कैसे कंबोडिया में चीन फ्रांस से कंबोडियन हवाई अड्डे पर नियंत्रण करने में कामयाब रहा

कंबोडिया

PC: asia.nikkei

कोरोना के बाद अपनी अर्थव्यवस्था और रणनीतिक साझेदारी को बढ़ाने में लगे चीन को एक शानदार सफलता मिली है। चीन की एक कंपनी ने कंबोडिया में कंबोडियाई हवाई अड्डे के अनुबंध को हासिल कर वहां काम कर रही फ्रेंच कंपनी को एक भयंकर झटका दिया है। Asia Nikki की रिपोर्ट के अनुसार कंबोडिया के Phnom Penh में बनाए जा रहे नए प्रवेश द्वार के लिए चीनी सरकार के स्वामित्व वाली कंपनी MCC ने 400 मिलियन डॉलर के निर्माण सौदे को हासिल कर एक बार फिर से दक्षिण पूर्व एशिया में अपना प्रभुत्व जमाने की दिशा में कदम उठाया है।

अब इस सौदे के बाद Phnom Penh में कंबोडिया के नए अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का एक बड़ा हिस्सा चीनी सरकार के स्वामित्व वाली एक  कंपनी द्वारा बनाया जाएगा। बता दें कि राजधानी में बन रहे एयरपोर्ट का निर्माण फ्रेंच ऑपरेटर द्वारा किया जा रहा था लेकिन उसे कोरोना के बाद अनिश्चित भविष्य का सामना करना पड़ रहा जिसके बाद कंबोडियाई सरकार ने यह कांट्रैक्ट चीनी कंपनी को देने का फैसला किया।

1.5 बिलियन डॉलर मूल्य के टैग वाली मेटलर्जिकल कॉर्पोरेशन ऑफ चाइना को पूरी तरह से बीजिंग द्वारा समर्थन मिलता है। MCC के लिए यह हवाई अड्डे का अनुबंध एक महत्वपूर्ण जीत कहा जा सकता है क्योंकि कोरोना के बाद विदेशी कांट्रैक्टों को लगभग रोक देना पड़ा था। यह इस साल कंपनी का सबसे बड़ा विदेशी अनुबंध है।

बता दें कि कंबोडिया चीन समर्थक देश है और MCC तथा उसकी सहायक कंपनियों के पास कंबोडिया में पहले से ही कई परियोजनाएं हैं, जिनमें केंद्रीय विकास समूह द्वारा एक विवादास्पद तटीय विकास शामिल है।

यही नहीं कंबोडिया को राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव इन्फ्रास्ट्रक्चर प्रोग्राम के बैनर तले सार्वजनिक या निजी कैपिटल में अरबों डॉलर मिले हैं।

Phnom Penh में बनने वाला नया हवाई अड्डा लगभग 700 हेक्टेयर को कवर करेगा और इसे लगभग 2,600 हेक्टेयर के एक व्यापक आवासीय और वाणिज्यिक विकास के लिए रखा गया है, जिसका निर्माण भी एक चीनी कंपनी ही कर रही है। नए हवाई अड्डे के लिए धन का बड़ा हिस्सा China Development Bank से आएगा। चीनी सरकार के स्वामित्व वाली CDB ने परियोजना के लिए 1.1 बिलियन डॉलर का भुगतान का वादा किया है।

कंबोडिया के Siem Reap Province में एक और चीन समर्थित हवाई अड्डा बनाया जा रहा है, जहां कंबोडिया का सबसे बड़ा पर्यटक स्थल अंगकोर मंदिर है। 880 मिलियन डॉलर की लागत बन रहे इस एयरपोर्ट के लिए भी China Development bank और Export-Import Bank of China के नेतृत्व वाले चीनी कोंसोर्टीयम द्वारा वित्त पोषित किया गया है, जिसमें तीन वाणिज्यिक बैंकों की भागीदारी है।

चीनी कंपनियों के आने से कंबोडिया के विमानन क्षेत्र में फ्रांसीसी स्वामित्व वाली Cambodia Airports की भूमिका के अब समाप्त होने के आसार बढ़ गए है। इसके बाद अब फ्रांस चीनी खतरे को देखते हुए अपने Indo Pacific कार्यक्रमों को तेज़ कर सकता है।

कंबोडिया, जो एशिया के सबसे गरीब देशों में से एक है, हाल के वर्षों में चीन का एक महत्वपूर्ण सहयोगी रहा है और उस पर आर्थिक सहायता के बदले आसियान की सर्वसम्मति आधारित निर्णय लेने की प्रक्रिया में चीन के पक्ष में वीटो देने का आरोप लगाया गया है।

चीन ने कंबोडिया के साथ मजबूत संबंधों की नींव रखी है जिससे उसे कंबोडिया के समुद्री बंदरगाहों तक पहुंच प्राप्त है और Gulf of Tonkin में तेल के भंडार का वह दोहन कर सकता है।

बता दें कि अर्थिक मदद से चीन ने न सिर्फ कंबोडिया की अर्थव्यवस्था पर प्रभाव जमाया है बल्कि उसके विदेश नीति पर भी नियंत्रण रखता है। जुलाई 2019 में, कंबोडिया उन 37 देशों में से एक था जिसने UNHRC को एक संयुक्त पत्र लिख कर शिनजियांग क्षेत्र में उइगर और अन्य मुस्लिम अल्पसंख्यक समूहों के अत्याचार पर चीन का बचाव किया था।

यही नहीं कंबोडिया ताइवान के चीन के साथ पुन: एकीकरण का पुरजोर समर्थन भी करता है। जून 2020 में, कंबोडिया उन 53 देशों में से एक था, जिन्होंने संयुक्त राष्ट्र में हांगकांग के राष्ट्रीय सुरक्षा कानून का समर्थन किया था।

अब इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यह देश पूरी तरह से चीन के कब्जे में है और अगर यह कहा जाए कि Cambodia में C का अर्थ China है तो गलत नहीं होगा।

कुछ दिनों पहले ही चीन और कंबोडिया ने एक मुक्त व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किया था जिसके बाद दोनों देशों को अपने बीच टैरिफ को कम करने और मार्केट में पहुंच बढ़ाने में और अधिक सहायता होगी। वास्तव में देखा जाए तो चीन कंबोडिया का इस्तेमाल ASEAN देशों के निर्णय को प्रभावित करने के लिए करता है जिससे इन देशों के आपसी तनाव के साथ उनके QUAD समूह के देशों के साथ रिश्तों में भी दरार आ जाए। आज Indo-Pacific में चीन के लिए QUAD सबसे बड़ा खतरा है और वह ASEAN देशों को भड़का कर उसके खिलाफ करना चाहता है जिससे उसके मंसूबों को कामयाबी मिल सके।

 

Exit mobile version