लव जिहाद को लेकर भाजपा शासित राज्य सरकारों का रुख सख्त रहा है। उत्तर प्रदेश में तो इस मानवता विरोधी अपराध के खिलाफ़ अध्यादेश भी पारित किया जा चुका है। वहीं कांग्रेस का रवैया उदासीन ही रहा है। राजस्थान के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता अशोक गहलोत तो इसे भाजपा का नफरती एजेंडा बताते रहे हैं, लेकिन अब ऐसा लग रहा है कि कांग्रेस और गहलोत की मर्जी के बिना भी राजस्थान में लव जिहाद का कानून लागू हो सकता है जो कि कांग्रेस के लिए ही शर्मसार करने वाला हो सकता है।
हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान विधानसभा द्वारा पारित राजस्थान धर्म स्वतंत्रता विधेयक 2008 (राजस्थान धार्मिक रूपांतरण विधेयक) राष्ट्रपति के पास लंबित है। बीजेपी अपनी नीतियों के तहत इस विधेयक को पारित करने का आग्रह राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से करेगी। बीजेपी के ही कई राज्य की सरकारें लव जिहाद को लेकर काम कर रही हैं। इसमें सबसे आगे उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार है। योगी कैबिनेट ने तो इसको लेकर अध्यादेश भी जारी कर दिया है वहीं हरियाणा, मध्य प्रदेश में भी इसके लिए ड्राफ्टिंग जारी है। राष्ट्रपति अगर राजस्थान विधानसभा के 2008 में पारित इस विधेयक को मंजूरी देते हैं तो ये अशोक गहलोत के लिए किसी झटके की तरह होगा।
दरअसल, राजस्थान की वसुन्धरा राजे सिंधिया की सरकार ने लव जिहाद के खिलाफ विधानसभा में बिल पारित करवाया था। इसमें साफ कहा गया है कि मुस्लिम युवकों द्वारा हिंदू युवतियों को प्रेम संबंध बनाकर उन्हें इस्लाम कबूल करने के लिए विवश किया जाता है, जिनके खिलाफ 50,000 रुपए का जुर्माना और 5 साल कि सजा का प्रावधान किया गया है। ये बिल राष्ट्रपति के पास लंबित है ऐसी स्थिति में यदि ये पास होता है तो न चाहते हुए भी राजस्थान में ये कानून लागू हो जाएगा।
कांग्रेस शासित राज्य सरकारें इस लव जिहाद को बीजेपी का नफरती और मुस्लिम समाज के खिलाफ एजेंडा बताती रहीं हैं। महाराष्ट्र से लेकर छत्तीसगढ़, झारखंड और पंजाब में इसको लागू करने की कोई बात नहीं की गई है। जबकि इसका सबसे ज्यादा विरोध तो राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने किया था। अशोक गहलोत ने लव जिहाद पर कहा था, “लव जिहाद भाजपा द्वारा निर्मित एक ऐसा शब्द, जो इस देश को बाँटता है और सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ता है। विवाह निजी स्वतंत्रता की बात है, और इस पर रोक लगाने वाला कोई भी कानून स्वीकार नहीं किया जा सकेगा, क्योंकि यह असंवैधानिक है। प्रेम में जिहाद का कोई स्थान नहीं।”
They are creating an environment in the nation where consenting adults would be at the mercy of state power. Marriage is a personal decision & they are putting curbs on it, which is like snatching away personal liberty.
2/— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 20, 2020
उन्होंने कहा, “ये लोग [भाजपा] ऐसा माहौल बनाना चाहते हैं, जहां वयस्क लोग सरकार के रहमोकरम पर रहें। विवाह एक निजी निर्णय है, जिस पर अंकुश लगा वे निजी स्वतंत्रता का हनन कर रहे हैं।”
They are creating an environment in the nation where consenting adults would be at the mercy of state power. Marriage is a personal decision & they are putting curbs on it, which is like snatching away personal liberty.
2/— Ashok Gehlot (@ashokgehlot51) November 20, 2020
हमारी रिपोर्ट के मुताबिक अशोक गहलोत गांधी परिवार के सबसे ज्यादा नजदीकी कांग्रेसी नेताओं में शामिल हैं और उनके ये बयान दिखाते हैं कि राजस्थान सरकार और कांग्रेस का लव जिहाद को लेकर रवैया कितना ही उदासीन है। ऐसी स्थिति में कांग्रेस कभी नहीं चाहेगी कि लव जिहाद का ये कानून राष्ट्रपति द्वारा मंजूर किया जाए। दूसरी ओर बीजेपी ने इसको लेकर राष्ट्रपति से इस कानून को पारित करने की मांग कर दी है। इस मुद्दे पर विपक्ष के बीजेपी नेता गुलाब चंद कटारिया ने कहा, “कई राज्यों ने इस तरह के कानून बनाए हैं और इसे अदालत में चुनौती दी गई थी, लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली। मुझे नहीं लगता कि अब इसे लागू करने में कोई समस्या होगी।”
ऐसे में अगर अब ये कानून लागू होता है तो ये कांग्रेस की गहलोत सरकार के लिए चुनौती पूर्ण। गहलोत इस बिल के विरोधी हैं। ये बिल पास होगा तो गहलोत की भारी बेइज्जती होगी साथ ही अल्पसंख्यकों की उनके प्रति नाराज़गी बाहर आएगी। वहीं अब अगर वो इसे नकारते हुए वापस लेते हैं तो ये उनके बहुसंख्यक समर्थकों के लिए नाराजगी का सबब होगा। ऐसे में गहलोत के लिए एक तरफ कुंआ दूसरी तरफ खाई के अलावा ऊपर जहन्नुम और नीचे बेइज्जती की गर्त भी है।