चीन अपनी सेना और सैनिकों को लेकर बड़ी-बड़ी बाते करता हैं और कई प्रकार के प्रोपेगेंडा फैलाता है। लेकिन हर बार उसके प्रोपोगेंडा पर तब पानी फिर जाता है जब अंदर की सच्चाई बाहर आती है। अब एक खबर के अनुसार चीनी सेना सैनिक की भर्ती के लिए युवाओं की कमी से जूझ रही है। कोई भी चीन का युवा PLA में शामिल ही नहीं होना चाहता है। इसे डर कहे या बेहतर सुविधाओं का अभाव चीनी युवाओं की यही सच्चाई है कि वे अब सेना छोड़ बेहतर नौकरियों की तलाश में लगे हैं।
दरअसल, एक रिपोर्ट के अनुसार चीन को PLA के लिए सैनिक ढूँढने से भी नहीं मिल रहे हैं। चीन के युवा अब सेना की बजाय अन्य आकर्षक नौकरियों में जाना पसंद कर रहे हैं जिससे PLA के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी हो गई है।
सच तो यह है कि चीन की सेना अब पढ़े लिखे युवाओं को आकर्षित करने में असफल साबित हो रही है और इसका सबसे बड़ा कारण चीनी युवाओं की मानसिक स्थिती है। न तो उनके मन में राष्ट्रवाद की भावना है और न ही उन्हें उस प्रकार की सुविधा मिल रही है जैसी अन्य देश अपने सैनिकों को देते हैं। यही नहीं इन युवाओं के पास अब पूर्व की पीढ़ी के मुकाबले और ज्यादा कैरियर विकल्प भी मौजूद हैं।
चीनी सेना PLA चीन की सेना नहीं, बल्कि CCP की सेना है और जब कोई युवा सेना में भर्ती होता है तो उसकी ईमानदारी CCP से होती है न कि चीन देश से। अब चीन के युवाओं को यही बात समझ आने लगी है कि CCP उन पर शासन करने वाली एक पार्टी है और उसके प्रति वफादारी के लिए अब कोई तैयार नहीं होना चाहता है।
दूसरा कारण, सैनिकों को विश्वस्तरीय सुविधाओं का न मिलना है। कई सारी मीडिया रिपोर्ट्स और शोध इस बात का दावा करते हैं कि चीनी सेना “one child policy” के तहत जन्में इकलौते बच्चों से भरी पड़ी है, जिन्हें बड़े ही लाड-प्यार से पाला गया होता है, और उनमें लड़ने का ज़रा भी हौसला नहीं होता। “One child policy” के कारण आने वाले ये बच्चे तो बड़े ही बुझदिल, लाड़-प्यार से पाले हुए, और अधिकतर “बिगड़ैल” होते हैं। चीनी सेना PLA अपने “बिगड़ैल” सैनिकों को सही रास्ते पर लाने के लिए विशेष ट्रेनिंग प्रोग्राम भी चलाती है।
Quartz की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्तमान PLA को किसी बड़ी मुठभेड़ का कोई अनुभव ही नहीं है, और चीन के सैनिक अपनी ट्रेनिंग का 40 प्रतिशत हिस्सा “राजनीतिक ट्रेनिंग” में बिताते हैं। उसके ऊपर से चीन अपने सैनिकों को उस तरह कि सुविधाएं नहीं प्रदान करता है जिससे अब चीनी युवा मुंह मोड़ने लगे हैं।
कुछ दिनों पहले ही चीनी सैनिकों का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें यह दावा किया गया था कि ये चीनी सैनिक भारतीय सीमा के कठिन परिस्थितियों पर अपनी पोस्टिंग के बारे में रो रहे थे।
सेना में भर्ती हुए इन नए सैनिकों को यहां प्रशिक्षण के बाद भारत की सीमा पर तैनात किया गया था। वीडियो में सैनिकों के चेहरों के भाव देखकर स्पष्ट पता चलता है कि देश के लिए लड़ना तो बहुत दूर की बात, यह मोर्चे पर जाना भी नहीं चाहते।
सच कहें तो यह वीडियो देखने के बाद हंसी भी आती है और दुख भी होता है। हंसी इस बात पर कि चीन ऐसे सैनिकों के बल पर पूरी दुनिया जीतने का सपना देखता है, और दुख इस बात पर कि चीन की युवा पीढ़ी को चीनी प्रशासन की अकड़ का दुष्परिणाम भुगतना पड़ रहा है। सच तो ये है कि पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी Pampered बच्चों से भरी हुई एक अक्षम सेना है, जिसमें लड़ने की नाममात्र भी इच्छा नहीं है। और अब नई पीढ़ी के युवा इन हालातों को देखते हुए PLA में शामिल भी नहीं होना चाहते हैं तो वे युद्ध क्या करेंगे। अगर ऐसा ही रहा तो वह समय भी दूर नहीं जब PLA सिर्फ बूढ़ों की सेना बन कर रह जाएगी।