मालदीव के पूर्व राष्ट्रपति और संसद के मौजूदा स्पीकर मोहम्मद नशीद ने कर्ज को लेकर चीन पर तीखा हमला किया और कहा कि अगर वे अपनी दादी के गहने भी बेच देते हैं तो भी ऋण का भुगतान नहीं कर पाएंगे।
दरअसल, चीन ने दुनिया भर के देशों को अपने कब्जे में करने के लिए खूब ऋण दिया है जिससे ये देश कभी ऋण चुका ही न पाये और चीन को उसकी मनमानी करने का मौका मिलता रहे। परंतु अब यही ऋण, या तो सरकार बदलने या फिर कोरोना के कारण डूबते नजर आ रहे हैं। अफ्रीका सहित दक्षिण एशिया के देश अब चीन से कोरोना का बहना बनाकर या तो ऋण माफ करने को कह रहे हैं या फिर और ढिलाई देने का आग्रह कर रहे हैं।
Discussing 2021 budget in Majlis today. 🇲🇻 debt repayments next year will amount to 53% of government revenue. Over 80% of debt repayments will go to China. Totally unaffordable. Even if we sell our grandmother’s jewelry, we won’t be able to afford these repayments. pic.twitter.com/Vc2v8n2Kov
— Mohamed Nasheed (@MohamedNasheed) November 18, 2020
पूर्व राष्ट्रपति और मौजूदा स्पीकर नशीद ने बुधवार को वार्षिक बजट को अंतिम रूप देते हुए चीनी ऋण के बारे में कहा कि “यह बिल्कुल unaffordable है।” नशीद ने लिखा कि “आज मजलिस में 2021 बजट की चर्चा हुई। अगले साल सरकारी राजस्व का 53% खर्च ऋण चुकाने में होगी और इनमें से 80% से अधिक ऋण चीन को दी जाएगी।“ उन्होंने आगे ट्वीट करते हुए लिखा कि, “यदि हम अपनी दादी के गहने बेचते हैं, तो भी हम चीन को ऋण चुकाने में सक्षम नहीं होंगे।“
बता दें कि मालदीव पर चीन का 3.5 बिलियन डॉलर का भारी कर्ज बकाया है जो कि अधिकतर लोन अब्दुल्ला यामीन की सरकार द्वारा लिया गया था जी चीन के अधिक करीबी माना जाता था।
कल ही इस सरकार की दूसरी दो साल की सालगिरह पर मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) के मुख्य केंद्र में आयोजित एक सभा में बोलते हुए, स्पीकर नशीद ने कहा कि चीनी सरकार ने मौजूदा COVID-19 महामारी के कारण नकारात्मक आर्थिक परिस्थितियों के बावजूद पुनर्भुगतान की शर्तों या नियमों को कम नहीं किया है।“
Speaker Nasheed requests leniency on China loan repayments https://t.co/FPZOhs2pxq
— The Edition (@editionmv) November 18, 2020
संसद अध्यक्ष और पूर्व राष्ट्रपति ने चीन सरकार से अपना रुख बदलने की अपील करते हुए कहा कि चीन जैसे बड़े देश एक छोटे राष्ट्र से ऋण चुकौती पर सख्ती करते हैं।
अपने भाषण के दौरान, स्पीकर नशीद ने जोर देकर कहा कि मालदीव की ऋण की स्थिति मौजूदा प्रशासन की कार्रवाइयों के कारण उत्पन्न नहीं हुई, और इसके बजाय पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल्ला यामीन अब्दुल गयूम द्वारा लागू की गई नीतियों का परिणाम था।
बता दें कि पांच साल के शासन के लिए यामीन चीन के करीबी के रूप में विख्यात थे और इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के चुनाव में जीतने से उनका शासनकाल समाप्त हो गया। इसके बाद वर्ष 2019 में, उन्हें को द्वीप राष्ट्र के पर्यटन उद्योग से जुड़ी मनी लॉन्ड्रिंग गतिविधियों के लिए जेल में डाल दिया गया था।
मालदीव के रवैये से यह स्पष्ट होता है कि वह चीन को भुगतान नहीं कर सकता है, ऐसे में चीन के कर्ज का डुबना तय ही लगता है। इससे ऐसा प्रतीत होता है कि चीन अब अपने बिछाये कर्ज़ के जाल में खुद ही फंस गया है और उसके द्वारा दिया गया हजारों करोड़ रुपये का कर्ज़ डूबने की कगार पर खड़ा है।
अफ्रीका से लेकर दक्षिण एशिया और ओशिनिया तक दुनिया भर के देश चीनी कर्ज चुकाने से पीछे हटने के संकेत दे रहे हैं। जबकि उनमें से कुछ ऋण निलंबन की मांग कर रहे हैं तो वहीं अन्य देश ऋण का भुगतान न कर पाने की स्थिति में हैं और कुछ अन्य चीनी ऋण का भुगतान करने से डंप करने की कोशिश कर रहे हैं। कई देशों में BRI का प्रोजेक्ट ठप पड़ा हुआ है तो वहीं, कई देश अब चीन के दिये गए कर्ज़ को चुकाने में आनाकानी कर रहे हैं तथा और समय की मांग कर रहे हैं। पाकिस्तान ऋणों के पुनर्भुगतान में दस साल की देरी चाहता है तो वहीं, अफ्रीकी देश भी कर्ज़-माफी की मांग कर रहे हैं। चीन ऐसे समय में ,जब उसका good will अपने न्यूनतम स्तर पर है, इन देशों की मांगों को खारिज नहीं कर सकता है। इसलिए, बीजिंग ने लगभग 77 देशों के लिए लोन पुनर्भुगतान को रोक दिया है। उनमें से 40 अफ्रीकी देश हैं। वर्ष 2019 में, बीजिंग ने लगभग 5 ट्रिलियन अमेरिकी डॉलर का ऋण दे रखा था जो अब डूबने के कगार पर है।