जानिए, कैसे स्कॉट मॉरिसन की नीतियों ने ऑस्ट्रेलिया में चीनी मंसूबों को कुचल दिया है

चीन अब यहाँ से भागना चाहता है पर अब ऑस्ट्रेलिया कोई माफी देने के मूड में नहीं है

मॉरिसन

चीन ने ऑस्ट्रेलिया के औपनिवेशीकरण के पूरी व्यवस्था कर ली थी, पर पिछले एक वर्ष में दोनों देशों के बीच के संबंध काफी बुरी तरह बिगड़ गए हैं। अब चीन पहले की भांति ऑस्ट्रेलिया में अपनी मनमानी नहीं कर सकता, क्योंकि प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन की नीतियों ने अब चीन की हालत बहुत पतली कर दी है।

चीन ने ऑस्ट्रेलिया के हर क्षेत्र में सेंध लगा दी है। रियल एस्टेट, कृषि, शिक्षा, जल, इन्फ्रस्ट्रक्चर या फिर ऊर्जा का क्षेत्र ही क्यों न हो, आप बस बोलते जाइए और चीन ने उन सभी क्षेत्रों में निवेश किया है। चीन की जड़ें ऑस्ट्रेलिया में 200 साल से भी पुरानी है, लेकिन CCP के शासन में ऑस्ट्रेलिया पर कब्जा जमाने की नीति को जोर शोर से अंजाम दिया जा रहा था।

चीन के पास मेरेडिन एयरपोर्ट और डार्विन बंदरगाह का स्वामित्व भी है, और वह ऑस्ट्रेलिया में बतौर एक दूसरा देश ऑस्ट्रेलिया के भूमिवर्ग के 2.3 प्रतिशत क्षेत्र पर अपना वर्चस्व जमा चुका है। जब बात आती है कॉर्पोरेट सेक्टर, तो चीन ने यहाँ भी ऑस्ट्रेलिया में करीब 150 बिलियन डॉलर का निवेश किया है।

लेकिन चीन की भूख यहीं पर नहीं मिटती। उसने पानी पर भी अपना अधिकार जताया और ऑस्ट्रेलिया के सम्पूर्ण जलक्षेत्र के 1.89 प्रतिशत हिस्से पर उसका कब्जा है। इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र में भी चीन ने कई संस्थानों के जरिए भारी निवेश किया है।

इसके अलावा जैसे TFI पोस्ट ने पहले रिपोर्ट किया था, चीन ने पहले ही केस्विक द्वीप पर कब्जा जमा रखा है, और यहाँ ऑस्ट्रेलिया के निवासी ही नहीं आ सकते।

लेकिन स्कॉट मॉरिसन भी हाथ पर हाथ धरे नहीं बैठे हैं। उन्होंने अपनी आक्रामक नीतियों के जरिए चीन का जीना दूभर कर दिया है। वुहान वायरस की महामारी के फैलने के बाद तो ऑस्ट्रेलिया ने और अधिक आक्रामक रूप अपनाते हुए आर्थिक मोर्चे पर चीन के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया है। इसी वर्ष स्कॉट मॉरिसन की सरकार ने निर्णय किया था कि वे विदेशी संबंध विधेयक लेके आएंगे, जिसके अंतर्गत सरकार के पास किसी भी ऑस्ट्रेलियाई कंपनी द्वारा किसी भी विदेशी कंपनी से किए गए करार का पुनः समीक्षा करने की स्वतंत्रता भी होगी और राष्ट्रहित के प्रतिकूल पाए जाने पर ऑस्ट्रेलिया की सरकार द्वारा उसे रद्द करने की भी पूरी छूट होगी।

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स्कॉट मॉरिसन के नेतृत्व में ऑस्ट्रेलिया के संबंध कई देशों से मजबूत हुए हैं, जिसके चलते अब ऑस्ट्रेलिया बेहद शक्तिशाली विदेशी समूह QUAD का भी हिस्सा है, जिसमें उसके अलावा भारत, जापान और अमेरिका भी शामिल है। अपने शक्ति प्रदर्शन को प्रदर्शित करते हुए चारों देशों ने मालाबार नौसेना युद्ध अभ्यास में भी हिस्सा लिया। इसके अलावा मॉरिसन सरकार ने अपने देश में उमड़ रहे चीनी समर्थकों की फ़ौज को भी नियंत्रित रखने के लिए उचित व्यवस्था की है।

निस्संदेह स्कॉट मॉरिसन ने पासा पलट दिया है और अब चीन के लिए ऑस्ट्रेलिया में मनमानी करने की कोई संभावना नहीं छोड़ी है। इसमें सबसे बढ़िया बात तो यह है कि ये तो बस शुरुआत है, क्योंकि चीन ने अप्रत्यक्ष तौर पर ऑस्ट्रेलिया के स्वाभिमान को जितना नुकसान पहुंचाया, उसका अब मॉरिसन सरकार चुन चुन कर बदला लेना चाहेगी।

 

 

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