पहले एर्दोगन ने हागिया सोफ़िया को मस्जिद में बदला, अब Pompeo सिखाएंगे तुर्की को सबक

स्पष्ट है अमेरिका में सरकार बदलेगी, विदेश नीति नहीं !

POMPEO

अगर एर्दोगन को लगा था कि वह बिना किसी मुश्किल का सामना किए हागिया सोफ़िया को एक मस्जिद में बदल देंगे और रोमन कल्चर का अपमान करते रहेंगे, तो यकीनन यह उनकी सबसे बड़ी गलती थी। अब लगता है कि अमेरिकी विदेश मंत्री Pompeo एर्दोगन को उनके किए की सजा देने की तैयारी कर चुके हैं। उनका हालिया तुर्की का दौरा तो इसी ओर इशारा कर रहा है।

अमेरिकी चुनावों के नतीजे के बाद यह यात्रा इस बात का संकेत भी है कि अमेरिका में सिर्फ सरकार बदली है उसकी विदेश नीति नहीं। Pompeo फ्रांस ,तुर्की समेत मध्य पूर्व के देशों के टूअर पर हैं। जिसमें धार्मिक स्वतंत्रता और आतंकवाद जैसे मुद्दे मुख्य चर्चा के बिन्दु होंगे।  इसी कड़ी में वे सोमवार को तुर्की के इस्तांबुल पहुंचे। हालांकि, उनके इस दौरे से यह स्पष्ट हो गया कि आने वाले दिन तुर्की के राष्ट्रपति के लिए अच्छे तो बिलकुल नहीं रहने वाले!

अपनी यात्रा के दौरान Pompeo तुर्की सरकार के किसी भी अधिकारी से नहीं मिले। यह इसलिए हैरान करने वाला था क्योंकि Pompeo तुर्की के निजी दौरे पर नहीं, बल्कि वे आधिकारिक दौरे पर थे। Pompeo ने ग्रीक रूढ़िवादी धर्मगुरु Bartholomew I of Constantinople से मुलाक़ात की। इसका महत्व कुछ कम नहीं है। ऐसा इसलिए क्योंकि हागिया सोफ़िया कभी ग्रीक रूढ़िवादी चर्च का मुख्य केंद्र हुआ करता था। Pompeo ने तुर्की सरकार को नकारकर और साथ ही ग्रीक धर्मगुरु से मुलाक़ात कर यह स्पष्ट कर दिया कि अमेरिकी सरकार हागिया सोफ़िया के मुद्दे पर अंकारा के समर्थन में नहीं है।

Pompeo का यह तुर्की दौरा पहले से ही एर्दोगन सरकार की नज़रों में खटक रहा था। तुर्की के दौरे से पहले अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा था “Pompeo इस्तांबुल का दौरा करेंगे, और धार्मिक मुद्दों पर बात करने के लिए वे ग्रीक रूढ़िवादी धर्मगुरु Bartholomew I of Constantinople से मुलाक़ात करेंगे ताकि दुनियाभर में धार्मिक आज़ादी को सुनिश्चित करने की दिशा में प्रयास किए जा सकें।”

इसके जवाब में तुर्की प्रशासन की ओर से एक बयान जारी कर कहा गया था “अमेरिकी विदेश मंत्रालय का बयान पूर्णतः अप्रासंगिक है। अमेरिका के लिए यही अच्छा होगा कि वह आईने में झांककर अपने यहाँ बढ़ रहे नस्लभेद, इस्लामोफोबिया और हेट क्राइम्स जैसे मुद्दों को सुलझाने का प्रयास करे।”

इसमें कोई दो राय नहीं है कि Pompeo के इस दौरे के बाद अमेरिका और तुर्की के रिश्तों में भयानक तनाव देखने को मिल रहा है। जब Pompeo Bartholomew I of Constantinople से मुलाक़ात करने के लिए जा रहे थे, तो लगभग 20 से 30 राष्ट्रवादी तुर्क लोगों ने Pompeo के वापस जाने के नारे भी लगाए, लेकिन Pompeo उन्हें नकारते हुए आगे बढ़ते रहे और बाद में एक बयान दिया “यहाँ आना बेशक गर्व की बात है।”

हागिया सोफिया मुद्दे पर अमेरिकी सरकार का रुख अब Catholic देशों को तुर्की के खिलाफ एकजुट कर सकता है। Pompeo तुर्की का मुद्दा फ्रांस के राष्ट्रपति Macron के साथ भी उठा चुके हैं। इसके साथ ही Nagorno-Karabakh विवाद और तुर्की द्वारा लीबिया में उठाए गए कदम पर भी अमेरिका ने आपत्ति जताई है। एक फ्रेंच अखबार को बयान देते हुए Pompeo ने कहा था “यूरोप और अमेरिका को साथ मिलकर एर्दोगन को यह विश्वास दिलाना ही होगा कि उनके द्वारा लिए जा रहे फैसले उनके देश के लोगों के हित में नहीं हैं।”

अमेरिकी विदेश मंत्री अब हागिया सोफिया मुद्दे को और बड़ा बनाने की पूरी तैयारी कर चुके हैं। एक तरफ जहां तुर्की Macron को इस्लाम विरोधी घोषित करने में लगा है, तो वहीं अब Pompeo एर्दोगन को ही ईसाई विरोधी सिद्ध करने की कोशिश में है। अपने हालिया दौरे से Pompeo ने यह स्पष्ट कर दिया है कि एर्दोगन को अपने किए गए कारनामों का दंड अब भुगतना ही होगा!

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