अपने चुटकुलों के लिए कम और अपनी बकवास के लिए अधिक सुर्खियों में रहने वाले कथित स्टैन्ड अप कॉमेडियन कुणाल कामरा एक बार फिर सुर्खियों में है। अब जनाब भारत के मुख्य न्यायाधीश को अपमानित करने की आजादी चाहते हैं, क्योंकि उनके अनुसार भारत के मुख्य न्यायाधीश उनके इशारों पर नहीं चलते। हाल ही में कुणाल कामरा ने एक एयरप्लेन से आपत्तिजनक फोटो शेयर करते हुए कहा कि ‘यह पूर्ण रूप से भारत के मुख्य न्यायाधीश के लिए है। आप भ्रमित मत होइए मिडिल फिंगर है!’
One of these 2 fingers is for CJI Arvind Bobde… ok let me not confuse you it’s the middle one
😂😂😂 pic.twitter.com/IhoYIP3Ebe— Kunal Kamra (@kunalkamra88) November 18, 2020
इसके विरुद्ध प्रयागराज स्थित एडवोकेट अनुज सिंह ने भारत के अटर्नी जनरल केके वेणुगोपाल से कुणाल कामरा के विरुद्ध अदालत की अवमानना का मुकदमा दायर करने की स्वीकृति मांगी थी, जिसे उन्होंने तुरंत स्वीकार किया। वेणुगोपाल ने स्पष्ट कहा कि यह बहुत बेहूदा मज़ाक है और ऐसे लोगों को समझना चाहिए कि आप अनावश्यक ही शीर्ष न्यायालय का अपमान नहीं कर सकते, और ऐसा करने पर उसकी सजा भी होगी।
केके वेणुगोपाल ने बिल्कुल सही बात बोली है, क्योंकि अब समय आ चुका है। जिस प्रकार से सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब गोस्वामी को जमानत देते वक्त न्याय का एक अनोखा उदाहरण दिया था, उसी प्रकार से कुणाल कामरा के विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई कर यह उदाहरण भी पेश होगा कि कोई भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर अकारण लोकतान्त्रिक संस्थाओं और उनके प्रतिनिधियों का अपमान नहीं कर सकता।
यह इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि कुणाल कामरा उन लोगों में से नहीं जो किसी सज्जन व्यक्ति की फटकार से सुधर जाए। वो इस तरह की हरकत पहले भी कर चुके हैं। जब सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब गोस्वामी को अंतरिम जमानत दी थी, तब कुणाल कामरा ने बौखलाहट में न केवल सुप्रीम कोर्ट का उपहास उड़ाया, बल्कि अर्नब को जमानत देने में अहम भूमिका निभाने वाले अधिवक्ता हरीश सालवे और न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ का भी जमकर अपमान किया।
अर्नब को जमानत मिलते ही कामरा ने सुप्रीम कोर्ट को वर्तमान सरकार यानि मोदी सरकार का गुलाम दिखाने के लिए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष भारतीय झंडे को फॉटोशॉप से भाजपा के झंडे से रिप्लेस किया था।
Contempt of court it seems 😂😂😂 pic.twitter.com/QOJ7fE11Fy
— Kunal Kamra (@kunalkamra88) November 11, 2020
इतने से भी मन नहीं भरा, तो जनाब ने ट्वीट कर कहा था कि “सुप्रीम कोर्ट देश का सुप्रीम जोक है”।
लेकिन इतने पर भी कुणाल कामरा का मन नहीं भरा तो अपनी सीमाएँ लांघते हुए उसने जस्टिस चंद्रचूड़ के लिए बेहद आपत्तिजनक ट्वीट किया था, “डी वाई चंद्रचूड़ वो फ्लाइट अटेंडेंट की भांति जो केवल फर्स्ट क्लास पैसेंजर को सर्व करता है, जबकि आम आदमी को पता भी नहीं होता कि उन्हें फ्लाइट में चढ़ने दिया जाएगा या नहीं, खातिरदारी तो दूर की बात”।
हालांकि, कुणाल कामरा का यह पैंतरा उन पर भारी पड़ा, क्योंकि बॉम्बे हाई कोर्ट में अधिवक्ता चाँदनी शाह ने बार काउन्सिल ऑफ इंडिया को पत्र लिखते हुए कहा कि काउन्सिल इस बात पर संज्ञान ले और तुरंत कुणाल कामरा के विरुद्ध न्यायालय की अवमानना का मुकदमा दायर करे।अब कुणाल कामरा के खिलाफ सख्त कार्रवाई दूसरों के लिए एक बड़ा उदाहरण साबित होगा।
वास्तव में इन वामपंथियों के लिए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता तभी तक उचित है, जब तक उसका एकाधिकार उनके पास हो, और जहां किसी और ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का पक्ष लिया, ये उसके पीछे हाथ धोकर पड़ जाते हैं। इससे पहले भी कुणाल कामरा को इंडिगो पर अर्नब गोस्वामी के साथ अपने उपद्रवी स्वभाव के कारण इंडिगो से लेकर कई निजी एयरलाइंस द्वारा हवाई यात्रा पर छह महीने के प्रतिबंध का भी सामना करना पड़ा था। लेकिन लगता है कि कुणाल कामरा ने उससे कोई सीख नहीं ली है, और ऐसे में ये अवश्यंभावी है कि सुप्रीम कोर्ट इसके विरुद्ध कठोरतम कार्रवाई करे, ताकि ऐसा उपद्रव करने में अपनी शान समझने वाले इन लोगों को एक तगड़ा सबक भी मिले।