चीन की CCP और अमेरिकी मीडिया का ये रिश्ता क्या कहलाता है?

अमेरिकी

कोरोना ने चीन के कई नेक्सस का खुलासा किया है, चाहे वो WHO के साथ हो UNHRC के साथ या फिर अमेरिकन मीडिया के ही साथ क्यों न हो। आखिर क्यों कई अमेरिकी पोर्टल अभी भी चीन (China) के तलवे चाटने में लगे हुए हैं। कुछ महीनों पहले डेली कॉलर की एक रिपोर्ट आई थी जिसमें बताया गया था कि इन अमेरिकी मीडिया कंपनियों को चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के मुखपत्र चाइना डेली की ओर से 19 मिलियन डॉलर मिले थे। अगर देखा जाए तो चीन ने अमेरिकी मीडिया को एक तरह से खरीद लिया है। अमेरिकी लिबरल मीडिया कितनी चीनी है आज इस पर प्रकाश डालेंगे।

चीनी कम्युनिस्ट पार्टी के अत्याचारों के बावजूद, अमेरिकन कॉर्पोरेट मीडिया आउटलेट्स CCP का ही गुणगान करते दिखाई देते हैं। कोरोना जैसी महामारी के बीच भी इन मीडिया आउटलेट्स ने CCP की छवि को बचाने के भरपूर प्रयास किए। यह तो डोनाल्ड ट्रम्प थे जिन्होंने कोरोना को ‘चीनी वायरस’ कह कर चीन के खिलाफ मोर्चे को कमजोर नहीं होने दिया। ऐसे कई रिपोर्ट्स है जिनसे यह साबित होता है कि इन मीडिया आउटलेट्स में से कई के चीनी कंपनियों से वित्तीय संबंध हैं, और शायद यही कारण है कि सभी CCP की चाटुकारिता में लगे है।

अक्सर अमेरिकी कंपनियों के चीन के साथ वित्तीय संबंध होते हैं जो स्वाभाविक रूप से सीसीपी की नीतियों के सबसे बड़े प्रचारक बन जाते हैं और सीसीपी के प्रचार का प्रसार करते हैं। यही हाल अमेरिकी मीडिया का भी है।

न्यूयॉर्क टाइम्स

The Federalist की रिपोर्ट के अनुसार न्यूयॉर्क टाइम्स में मैक्सिकन अरबपति कार्लोस स्लिम 17.4 प्रतिशत के मालिक है। सबसे बड़े शेयरधारक के रूप में, उनका निवेश उन्हें कंपनी के बोर्ड के लगभग एक-तिहाई वोट देने की अनुमति देता है। वर्ष 2009 में, Carlos Slim ने न्यूयॉर्क टाइम्स की मूल कंपनी, न्यूयॉर्क टाइम्स कंपनी को $ 250 मिलियन का ऋण दिया। उसी वर्ष, स्लिम ने कंपनी के 15.9 मिलियन क्लास ए शेयर खरीदे।

Carlos Slim ने नियमित रूप से चीनी कंपनियों के साथ कारोबार किया है, जो सीसीपी से अधिक संबंध रखते हैं। 2017 में, स्लिम की Giant Motors चीन की जेएसी मोटर्स के साथ वेंचर में शामिल हुई और लैटिन अमेरिका के बाजार में बेचने के लिए, मैक्सिको में कारों का निर्माण शुरू किया।

यही नहीं ब्लूमबर्ग लॉ के अनुसार, स्लिम की कंपनी America Movil एक 5G पायलट प्रोजेक्ट के लिए CCP की हुवावे टेक्नोलॉजीज के साथ मिलकर काम करने जा रही है। यह सभी को पता है कि किस तरह Huawei CCP के साथ मिल कर अन्य देशों की जासूसी करता है।

हुवावे ने अपने उपकरणों का उपयोग करने से प्रतिबंधित करने वाले अमेरिकी कानून को पलटने का प्रयत्न किया था।

स्लिम चीनी सरकार के साथ सभी प्रकार के आकर्षक व्यापारिक सौदे कर रहे हैं जिससे यह स्पष्ट हो जाता है क्यों न्यू यॉर्क टाइम्स CCP के प्रोपोगेंडे को आगे बढ़ा रहा है।

द वाशिंगटन पोस्ट

अब द वाशिंगटन पोस्ट की बात करें तो वर्ष 2013 में, Amazon के सीईओ और अरबपति जेफ बेजोस ने इसे 250 मिलियन डॉलर में खरीदा था। जनवरी 2016 में, बेजोस ने पोस्ट के लिए एक नई व्यवसाय योजना बनाई थी और यह बात किसी से छुपी नहीं है कि बेजोस का चीनी व्यापार बाजार से सीधा संबंध है, जिसे सीसीपी द्वारा नियंत्रित किया जाता है।

Amazon के सबसे लोकप्रिय उत्पादों जैसे Amazon इको और किंडल ई-रीडर का उत्पादन चीनी कारखानों में ही होते हैं। बेजोस ने लंबे समय से चीनी बाजार में भी Amazon का विस्तार करने की कोशिश की है।

