11 राज्यों के उपचुनावों का एक ही संदेश है, ‘मोदी है तो मुमकिन है’

'ब्रांड मोदी' का कोई तोड़ है ही नहीं

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(pc-indian express)

इस बार के चुनावी समर से एक बात तो सिद्ध हुई है – पीएम मोदी की प्रतिभा का कोई सानी नहीं है। जिस प्रकार से उन्होंने एनडीए को हारी हुई बाजी पर 120 से अधिक सीटों पर बढ़त बनाने में सफलता दिलाई है, वह इसी उत्कृष्ट प्रतिभा का परिचायक है। इसी के साथ अभी हाल ही में विभिन्न राज्यों में हुए उपचुनाव में भाजपा के प्रचंड बहुमत ने एक बार फिर ये बात स्पष्ट की है – देश अब भी पीएम मोदी के साथ ही है।

हाल ही में बिहार के विधानसभा चुनाव सहित 11 राज्यों के 59 सीटों पर उपचुनाव लड़े गए, जिनमें छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, झारखंड, ओड़ीशा, नागालैंड, मणिपुर, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश इत्यादि शामिल थे। इनमें कुल मिलाकर भाजपा ने सभी को चौंकाते हुए न केवल 40 सीटों पर कब्जा जमाया, बल्कि गुजरात, मध्य प्रदेश, मणिपुर और उत्तर प्रदेश में तो लगभग सूपड़ा ही साफ कर दिया। हालांकि, इस बीच छत्तीसगढ़, हरियाणा और झारखंड में भाजपा को करारे झटके का सामना भी करना पड़ा

गुजरात में भाजपा ने 8 की 8 सीट पर कब्जा जमाते हुए अपने सीटों की संख्या को 110 तक पहुंचा दिया। इसी तरह मध्य प्रदेश पर बिहार के बाद सबकी नज़र गड़ी हुई थी, जहां काँग्रेस के सिंधिया गुट के विद्रोह के कारण 28 सीट रिक्त हुई थी। इन 28 सीटों में से भाजपा को बहुमत के लिए केवल 9 सीटों की आवश्यकता थी, लेकिन भाजपा ने सभी को चौंकाते हुए लगभग 20 सीटों पर कब्जा जमा लिया। उत्तर प्रदेश में भी 7 सीटों पर चुनाव लड़े गए, और उनमें से 6 सीटों पर कब्जा जमाते हुए भाजपा ने सिद्ध कर दिया कि प्रदेश में इस समय किसका सिक्का चल रहा है।

लेकिन यदि सभी राज्यों का विश्लेषण किया जाए, तो भाजपा को जहां सबसे अधिक फायदा हुआ है, वो है पूर्वोत्तर का क्षेत्र और दक्षिण भारत का क्षेत्र। इधर भाजपा की विजय भले ही ज्यादा बड़ी न दिखे, लेकिन जिस प्रकार से भाजपा ने यहाँ अपनी लड़ाई लड़ी है, उस हिसाब से यह विजय किसी वरदान से कम नहीं।

सर्वप्रथम बात करते हैं पूर्वोत्तर की, जहां भाजपा ने मणिपुर और नागालैंड में हुए चुनाव में अपनी धाक जमाई है। मणिपुर में पाँच सीटों पर चुनाव लड़ गया, जहां भारतीय जनता पार्टी ने 4 सीटों पर कब्जा जमाया है, और आधिकारिक तौर पर अब वह पूरे राज्य की सबसे बड़ी पार्टी है, क्योंकि उसके पास अब 25 से ज्यादा सीटें, जो बहुमत से केवल 6 सीट कम है।

इसके अलावा जिस राज्य की विजय भाजपा के लिए बेहद अनोखी है, वो है तेलंगाना। किसने सोचा था कि जिस राज्य में 2018 तक भाजपा मुश्किल से एक सीट जीत पाई हो, वो अगले ही वर्ष 4 लोकसभा सीटें जीतकर राज्य में प्रमुख विपक्ष का दर्जा प्राप्त करेगी? परंतु भाजपा तेलंगाना में न केवल तेजी से बढ़ रही है, अपितु एक के बाद कई क्षेत्रों में विजयी भी हो रही है, और इस उपचुनाव के एकमात्र सीट पर भाजपा की जीत अपने आप में इस बात का स्पष्ट प्रमाण है। सच कहें तो इन उपचुनावों ने इस बात को फिर सिद्ध किया है – पीएम मोदी का कोई सानी नहीं।

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