कोरोना के बाद से ऑस्ट्रेलिया और चीन के बीच शुरू हुआ तनाव अब एक बार फिर बढ़ गया है। दोनों देश एक बार फिर से डिप्लोमेटिक फ़ेस ऑफ का सामना कर रहे हैं जिसमें चीन ने ऑस्ट्रेलिया के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की कोशिश की है। वहीं दूसरी ओर, स्कॉट मॉरिसन के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलिया ने भी पलटवार किया है और वे इस बार चीन के सामने और अधिक मजबूत दिखाई दे रहा है।
दरअसल एक चौंकाने वाली खबर में, चीनी विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को चीन की ऑस्ट्रेलिया नीति के बारे में शिकायतों की लिस्ट जारी की है। इसके एक दिन बाद ही ऑस्ट्रेलिया में चीनी दूतावास ने 14 शिकायतों की एक विस्तृत सूची साझा की, जो बीजिंग ने इस देश के खिलाफ तैयार कर रखी थी, जिसमें ऑस्ट्रेलिया के आंतरिक मामलों की सीधे तौर पर आलोचना की गयी थी। इस बीच, ऑस्ट्रेलिया के पीएम स्कॉट मॉरिसन ने संकेत दिया है कि बीजिंग द्वारा की गई इस हरकत के बावजूद वे अपने कदमों से पीछे नहीं हटेंगे।
Here are the 14 disputes with Australia. https://t.co/tJC6F9LgNs pic.twitter.com/wPDNfhPswN
— Eryk Bagshaw (@ErykBagshaw) November 18, 2020
बता दें कि इस साल की शुरुआत में पहली बार चीन और ऑस्ट्रेलिया के बीच राजनयिक तनाव बढ़ गया था, जब कैनबरा ने COVID-19 की उत्पति की एक अंतरराष्ट्रीय जांच की जोरदार मांग की थी। सिर्फ इतना ही नहीं बल्कि कैनबरा ने मानव अधिकारों के उल्लंघन पर ड्रैगन की आलोचना के साथ, ताइवान की WHO में सदस्यता के लिए भी प्रखर रूप से आवाज उठाई थी।
उस समय, चीन ने अपने स्थायी अनौपचारिक चैनल यानि अपनी मीडिया टैब्लॉइड ग्लोबल टाइम्स के माध्यम से जवाब दिया था। ग्लोबल टाइम्स के संपादक Hu Xijin ने तब कहा था, “ऑस्ट्रेलिया लगातार परेशानी बढ़ा रहा है। यह जूते में चिपके उस च्यूइंग गम जैसा है जिसे हटाने के लिए आपको एक पत्थर ढूंढना पड़ता है।”
हालांकि ताज़ा राजनयिक गतिरोध अधिक प्रत्यक्ष है। मंगलवार को, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता Zhao Lijian ने कैनबरा के साथ सात मुद्दो पर असहमति व्यक्त की, जिसमें ऑस्ट्रेलिया द्वारा “हांगकांग, शिनजियांग और ताइवान जैसे प्रमुख हितों” पर चीन की नीतियों की आलोचना भी शामिल है। इन मुद्दों में चीन के लगातार हस्तक्षेप, ऑस्ट्रेलिया द्वारा जी5 पर लगाया गया प्रतिबंध, ऑस्ट्रेलिया में चीनी निवेश पर प्रतिबंध और वुहान वायरस में स्वतंत्र अंतरराष्ट्रीय जांच की वकालत भी शामिल है।
चीनी दूतावास ने इस पर आपत्तिजनक बयान दिया। चीनी दूतावास स्पष्ट रूप से मॉरिसन सरकार से नाखुश है और उसने सरकार पर विक्टोरिया के बेल्ट एंड रोड सौदे को रोकने के लिए प्रयास करने का आरोप लगाया है।
ऐसे में यहाँ सवाल उठता है कि यदि मॉरिसन शासन किसी ऐसे निवेश से छुटकारा पाने की कोशिश कर रहा है जो ऑस्ट्रेलिया के हित में नहीं है तो चीन क्यों नाराज हो रहा है? सच तो यह है कि ऑस्ट्रेलियाई मीडिया चीन के खिलाफ लगातार रिपोर्ट प्रकाशित कर रही हैं और इसलिए चीनी दूतावास नाखुश है और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ शिकायतों की सूची जारी कर उसे डराने की कोशिश कर रहा है।
चीनी कम्युनिस्ट पार्टी चाहती है कि ऑस्ट्रेलिया भी चीन की तरह अपने मीडिया पर नियंत्रण रखे और चीन के खिलाफ किसी भी प्रकार के रिपोर्टों को प्रकाशित ही न होने दे। चीन के एक सरकारी अधिकारी ने तो प्रेस ब्रीफिंग के दौरान धमकी जारी करते हुए कहा,”अब चीन गुस्से में है। यदि आप चीन को दुश्मन बनाते हैं, तो चीन दुश्मन बन जाएगा।”
हालांकि चीन और ऑस्ट्रेलिया के बीच इस राजनयिक गतिरोध के बीच, कैनबरा चीनी धमकियों और शिकायतों के बावजूद अप्रभावित दिखता है। गुरुवार को, मॉरिसन ने चीनी दूतावास की अपमानजनक शिकायतों पर प्रतिक्रिया व्यक्त की और कहा कि,“ऑस्ट्रेलिया की स्वतंत्र मीडिया और निर्वाचित सांसदों को अपने मन की बात कहने और मानवाधिकारों के मुद्दों को उठाने में संकोच न हो, साथ ही देश की किसी भी नीतियों में बदलाव नहीं होगा।”
ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री ने यह भी कहा, “यदि इस कारण रिश्ते में तनाव हैं, तो ऐसा लगता है कि यह तनाव ऑस्ट्रेलिया के ऑस्ट्रेलिया होने के कारण हो रहा है।”
मॉरिसन ने नाइन टेलीविज़न से कहा, “हम इस तथ्य पर समझौता नहीं करने वाले हैं कि ऑस्ट्रेलिया की विदेशी निवेश कानून हमारे अलावा कोई और निर्धारित करेगा या हमारे 5 जी दूरसंचार नेटवर्क का निर्माण कैसे होगा हैं, या फिर हमारे देश में किसी और के हस्तक्षेप से बचाने के लिए हम अपने सिस्टम को कैसे चलाते हैं।”
ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री से सीधे तौर पर एक स्पष्ट संदेश आना यह साबित करता है कि कैनबरा बीजिंग की धमकियों से डर कर उसके अनुसार काम नहीं करने वाला है। ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने चीन की गुंडागर्दी सामने झुकने से इनकार कर दिया है और ऐसा लगता है कि कैनबरा स्पष्ट रूप से चीन-ऑस्ट्रेलियाई राजनयिक गतिरोध के इस दूसरे सीजन को जीत रहा है।