भारत ने एक बार फिर की चीन पर डिजिटल स्ट्राइक, अलीबाबा को लगा सबसे बड़ा झटका

विश्व की राजनीति चाहे जो करवट ले, लेकिन भारत की केंद्र सरकार ने यदि कोई संकल्प ले लिया, तो वे किसी भी स्थिति में उससे पीछे नहीं हटने वाली। हाल ही में आर्थिक मोर्चे पर चीन को एक और झटका देते हुए भारत ने 43 चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाया है, जिसमें सबसे अधिक नुकसान किसी और को नहीं, बल्कि एक समय पर चीनी प्रशासन की आँखों के तारे रहे जैक मा के अलीबाबा ग्रुप को होगा।

जी हाँ, अलीबाबा ग्रुप से संबंधित मोबाइल एप्स, विशेषकर अलीबाबा का ई कॉमर्स विंग यानि अली एक्सप्रेस सहित 43 अन्य चीनी एप पर भारत की केंद्र सरकार ने आईटी मंत्रालय के हवाले से प्रतिबंध लगाया है। जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, “मिनिस्ट्री ऑफ इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी (MeitY) की तरफ से इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट के सेक्शन 69A  के तहत एक आदेश जारी करके 43 चीनी एप को भारत में बैन करने का निर्देश दिया गया है। भारत सरकार ने देश की सुरक्षा,अखंडता और संप्रभुता के खतरे के मद्देनजर 43 चीनी एप्स को बैन करने का फैसला लिया गया है। चीनी एप्स बैन का फैसला गृह मंत्रालय और साइबर क्राइम कोऑर्डिनेशन सेंटर की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है”।

अब इससे अलीबाबा को कैसे नुकसान होगा? दरअसल, प्रतिबंधित एप्स में से चार एप अलीबाबा ग्रुप के ही हैं, और उसके साथ-साथ अलीबाबा ने भारत में काफी हद तक निवेश भी किया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक चीनी कंपनी अलीबाबा और उसकी सहयोगी कंपनियों अलीबाबा कैपिटल पार्टनर्स और ऐंट ग्रुप ने साल 2015 से अब तक भारतीय कंपनियों में 2 अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश किया है। मार्केट फाइनेंसिंग पर नजर रखने वाले फर्म पिचबुक के मुताबिक अलीबाबा ग्रुप भारत में 1.8 अरब डॉलर (करीब 14000 करोड़ रुपये) के और निवेश की तैयारी कर रहा था। यही नहीं अलीबाबा ग्रुप ने भारत में Paytm, जोमैटो, बिगबास्केट जैसी कई कंपनियों में भी निवेश कर रखा है। स्पष्ट है अलीबाबा को भारत सरकार के कदम से बड़ा नुकसान होने वाला है।

अलीबाबा के विरुद्ध एक्शन लिए जाने की संभावना काफी पहले से थी, जिसके बारे में TFI Post ने अपनी एक रिपोर्ट में विस्तार से सूचित भी किया था, और उस रिपोर्ट में बताया गया था कि आखिर क्यों अलीबाबा के विरुद्ध ऐसा एक्शन लिया जा रहा है।

रिपोर्ट के अंश अनुसार, “….कम से कम देश के 72 सर्वर्स से भारतीय यूजर्स का डेटा चीन को भेजा जा रहा हैं जिसका मुख्य केंद्र चीनी कंपनी अलीबाबा के क्लाउड डेटा सर्वर हैं। इंटेलिजेंस सूत्रों की माने तो ये चोरी अलीबाबा के क्लाउड बेस्ड सर्वर से हुई है। इसका अर्थ स्पष्ट है – अलीबाबा काफी बड़े स्तर पर भारतीय यूज़र्स के डेटा की जासूसी कर रहा है, और इंटेलिजेंस सूत्रों ने स्थिति स्पष्ट होने पर अलीबाबा के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई के संकेत भी दिये हैं”।

दरअसल, इस एप युद्ध की शुरुआत तभी हो गई थी, जब चीन ने गलवान घाटी में घात लगाकर भारत पर हमला किया था। तब प्रत्युत्तर में भारत ने न केवल अपने सैन्यबल को मजबूत किया, अपितु आर्थिक मोर्चे पर कई निर्णयों से चीन के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया। जब 29 जून को भारत ने गलवान घाटी के हमले के परिप्रेक्ष्य में टिक टॉक सहित 59 चीनी एप्स पर प्रतिबंध लगाया था, तब उन्होंने इन एप्स द्वारा भारतीय यूज़र्स के डेटा के साथ खिलवाड़ करने का हवाला दिया था। इसके अलावा भारत ने पहले 47 अन्य चीनी एप, और फिर पब्जी द्वारा भारतीय यूज़र्स के डेटा के साथ खिलवाड़ करने और उसे चीन के साथ साझा करने का हवाला देकर 118 चीनी एप्स को प्रतिबंधित किया था।

अब चीन द्वारा डेटा चोरी की समस्या कोई नई बात नहीं है। लेकिन अलीबाबा पर कार्रवाई करने का अर्थ है चीन की गर्दन पकड़ना है। चीन को वैश्विक पहचान दिलाने में कुछ वस्तुओं अथवा व्यक्तियों ने अहम भूमिका निभाई है, और इन्हीं में से एक है चीनी उद्योगपति जैक मा, जिन्होंने अलीबाबा कंपनी की स्थापना की। आज ऐसे में अलीबाबा सहित 43 चीनी एप्स के विरुद्ध कार्रवाई कर भारत ने ये सिद्ध किया है कि राष्ट्रहित से बढ़कर कुछ नहीं है, और ये आवश्यक नहीं है कि हर जंग बंदूक से ही जीती जाए।

 

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