अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का वास्तविक परिणाम चाहे जो हो, लेकिन राष्ट्रपति की कुर्सी से कुछ कदम दूर जो बाइडन अपने मंत्रिमंडल को व्यवस्थित करने में प्रयासरत हैं। इसी कड़ी में उन्होंने कई नियुक्तियाँ की है, जिनमें जेक सुलिवन को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बनाया गया है। लेकिन जिस प्रकार से जेक सुलिवन को नियुक्त किया गया है, वह न केवल अमेरिका, बल्कि भारत जैसे देशों के लिए भी बहुत अहम है।
यदि जो बाइडन राष्ट्रपति बनने में सफल रहते हैं, तो न केवल जेक सुलिवन देश के सबसे युवा राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों में से एक होंगे, बल्कि उनका कद भी पहले की तुलना में काफी बढ़ जाएगा। ओबामा प्रशासन के दौरान वे बाइडन के सुरक्षा सलाहकार भी थे और विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन के मंत्रालय के चीफ ऑफ स्टाफ भी थे।
परंतु जेक की नियुक्ति से भारत को क्या लाभ मिलेगा? इसका उत्तर बहुत सरल है – जेक एक प्रखर भारत समर्थक राजनेता हैं, और उन्होंने डेमोक्रेट होकर भी भारत के राष्ट्रवादी नेताओं, विशेषकर नरेंद्र मोदी का समर्थन किया है। जैसे एंटनी ब्लिनकेन भारत के हितैषी माने जाते हैं, वैसे ही जेक सुलिवन भी प्रखर भारत समर्थक हैं। उन्होंने पिछले ही वर्ष एक अहम बयान में कहा था की अमेरिका द्वारा बतौर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिका का वीज़ा न देना अपने आप में अतार्किक और एक गलत निर्णय था, जिससे वे निजी तौर पर बिल्कुल भी सहमत नहीं थे।
बता दें की 2005 में एक व्यापारी संगठन को संबोधित करने हेतु नरेंद्र मोदी ने एक कूटनीतिक वीज़ा के लिए आवेदन किया था। परंतु वामपंथियों के भ्रामक प्रचार और गुजरात दंगे भड़काने के झूठे आरोपों के कारण उन्हे 2013 तक अमेरिका में घुसने भी नहीं दिया गया। हालांकि जब सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित SIT की जांच में नरेंद्र मोदी निर्दोष सिद्ध हुए और जब 2014 में वे प्रचंड बहुमत से भारत के प्रधानमंत्री बने, तो उन पर अमेरिका द्वारा लगाया गया प्रतिबंध भी हटा लिया गया।
इसके पीछे एक अहम कारण भी है, और वो है भारत का बढ़ता अंतर्राष्ट्रीय कद। चुनाव प्रचार में चाहे जो विष उगला गया हो, लेकिन जो बाइडन ये भली भांति जानते हैं कि भारत के हितों के साथ समझौता करके अमेरिका का भला नहीं होने वाला। इसीलिए अपने मंत्रिमंडल में वे उन्हीं लोगों को रख रहे हैं, जो भारत से घृणा नहीं करते। उदाहरण के लिए अभी हाल ही में एंटनी ब्लिनकेन को विदेश मंत्री के तौर पर नियुक्त किया गया, जो न केवल भारत के बढ़ते कद का सम्मान करते हैं, बल्कि उनके लिए चीन से लड़ने हेतु भारत एक मजबूत और असरदार विकल्प भी सिद्ध होता है।
ऐसे में पीएम मोदी को अमेरिका में घुसने से रोकने के जिस निर्णय की एंटनी ने आलोचना की है, उसी प्रकार से एक भारत समर्थक एनएसए को नियुक्त करके बाइडन ने विश्व के सबसे बड़े और सबसे असरदार लोकतंत्र के प्रति अपनी प्रतिबद्धता को एक बार फिर जगजाहिर किया है।