इसी से यह स्पष्ट होता है कि कैसे वॉशिंगटन पोस्ट चीन के प्रोपोगेंडे के लिए काम कर रहा है। वाशिंगटन पोस्ट के “विज्ञापन” खंड में “चाइना वॉच” नामक एक विज्ञापन अनिवार्य रूप से प्रकाशित होता है जो CCP द्वारा संचालित मीडिया संगठन के सौजन्य से है। वाशिंगटन पोस्ट सीसीपी के विज्ञापनों के लिए खुले तौर पर पैसे स्वीकार करता है और उसके प्रोपोगेंडे को प्रचारित करता है।

CNN

CNN का स्वामित्व और संचालन WarnerMedia द्वारा किया जाता है, जिसमें CCP के महत्वपूर्ण वित्तीय और संस्थागत संबंध हैं। जून 2013 में, वार्नर मीडिया ने घोषणा की कि उसने 50 मिलियन डॉलर की चीनी निवेश निधि के साथ साझेदारी की थी। इस फंडिंग से वह सीधे चीन की मीडिया कैपिटल (CMC) में निवेश करेंगे, जो CCP की निगरानी वाली मीडिया कंपनी है, जिसका अर्थ यह हुआ कि यह चीनी प्रचार को आगे बढ़ाने के लिए सेंसरशिप और सीसीपी के पक्ष में रिपोर्टिंग के लिए बाध्य होंगे।

वार्नरमीडिया चीन को अपने आर्थिक और सिनेमाई उपक्रमों में “साझेदार” मानता है।

Raleigh के अनुसार, जब अमेरिकी कंपनियाँ CMC जैसे संगठनों के साथ काम करती हैं, तो वे चीन के साइबर कानून सहित CCP के वैश्विक उद्देश्यों को आगे बढ़ाने वाले कानूनों के अधीन होती हैं। कंपनियों को चीन में डेटा सेंटर बनाने के लिए भी मजबूर किया जाता है, जहां सीसीपी डेटा पर सीधे नजर रखती है।

सीएनएन वर्ल्डवाइड के अध्यक्ष जेफ जुकर का चीन के साथ भी संबंध है। सीएनएन के अनुसार, जुकर, टर्नर स्पोर्ट्स के साथ आंतरिक रूप से काम करता है और टर्नर स्पोर्ट्स सीधे एनबीए के साथ चीन में खेल प्रसारित करने के लिए काम करता है, जिसका अर्थ है कि जुकर का चीन में व्यवसाय है, जहां अमेरिकी व्यवसायी सीसीपी को खुश रखने का ही प्रयास करते हैं जिससे उन्हें फंडिंग होती रहे।

MSNBC & NBC

MSNBC & NBC न्यूज, दोनों NBC यूनिवर्सल द्वारा संचालित होते हैं, जिसके सीसीपी के साथ व्यापक वित्तीय संबंध है। नवंबर 2010 में, एनबीसी ने चीन के राज्य-संचालित मीडिया संगठन, Xinhua के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था। यह सीसीपी द्वारा अमेरिकी मीडिया में एक तरह से विस्तार ही था।

Xinhua और पांच अन्य चीनी राज्य संचालित मीडिया संगठनों की पहचान “foreign missions” के रूप में की गयी जो सीधे सीसीपी द्वारा संचालित होते हैं न कि स्वतंत्र समाचार आउटलेट के रूप में।

वर्ष 2015 में, NBC यूनिवर्सल ने चीनी टेक कंपनी Baidu के नए वीडियो नेटवर्क प्लेटफॉर्म iQIYI को लाइसेंस देने के लिए सहमति व्यक्त की, जो NASDAQ पर सूचीबद्ध है और न्यूयॉर्क शहर में टाइम्स स्क्वायर में विज्ञापन भी करता है। यह CCP का प्रोपोगेंडा नहीं है तो और क्या है?

ABC

अमेरिकी ब्रॉडकास्ट कंपनी (एबीसी) और चीन के बीच सबसे स्पष्ट व्यापारिक संबंध वॉल्ट डिज़नी और ईएसपीएन के माध्यम से हैं। दोनों कंपनियों के सीसीपी द्वारा नियंत्रित चीनी अर्थव्यवस्था में गहरी जड़ें हैं।

नवंबर 2009 में, चीनी सरकार ने शंघाई में एक डिज्नी वर्ल्ड थीम पार्क बनाने की योजना को मंजूरी दी थी। परियोजना की लागत लगभग $ 3.6 ट्रिलियन है, जिसमें कई बड़े चीनी राज्य के स्वामित्व वाले फ़र्मों ने वित्तीय रूप से मदद की है। निर्माण पूरा होने के बाद, डिज्नी ने केवल 43 प्रतिशत प्रोपेर्टी को बरकरार रखा, जबकि कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा नियंत्रित Shanghai Shendi Group ने शेष 57 प्रतिशत लिया।

ईएसपीएन, एबीसी की एक अन्य इकाई अक्टूबर 2019 में चीनी सरकार के लिए प्रोपोगेंडा करते दिखाई दी। जब एनबीए ने वित्तीय लाभ के लिए सीसीपी की निंदा करने से इनकार कर दिया, तो ईएसपीएन 2019 वित्तीय वर्ष के लिए वित्तीय राजस्व को ट्रैक पर रखने के लिए NBA के साथ खड़ा था।

