बीजेपी को लेकर ये कहा जाता है कि वो हमेशा चुनावी मूड में रहती है, लेकिन उसकी सफलता का राज यही है। हालिया उदाहरण ग्रेटर हैदराबाद महानगरपालिका के चुनाव हैं जिसे जीतने की कोशिश में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से लेकर गृहमंत्री अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ तक मैदान में उतर गए हैं। ये सभी यहां ओवैसी के गढ़ में खड़े होकर उनकी ही मुसीबतें बढ़ा रहें हैं और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव को आड़े हाथों ले रहे हैं। बीजेपी का ये रुख दिखाता है कि वो यहां कोई राजनीतिक प्रयोग नहीं कर रही है बल्कि वो हैदराबाद के इन चुनावों को जीतने पर काम कर रही है।
हैदराबाद के जीएचएमसी(GHMC) चुनावों के लिए होने वाले चुनाव प्रचार के आखिरी दिन गृहमंत्री अमित शाह ने हैदराबाद मे रोड शो किया और तेलंगाना के मुख्यमंत्री केसीआर के एआईएमआईएम के साथ गठबंधन को उजागर करते हुए रोहिंग्या और बांग्लादेशियों का मुद्दा उठा दिया। अमित शाह ने कहा, “जब भी संसद में या टीवी चैनलों में बांग्लादेशियों और रोहिंग्या के मामलों पर चर्चा होती है तो वे लोग उनका पक्ष लेने लगते हैं। जनता सब जानती है। जब मैं कार्रवाई करता हूं तो वे संसद में चिल्लाने लगते हैं। क्या आपने इनको हायतौबा मचाते नहीं देखा। उनसे कहिए कि वे हमें लिखकर दें कि अवैधरूप से रह रहे इन लोगों को देश से बाहर करो तो मैं इसे करूंगा। चुनावों में केवल बयानबाजी से कुछ नहीं होता।”अपने इस बयान के साथ ही अमित शाह ने रोहिंग्या और बांग्लादेशी घुसपैठियों का संसद मे समर्थन करने वाले असद्दुदीन ओवैसी को आड़े हाथों लिया है।
इसमें कोई शक नहीं कि कुछ लोगों ने हैदराबाद को अभी भी निज़ाम संस्कृति में समाहित कर रखा है। इसको लेकर गृहमंत्री शाह ने कहा, “हम हैदराबाद को नवाब-निजाम कल्चर से मुक्त कराते हुए इसे आधुनिक शहर बनाना चाहते हैं। हैदराबाद को डाइनेस्टी से डेमोक्रेसी, भ्रष्टाचार से पारदर्शिता और तुष्टीकरण से विकास की ओर ले जाना चाहते हैं।” अमित शाह ने इस दौरान हैदराबाद के विकास की बीजेपी की प्लानिंग बताई और कहा कि वो हैदराबाद को एक आईटी और इंडस्ट्रियल हब बनाने की दिशा में काम करने का रोड मैप सोच कर बैठे हैं। अमित शाह से पहले यहां बीजेपी के ही राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी जा चुके हैं।
यहां उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के रोड शो के दौरान कार्यकर्ताओं का जोश देखते ही बन रहा था। योगी ने भी ओवैसी के किले में खड़े होकर हैदराबाद का नाम बदल कर भाग्यनगर रखने की बात कह दी। उन्हें इस दौरान देखने और पसंद करने वालों की भीड़ बढ़ती ही जा रही थी। जो दिखाता है कि जनता बीजेपी के इन चेहरों को किस हद तक पसंद करने लगी है। साथ ये सभी रोहिंग्या और बांग्लादेशियों से जुड़े ऐसे मुद्दे उठा रहे हैं जिन पर कोई बात तक नहीं करता है और ये बीजेपी के लिए एक सकारात्मक पहलू की तरह ही है।
हैदराबाद के एक बड़े इलाके में इन लोगों ने अपना अवैध हक जमा रखा है। गैर कानूनी तरीके से इन्हें वोटर कार्ड मिल गए हैं जिसके चलते राजनीतिक पार्टियों ने इन्हें वोट बैंक की तरह देखना शुरू कर दिया है जबकि बीजेपी इसके इतर इन अवैध लोगों से परेशान लोगों के लिए एक विकल्प बनकर आई है और ये टीआरएस और एआईएमआईएम की मुश्किलों में इजाफा करेगा। साथ ही वो लोग जो इनके नाम पर अपनी राजनीतिक दुकानें चलाते हैं, उन्हें इन चुनावों में बीजेपी की जीत से एक बड़ी चोट मिलेगी।
हैदराबाद तेलंगाना की राजधानी है जिस पर पकड़ मजबूत करके बीजेपी राज्य के अपने राजनीतिक भविष्य का मार्ग प्रशस्त करेगी जो कि ओवैसी से ज्यादा बड़ा झटका तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव के लिए होगा। इसलिए केसीआर भी बीजेपी के इस रुख से परेशान हैं। ऐसे में बीजेपी की तैयारियों को देखते हुए कहा जा सकता है कि ओवैसी की लोक-सभा से छुट्टी करने के लिए बीजेपी हैदराबाद पर अपना राजनीतिक वर्चस्व स्थापित करने की ओर बढ़ चली है और ये हैदराबाद की निज़ामी संस्कृति पर भी एक तगड़ी चोट होगी।