लगातार चुनाव हारने के बाद कांग्रेस में सिर फुटौव्वल की स्थितियां हैं। कपिल सिब्बल से लेकर अन्य 22 वरिष्ठ नेता पहले ही एक गैर गांधी पार्टी अध्यक्ष बनाने की मांग कर चुके हैं। इतने वक्त में कुछ लोग शांत पड़े तो बिहार विधानसभा में भी पार्टी को हार का मुंह देखना पड़ा। इसके चलते कपिल सिब्बल फिर बिफर गए, और पार्टी की फजीहत कर दी। इसके बाद अब कांग्रेस को मजबूरन अध्यक्ष पद के लिए आंतरिक चुनावों का ढोंग करना पड़ रहा है। गांधी परिवार और कांग्रेस में कोई बदलाव भले न हो, लेकिन इन चुनावों की नौटंकी करके कांग्रेस अपने आंतरिक विरोधियों का मुंह बंद करना चाहती है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक अब कांग्रेस अपना राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने के लिए एक नई चुनावी प्रक्रिया का शिगूफा लेकर आई है। इसके तहत ऑनलाइन वोटिंग कराई जाएगी। इसके लिए एआईसीसी के सदस्यों को ऑनलाइन वोटर कार्ड दिए जाएंगे। वहीं, चुनावों को लेकर कांग्रेस ने चुनाव प्राधिकरण के 1,500 लोगों को वोटरों की सूची तैयार करने का काम दे दिया है। कांग्रेस को पिछले काफी वक्त से हार मिल रही है जिसके चलते अब दोबारा राहुल गांधी को राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने की मांग की जा रही है।
कांग्रेस में अंदरखाने बगावत करने वाले लोग खुश हैं कि इस ऑनलाइन चुनावी प्रक्रिया के चलते लंबे वक्त बाद कोई गैर-गांधी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष की कुर्सी संभालेगा। पार्टी में लंबें वक्त से इस मुद्दे पर बगावत भी छिड़ी हुई है। इस पूरी बगावत का मुख्य केंद्र पार्टी के वरिष्ठ नेता और अधिवक्ता कपिल सिब्बल बन गए हैं। वो लगातार पार्टी की हार पर मंथन से लेकर जल्द से जल्द पार्टी का स्थाई अध्यक्ष बनाने की मांग करते रहे हैं। सिब्बल का ये भी कहना है कि अब पार्टी में किसी गैर-गांधी को पार्टी की सत्ता संभालनी चाहिए। वो गांधी परिवार के चुनावी प्रदर्शन को लेकर दबे मुंह अपनी नाराज़गी ज़ाहिर करते रहे हैं।
कांग्रेस का एक धड़ा सोचने लगा है कि ऑनलाइन चुनावी प्रक्रिया से राहुल गांधी तो अध्यक्ष बन ही नहीं पाएंगे क्योंकि पार्टी के कार्यकर्ता उनसे नाराज हैं। हालांकि, राहुल गांधी तो इन चुनावों में उम्मीदवार होंगे ही…ये तय है, लेकिन उनके सामने चुनौती देने की हिम्मत किसमें होगी? ये अंदाज़ा लगाना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। सभी ने देखा है कि कांग्रेस में गांधी परिवार के खिलाफ अध्यक्ष पद को लेकर आज तक कोई भी उम्मीदवार खड़ा हुआ है।
कांग्रेस के के.कामराज से लेकर पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और सीताराम केसरी तक, जिसने भी कांग्रेस में गांधी परिवार के खिलाफ बगावत की, उसका हाल बेहद ही बुरा हुआ है। 2017 में जब कांग्रेस के ही नेता शहजाद पूनावाला ने राहुल गांधी के खिलाफ अध्यक्ष पद का चुनाव लड़ने की बात कही थी, तो पार्टी ने उन्हें अपना नेता तक मानने से इन्कार कर दिया था। शहजाद पार्टी से साइड लाइन हो गए, और आज कल टीवी डिबेट्स में राहुल को बेपर्दा करते रहते हैं।
कांग्रेस का यही स्वाभाव है कि वो अपने नेताओं को चाटुकार बनाकर रखना चाहती है। जब कोई चाटुकार अपनी कमर सीधी करके गांधी परिवार की खिलाफत करते हुए पार्टी के हित में कोई बात करता है तो उसका एक ही अंजाम होता है, पार्टी से बर्खास्तगी। इसलिए इस ऑनलाइन चुनावों के नाम पर कांग्रेस जनता और अपने ही कार्यकर्ताओं को भ्रमित करना चाहती है कि वो अब लोकतांत्रिक प्रक्रिया का पालन कर रही है।
असल में कांग्रेस जानती है कि उसके नेता और गांधी परिवार के शहज़ादे राहुल के सामने खड़े होने की हिम्मत पार्टी के किसी भी नेता में नहीं होगी, और इसी आत्ममुग्धता के सहारे पार्टी राहुल को निर्विरोध निर्वाचित कांग्रेस का राष्ट्रीय अध्यक्ष घोषित करेगी। इससे एक बार फिर साबित होगा कि कांग्रेस असल में अपने हर एक कदम के साथ अगले दस कदमों की तैयारियां कर लेती है।