Democrat उम्मीदवार जो बाइडन की जीत अभी तय नहीं हुई है, लेकिन अपनी छवि को मजबूत दिखाने के लिए वे अभी से अमेरिका के पुराने साथियों से नजदीकी बढ़ाना शुरू कर चुके हैं। बाइडन ने हाल ही में जिस प्रकार जर्मनी, UK, फ्रांस, कनाडा ,जापान, कोरिया और ऑस्ट्रेलिया के राष्ट्राध्यक्षों से फोन पर बातचीत का सिलसिला शुरू किया है, उससे स्पष्ट है कि वे घरेलू राजनीति के साथ-साथ वैश्विक राजनीति में एक मजबूत नेता के तौर पर अपनी छवि स्थापित करने की कोशिश में लगे हैं। इससे ना सिर्फ अमेरिका के साथियों में बाइडन को लेकर विश्वास बढ़ेगा, बल्कि अमेरिका में चल रहे चुनावी विवाद में भी उन्हें चीनी विरोधियों के गुस्से का शिकार नहीं होना पड़ेगा।
उदाहरण के लिए बाइडन ने हाल ही में जापानी प्रधानमंत्री सुगा से बात की और विश्वास दिलाया कि अमेरिका-जापान का सुरक्षा समझौता सेनकाकु द्वीपों पर भी लागू होगा। इसके साथ ही दोनों नेताओं ने “Free and Open Indo Pacific” के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को भी जाहिर किया। अमेरिका जापान अति महत्वपूर्ण Quad समूह के सदस्य हैं और इन दोनों का सहयोग चीन के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए बेहद महत्वपूर्ण है।
इसी प्रकार बाइडन ने दक्षिण कोरिया के नेता मून-जे-इन से भी बात की है। दोनों देशों ने द्विपक्षीय रिश्तों को आगे बढ़ाने और कोरियन प्रायद्वीप के denuclearization के मुद्दे को आगे बढ़ाने को लेकर चर्चा की। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री Scott Morrison ने भी बाइडन से बात की है और उनके साथ पर्यावरण और Indo Pacific जैसे मुद्दों पर चर्चा की। बाइडन का राष्ट्रपति बनना अभी तय नहीं हुआ है और अमेरिका की कूटनीति को आगे बढ़ाने के लिए विदेश मंत्री Mike Pompeo पहले ही 7 देशों के टूर का ऐलान कर चुके हैं। दूसरी ओर अभी तक चीन और रूस जैसे देशों ने बाइडन की जीत को अधिस्वीकृती प्रदान भी नहीं की है!
इससे पहले जापान और कोरिया जैसे देशों ने बाइडन को इशारों ही इशारों में यह स्पष्ट कर दिया था कि वे तभी अमेरिकी सरकार के साथ सहयोग कर पाएंगे जब बाइडन भी ट्रम्प की नीति को अपनाएँगे! ट्रम्प ने कोरिया प्रायद्वीप में शांति स्थापित करने के लिए उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग उन के साथ एक बैठक की थी, जिसे दक्षिण में बेहद सराहा गया था। दक्षिण कोरिया चाहता है कि बाइडन भी इसी नीति को अपनाएं।
इसी तरह जापान ने भी बाइडन के व्हाइट हाउस में एंट्री से पहले ही यह संकेत दिया है कि अमेरिका को किसी भी हालत में चीन से निपटने के लिए जापान की आवश्यकता पड़ेगी और जिस तरह से चीन आक्रामकता कम नहीं कर रहा, वैसी स्थिति में बाइडन को ट्रंप जैसी कड़ी नीति को अपनाना होगा। जापान के प्रधानमंत्री के सलाहकार ने एक इंटरव्यू में कहा “चीन और अमेरिका के बीच तनाव एक नए राष्ट्रपति के आ जाने से समाप्त नहीं होगा, क्योंकि डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों इस बात पर सहमत हैं कि चीन अमेरिका के लिए मुख्य रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी है। ऐसे में चीन से निपटने के लिए जापान की अहम भूमिका होगी।”
चुनावों में धांधली के आरोपों के बीच पहले ही बाइडन के लिए कानूनी मुश्किलें खड़ी होती दिखाई दे रही हैं। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बाइडन अपनी तस्वीर चमकाने के लिए अमेरिका के पुराने साथियों से संपर्क साध रहे हैं। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बाइडन अपनी इस कोशिश में कितना सफल हो पाते हैं!