एक अहम निर्णय में Securities and Exchange Board of India यानि SEBI ने एनडीटीवी प्रमुख प्रणय रॉय और उनकी पत्नी राधिका रॉय के Securities Market में प्रवेश पर दो वर्षों के लिए निषेध लगा दिया है, और साथ ही साथ वित्तीय अनियमितताओं में लिप्त पाए जाने के लिए 16.97 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।
परंतु आखिर दोनों ने ऐसा क्या किया था जिसके कारण सेबी को इतने कड़े कदम उठाने के लिए प्रेरित होना पड़ा? SEBI के अनुसार सितंबर 2007 से अप्रैल 2008 के बीच प्रणय रॉय इनसाइडर ट्रेडिंग में लिप्त पाए गए। चूंकि प्रणय रॉय एनडीटीवी के तत्कालीन अध्यक्ष और राधिका रॉय मुख्य प्रबंधक थे, इसलिए वे इस धांधली के प्रमुख आरोपी सिद्ध हुए। इनसाइडर ट्रेडिंग से लिए शेयर्स को 17 अप्रैल 2008 को बेचकर प्रणय रॉय और राधिका रॉय ने 16.97 करोड़ रुपये का लाभ कमाया। ऐसा करके दोनों ने न केवल PIT के अधिनियमों का उल्लंघन किया, बल्कि अपने ही चैनल द्वारा इनसाइडर ट्रेडिंग को लेकर तय किए गए पैमानों की भी धज्जियां उड़ाई।
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परंतु बात वहीं पे नहीं रुकती। एनडीटीवी के वरिष्ठ पत्रकार एवं कई वाद विवाद कार्यक्रमों का संचालन कर चुके पत्रकार विक्रमादित्य उर्फ विक्रम चंद्रा ने तत्कालीन सीईओ और कंपनी के कार्यकारी निदेशक होने के नाते लगभग पौने सात लाख रुपये की कमाई की, जबकि कंपनी के सम्पादन एवं परियोजना विभाग के तत्कालीन वरिष्ठ सलाहकार ईश्वरी प्रसाद बाजपई ने 8.82 लाख रुपये का अवैध लाभ अर्जित किया। इन सभी को रॉय दंपति के साथ साथ पूरा का पूरा मूल्य, 6 प्रतिशत के अतिरिक्त ब्याज के हिसाब से चुकाने को कहा गया है।
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सच कहें तो पिछले कुछ वर्षों से एनडीटीवी के सितारे गर्दिश में ही है। प्रणय रॉय और राधिका रॉय पिछले वर्ष मुंबई एयरपोर्ट से किसी गुमनाम जगह भागने की फिराक में थे, लेकिन उन्हे सही मौके पर धर दबोचा गया। दरअसल, वित्तीय अनियमितताओं के चलते जांच में जुटी सीबीआई ने लुक आउट सर्कुलर भी जारी किया था, जिसके कारण दोनों के दोनों भागने से पहले ही धर दबोचे गए।
CBI ने पहले ही एनडीटीवी के विरुद्ध भ्रष्टाचार से उत्पन्न धन से दक्षिण अफ्रीका में अपने लिए एक आलीशान बांग्ला खरीदने का आरोप लगाया है। 2017 में सीबीआई ने इसी परिप्रेक्ष्य में प्रणय रॉय और राधिका रॉय के घर पर छापा भी मार था, जिसपर रॉय दंपति ने हो हल्ला मचाते हुए इस हमले को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए हानिकारक बताया। अब उनको लगता था कि पत्रकार होने के नाते वे चाहे कुछ भी करे, पर कोई उनको हाथ नहीं लगा पाएगा।
लेकिन वे यह भूल गए कि यह 2010 वाली केंद्र सरकार नहीं है, जो ऐसे भ्रष्ट पत्रकारों को न केवल अपनी मनमानी करने दिया करती थी, अपितु उन्हे मंत्रिमंडल के चुनाव में हस्तक्षेप करने की भी पूरी स्वतंत्रता देती थी। लेकिन अब ऐसा और नहीं चलने वाला, और जिस प्रकार से SEBI ने दोनों पर धाँधलेबाज़ी के लिए इतना तगड़ा जुर्माना लगाया है, उससे ऐसे भ्रष्ट व्यक्तियों को एक स्पष्ट संदेश केंद्र सरकार की ओर से जाता है – कायदे में रहोगे तो फायदे में रहोगे!