कि भारतीय सेना से लड़ने के पहले ही लद्दाख की ठंड में ही वो सिकुड़ गए हैं। अपने सैनिकों की स्थिति और भारतीय जवानों के जोश को देखते हुए चीन समझ चुका है कि उसकी भलाई केवल सुलह में ही है और इसीलिए वो अब आए दिन इसके नाम पर चर्चाएं करता है। दूसरी ओर भारतीय सेना की स्थिति को देखते हुए ये कहा जा सकता है कि वो केवल लद्दाख के क्षेत्र में मोर्चा खोलकर चीनी सैनिकों को ठंड से ही मार देने की रणनीति बना चुकी है।

Exit mobile version