चीन के साथ एबीसी के संबंध भी इस बात को भी स्पष्ट करते हैं कि चीन को अमेरिकी बॉक्स ऑफिस में किस तरह चित्रित किया गया है। उदाहरण के लिए डिज़्नी की नई फिल्म रिलीज़ “मुलान” को ही देखा जाए तो यह किसी प्रोपोगेंडा से कम नहीं है।

ब्लूमबर्ग

न्यूयॉर्क शहर के पूर्व मेयर माइकल ब्लूमबर्ग और उनकी कंपनी ब्लूमबर्ग एलपी ने चीन में भारी निवेश किया है। ब्लूमबर्ग एलपी चीनी बाजार के माध्यम से अपनी वेबसाइट पर टर्मिनल बेचता है और अमेरिकी निवेशकों से चीनी बांड बाजार में अरबों डॉलर भेजकर चीनी कंपनियों की मदद करता है। ब्लूमबर्ग एलपी ने 364 चीनी फर्मों का समर्थन किया और उनके लगभग 150 बिलियन डॉलर बॉन्ड के जरिये मदद की। इन 364 कंपनियों में से 159 को सीधे CCP द्वारा नियंत्रित किया गया था।

NPR के एक खुलासे में यह बताया गया है कि ब्लूमबर्ग न्यूज ने सीसीपी को खुश करने के लिए क्या क्या किया है। वर्ष 2014 में, ब्लूमबर्ग ने सीसीपी के अमीरों की संपत्ति की जांच की रिपोर्ट को सामने ही नहीं आने दिया। कंपनी ने बीजिंग स्थित रिपोर्टर को चुप कराने के लिए न सिर्फ उस रिपोर्टर से बल्कि उसकी पत्नी से भी non-disclosure agreement पर हस्ताक्षर करवाए जिसने कभी ब्लूमबर्ग के लिए काम ही नहीं किया था।

संवाददाता Mike Forsythe ने अपनी रिपोर्ट में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के देश के सबसे अमीर आदमी वांग जियानलिन से संबंधों को उजागर किया था। जब रिपोर्ट प्रकाशन के लिए तैयार थी, संस्थापक संपादक मैथ्यू विंकलर ने Mike Forsythe को बताया कि वह सीसीपी को नाराज करने से बचने के लिए रिपोर्ट को नहीं प्रकाशित करेंगे।

रिपोर्ट के हटाये जानी के बाद कंपनी ने Mike Forsythe और उसकी पत्नी पर Winkler का नाम लेने पर मुकदमा चलाने की धमकी भी दी थी।

माइक ब्लूमबर्ग खुद CCP को खुश करने वाले व्यक्ति हैं। उन्होंने चीन के साथ राष्ट्रपति ट्रम्प की व्यापार वार्ता के खिलाफ व्यक्तिगत रूप से पैरवी की और सीसीपी की सराहना की। ब्लूमबर्ग तो यह भी मान चुके हैं कि जिनपिंग तनाशाह नहीं है।

इन वित्तीय संबंधों की जांच करने से यह स्पष्ट होता है कि अमेरिकी लिबरल मीडिया आउटलेट चीन के इशारे पर काम करते हैं, और मोटा पैसा कमाते हैं। इस रिपोर्ट से एक और बात स्पष्ट होती है कि पैसे के बल पर चीन किस तरह से दूसरे देशों के वेबसाइट पोर्टल्स और सोशल मीडिया को अपने विरोध में कुछ भी प्रकाशित करने से रोकता है, या यूँ कहें अपने खिलाफ किसी भी सामग्री को हटवा देता है। यह किसी देश की सुरक्षा के लिए कितना खतरनाक है यह कई बार स्पष्ट हो चुका है। मीडिया का इस तरह से दुश्मन देश के साथ हाथ मिला लेना न सिर्फ देश के लिए एक खतरा है बल्कि इससे विश्व पर भी CCP के प्रोपोगेंडे को बल मिल रहा है। ये मीडिया आखिर किस बात की पत्रकारिता करती है जब CCP के तलवे ही चाटने हैं। कोरोना के अलावा अगर हाल की एक घटना को देखा जाए कि किस तरह डेमोक्रेट्स के राष्ट्रपति उम्मीदवार जो बाइडेन के बेटे हंटर बाइडेन के भ्रष्टाचारों का खुलासा हुआ है लेकिन इन सभी मीडिया वालों ने ऐसी छुपी साधी कि इतनी बड़ी खबर को बड़े सरलता से दबा दिया गया। चीन भी यही चाहता है कि किसी भी तरह से ट्रम्प से छुटकारा मिले और जो बाइडेन राष्ट्रपति चुने जाए जिससे चीन को एक बार फिर से दुनिया पर अपना प्रभुत्व जमाने का मौका मिले। ऐसे में अगर अमेरिकी लिबरल मीडिया को चीनी मीडिया ही कह कर संबोधित करे तो गलत नहीं होगा।

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