बिहार विधानसभा चुनावों के बाद भी विवादों का दौर समाप्त नहीं हुआ है। रिपोर्ट्स के मुताबिक RJD अपनी “लालूनीति” से अभी भी BJP के MLA को विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव के लिए खरीद कर सरकार बनाने की कोशिश कर रही थी। रिपोर्ट्स के अनुसार लालू जेल से ही कई MLA को फोन कर लालच देते सुने गए, परंतु भाजपा ने “शाहनीति” पर चलते हुए न सिर्फ लालू यादव के चालों को फेल किया है बल्कि उन्हें एक्सपोज कर रिम्स के बंगले से पेइंग वार्ड में शिफ्ट करवा दिया।
दरअसल, बिहार में विधानसभा अध्यक्ष के चुनाव से ठीक पहले बीजेपी के नेता सुशील कुमार मोदी ने एक सनसनीखेज दावा किया कि RJD सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव जेल से भाजपा विधायक को फोन कर उन्हें मंत्री पद का लालच दे रहे हैं।
यही नहीं, सुशील मोदी ने ट्विटर पर लालू प्रसाद यादव का वह ऑडियो भी जारी किया है, जिसमें वह कथित तौर पर भाजपा विधायक को फोन कर मंत्री बनाने का ऑफर दे रहे हैं। उन्होंने दावा किया है कि लालू प्रसाद यादव ने जेल से भाजपा विधायक ललन पासवान को फोन किया था और उन्हें मंत्री पद का लालच दिया। लालू प्रसाद यादव ने पासवान को राजद के साथ आने को कहा और स्पीकर के चुनाव में अनुपस्थित होने को कहा।
लालू यादव ने दिखाई अपनी असलियत
लालू प्रसाद यादव द्वारा NDA के विधायक को बिहार विधान सभा अध्यक्ष के लिए होने वाले चुनाव में महागठबंधन के पक्ष में मतदान करने हेतु प्रलोभन देते हुए। pic.twitter.com/LS9968q7pl
— Sushil Kumar Modi (मोदी का परिवार ) (@SushilModi) November 25, 2020
इसके बाद सुशील मोदी ने दावा किया कि इस नंबर की सत्यता की पुष्टि करने के लिए जब फोन किया तो सीधे लालू यादव ने ही कॉल रिसिव किया। यहाँ ध्यान देने वाली बात यह है कि लालू यादव चारा घोटाला मामले में जेल की सजा काट रहे हैं लेकिन फिर भी उनके पास फोन और सारी सुविधा मौजूद है।
ऐसा लगता है कि झारखंड में कांग्रेस और JMM मिल कर लालू को फाइव स्टार आगंतुक की तरह रख रही थी।
चारा घोटाले के कई मामलों में दोषी करार दिये जाने के बाद राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव रांची के बिरसा मुंडा जेल में थे, लेकिन रिपोर्ट के अनुसार स्वास्थ्य संबंधी शिकायतों के बाद उन्हें रांची स्थित रिम्स में भर्ती कर दिया गया था। करीब दो साल से उनका रिम्स में इलाज चल रहा है। कोरोना महामारी के दौरान संक्रमण के खतरे को देखते हुए अस्पताल प्रशासन ने उन्हें निदेशक बंगले में शिफ्ट कर दिया था। जब उनके फोन कॉल का खुलासा हुआ तो तुरंत उन्हें पेइंग वार्ड में शिफ्ट किया गया।
जिस तरह से ये पूरा मामला हुआ और BJP ने लालू यादव अंतिम दांवों एक्सपोज करते हुए कॉंग्रेस और JMM की मिलीभगत को उजागर किया वह किसी और की नहीं बल्कि शाहनीति का ही कमाल है।
बिहार की राजनीति में “लालूनीति” से ही सब काम होता था लेकिन अब बदलाव स्पष्ट नजर आ रहे हैं। अब न तो जेल में रह कर वे “गॉडफादर” बन सकते हैं और न ही विधायकों को अपनी ताकत से अपने धुन पर नचा सकते हैं,जिससे सरकार पलटे।
राजनीति में वैसी नीति ही सफल मानी जाती है जिससे साँप भी मर जाता और लाठी भी नहीं टूटती, यानि एक तीर से दो निशाने लग जाते हैं। जनता के प्यार के साथ यही नीति सत्ता के शीर्ष पर पहुंचाती है। अमित शाह इसी नीति पर काम करने वाले नेता हैं, जिसे शाहनीति भी कहा जाता है और अब भाजपा में इसी नीति से काम होता है। जिस तरह से लालू यादव द्वारा विधायकों को किए गए फोन रिकॉर्डिंग के साथ एक्सपोज किया गया है,उससे बिहार में बदलाव की भी एक झलक देखने को मिलती है कि अब जेल से बैठे-बैठे लालू यादव कुछ भी नहीं कर सकते।