दक्षिण चीन सागर के बाद आर्कटिक क्षेत्र में बढ़ते चीन के कदम को रोकने के लिए रूस अब प्रतिबद्ध दिखाई दे रहा है। रिपोर्ट के अनुसार रूस ने आर्कटिक क्षेत्र में एक Tsirkon हाइपरसोनिक क्रूज़ मिसाइल का सफलतापूर्वक परीक्षण कर चीन को यह संदेश भेजने की कोशिश की कि वह इस क्षेत्र से दूर रहे नहीं तो भयंकर परिणाम हो सकते है।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार रूसी रक्षा मंत्रालय ने गुरुवार को घोषणा की और यह जानकारी दी। व्हाइट सी में फ्रिजेट Admiral Gorshkov से एक Tsirkon हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल दागी गई, जो कि बैरेट्स सी में 450 किमी दूर स्थित एक लक्ष्य को भेद रहा था। यह हाइपरसोनिक क्रूज मिसाईल मैक 8 से अधिक की गति से दूरी तय कर निशाने को मार गिराने की क्षमता रखता है।
इसी वर्ष जनवरी की शुरुआत में, इसी फ्रिगेट ने पहली बार एक Tsirkon मिसाइल दागी थी, जिसने 500 किमी से अधिक दूरी पर एक जमीनी लक्ष्य को भेदा था।
कुछ दिनों पहले ही राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा था कि वह आर्कटिक में अपनी “श्रेष्ठता” को बरकरार रखना चाहते हैं और उसने अपनी उपस्थिति को बढ़ाने के लिए अपने नौसेना के आइसब्रेकर बेड़े को नवीनीकृत करने की योजना बनाई है। यही नहीं, हाल के वर्षों में रूस ने आर्कटिक क्षेत्र में अपने सैन्य और वायु ठिकानों तथा रडार ठिकानों को फिर से खोलना शुरू कर दिया है।
रूस ऐसे कदम उन देशों के खिलाफ ले रहा है जो आर्कटिक क्षेत्र में उसे चुनौती देने का प्रयास कर रहे हैं, और ऐसे में सिर्फ एक ही देश दिखाई दे रहा है है और वह चीन है।
चीन आर्कटिक क्षेत्र में भी अपना प्रभाव बढ़ाता जा रहा है जिससे चिंता बढ़ना स्वाभाविक है। बीजिंग विशेष रूप से बाल्टिक सागर क्षेत्र में निवेश कर रहा है। चाहे लाटविया हो, लिथुआनिया या फिर एस्टोनिया, सभी BRI का हिस्सा हैं और इस तरह से आर्कटिक क्षेत्र में चीन को संसाधन पर हाथ साफ करने से कोई नहीं रोक पाएगा। यही नहीं, वर्ष 2018 में चीन ने अपने आप को “near-Arctic state,”घोषित कर दिया था। चीन आर्कटिक महासागर में मॉस्को के विशाल क्षेत्रीय जल पर रूसी संप्रभुता को चुनौती दे रहा है। चीन इस क्षेत्र को ‘Polar Silk Road’ के रूप में देख रहा है। बीजिंग लंबे समय से आर्कटिक को अपने सामरिक और आर्थिक हितों के लिए महत्वपूर्ण मान कर अपना प्रभुत्व बढ़ाने में लगा हुआ है, जिससे अब रूस भड़क गया है।
रूस के पास Sevastopol के रूप में सिर्फ एक ही Warm Water Naval Base है। आर्कटिक क्षेत्र के बर्फ पिघलने के साथ ही मॉस्को कई और बंदरगाहों और नौसैनिक अड्डों को विकसित करना चाहता है,जिससे वह वैश्विक समीकरणों पर प्रभाव जमा सके लेकिन चीन लगातार चुनौती बना हुआ है। यानि आज के दौर में देखा जाए तो रूस को अमेरिका से अधिक चीन से खतरा है।
अब उसी क्षेत्र में हाइपरसोनिक क्रूज मिसाइल का परीक्षण कर रूस का चीन के लिए इशारा था कि अगर किसी प्रकार की हरकत की तो उसका जवाब तुरंत दिया जायेगा। जिस तरह का रुख पुतिन चीन के खिलाफ अपना रहे हैँ, उससे स्पष्ट है कि वो चीन की आर्कटिक क्षेत्र में उपस्थिति को पसंद नहीं कर रहे हैं और उसे अपने क्षेत्र से हटाना चाहते हैँ ताकि चीन अपनी विस्तारवादी नीति आर्कटिक में न चला सके।