अमेरिका में ट्रंप के चुनाव हारने के संकेत मिलने के साथ ही चीन की खुशी का ठिकाना नहीं रहा है। वो अब धीरे-धीरे एक बार फिर भारत समेत पूरे विश्व में अपनी पकड़ मजबूत करने के मंसूबे पालने लगा है लेकिन अंतर्राष्ट्रीय समिट SCO में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन ने साबित कर दिया है कि अगर ट्रंप दोबारा चुनाव नहीं भी जीतते हैं, तो ये चीन के लिए कोई खुशी की बात नहीं होगी, क्योंकि भारत चीन के दुनिया पर राज करने के मंसूबों के गुब्बारे की हवा निकालने की ताकत रखता है और वो पूरे दम-खम के साथ चीन का वैश्विक स्तर पर विरोध करता ही रहेगा।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पड़ोसी देश चीन की विस्तारवादी नीति पर बिना उसका नाम लिए कई बार वैश्विक मंचों से हमला बोल चुके हैं और उसके काले मंसूबों की तरफ दुनिया का ध्यान आकर्षित कर चुके हैं। कुछ ऐसा ही उन्होंने एक बार फिर किया है। पीएम ने SCO के वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान पड़ोसी देश चीन की विस्तारवादी नीति की एक बार फिर पोल खोल दी है।
पीएम मोदी ने अपने संबोधन कहा, भारत कभी भी विस्तारवाद की नीति पर नहीं चला है। हम अपनी संप्रभुता और अखंडता का ख्याल रखते हुए दूसरों के भी इन हितों का ध्यान रखते हैं। हम द्विपक्षीय मुद्दों को वैश्विक मंचों पर नहीं उठाते हैं और इन्हें उठाने वाले देशों के क्रिया-कलाप दुर्भाग्यपूर्ण हैं। पीएम मोदी ने इस दौरान चीन को ही दबे शब्दों में संदेश दिया कि वो अपनी विस्तारवाद की नीति पर लगाम लगाए और भारत के धैर्य की परीक्षा न ले। पीएम ने इस दौरान संयुक्त राष्ट्र को भी उसके ढुलमुल रवैए के लिए आईना दिखाया है।
पीएम ने अपने इस संबोधन में न केवल भारत का आक्रामक रुख दिखाया है बल्कि ये भी बताया है कि किस तरह से हमारा देश शांति का पालन करने वाला है। पीएम ने इस दौरान एक बार फिर आतंकवाद के खिलाफ विश्व को एकजुट करने के अपने एजेंडे को बल दिया है। उनका ये बिंदु फ्रांस के आतंकवाद विरोधी एजेंडे के दौरान काफी महत्वपूर्ण हो जाता है।
गौरतलब है कि जब से अमेरिका में ट्रंप की सरकार का जाना तय हुआ है तब से वैश्विक स्तर पर चीन अपने गलत मूंसबों को लागू करने की नीतियों पर काम करना शुरु कर चुका है। वो ऑस्ट्रेलिया समेत कई देशों को आर्थिक रूप से कमजोर करने की धमकियां तक देने लगा है। उसने सोचा है कि ट्रंप के जाने पर अब उसके विरोध में उठ रही सभी आवाजों को वो दबा देगा लेकिन पीएम मोदी के संबोधन ने उसकी इस नीति को झटका दे दिया है।
हम आपको अपनी एक रिपोर्ट में पहले ही बता चुके हैं कि ट्रंप अगर अमेरिकी सरकार से चले भी जाते हैं तो चीन विरोधी वैश्विक एजेंडे के सबसे बड़े नेता प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी होंगे। पीएम मोदी लगातार चीन के विस्तारवाद के खिलाफ बोलते रहे हैं जो कि चीन के लिए एक पड़ोसी के तौर पर खतरे की तरह ही हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की विदेश नीति का ही असर है कि विश्व के अधिकांश देश भारत के साथ खड़े रहते हैं।
ट्रंप के जाने के संकेतों के साथ ही चीन ऑस्ट्रेलिया को परेशान करने लगा है। चीन के मुखपत्र ऑस्ट्रेलिया को आर्थिक चोट देने की धमकियां देने लगे हैं, लेकिन चीन को पता नहीं है कि क्वाड को भी भारत अकेले सपोर्ट करने की क्षमता रखता है। ऑस्ट्रेलिया के साथ जौ आयात के मुद्दे पर पहले ही भारत उसे सपोर्ट कर चुका है और उम्मीद यही है कि भारत ऑस्ट्रेलिया के सभी आर्थिक मुद्दों पर उसके साथ खड़ा होगा जिसमें जापान की भी एक महत्वपूर्ण भूमिका होगी।
इसके अलावा दक्षिण एशिया के सभी देश चीन का कर्ज देकर उसके द्वारा जमीन पर कब्जा करने की नीति से त्रस्त हो चुके हैं। ऐसे में इन देशों ने चीन को झटका देकर भारत के साथ काम करने की नीतियां बना ली हैं। चीन के लिए पूरा दक्षिण एशिया विरोध का गढ़ बन चुका है जिसका नेतृत्व केवल भारत ही करेगा। इसके अलावा क्वाड में बढ़ती भारत की भूमिका पीएम मोदी को वैश्विक स्तर पर सबसे बड़े चीन विरोधी नेता के रूप में सामने लेकर आएगी।
ऐसे में चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग जो ये सोचकर खुश हैं कि वो अब ट्रंप के जाने के बाद फिर से अपने विस्तारवाद का आतंक शुरु करेंगे, तो ये उनका एकमात्र भ्रम ही है क्योंकि पीएम मोदी के SCO संबोधन ने साबित कर दिया है कि वो ट्रंप के जाने के बाद चीन को वैश्विक स्तर पर अलग-थलग करने में महत्पूर्ण भूमिका निभाएंगे।