इसी वर्ष सितंबर में भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया ने साथ मिलकर Trilateral Supply Chain Initiative को लॉन्च किया था। इसका मकसद यह था कि ये तीनों देश कुछ अहम क्षेत्रों में अपनी सप्लाई चेन को चाइना-फ्री करने पर ज़ोर देंगे। भारत और जापान का दुनिया की Top 5 अर्थव्यवस्थाओं में नाम शामिल है और ऐसे में ये देश मिलकर चीन को बड़ी आर्थिक क्षति पहुंचाने की क्षमता रखते हैं। लेकिन, अब भारत चाहता है कि इस Initiative में ASEAN के देशों को भी शामिल किया जाये! 12 तारीख को भारत और वियतनाम मिलकर भारत-ASEAN समिट की अध्यक्षता भी करने वाले हैं, जिसमें भारत की ओर से इस प्रस्ताव को आगे बढ़ाया जा सकता है!
ASEAN अगर इस Initiative में शामिल होता है, तो यह चीन के लिए किसी बड़े प्रहार से कम नहीं होगा! ऐसा इसलिए क्योंकि ASEAN चीन का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर है। अगर ASEAN भारत और जापान जैसे देशों के साथ मिलकर चीन पर अपनी निर्भरता कम करने का प्रयास करता है तो यह चीन को सालाना कई बिलियन की हानि पहुंचा सकता है। भारत ने स्टील, फार्मा, automobiles, टेक्सटाइल, गार्मेंट्स और IT सर्विस जैसे ऐसे 10 सेक्टर्स चुने हैं, जहां ASEAN के साथ मिलकर चीन को भारी चोट पहुंचाई जा सकती है।
भारत इस Initiative को ऐसे वक्त में विस्तृत करना चाहता है, जब चीन पहले ही ASEAN, ऑस्ट्रेलिया, और जापान के साथ RCEP यानि Regional Comprehensive Economic Partnership को आगे बढ़ाने पर ज़ोर दे रहा है।
पिछले कुछ समय में भारत ने अपने इरादे स्पष्ट किए हैं कि वह ASEAN देशों पर अपने आर्थिक प्रभुत्व को बढ़ाना चाहता है। हाल ही में यह खबर भी सामने आई थी कि भारत और फिलीपींस के बीच एक Preferential Trade Agreement की बात चल रही है। फिलीपींस ने हाल ही में दक्षिण चीन सागर में अपनी ओर से “drilling” करने पर पाबंदी हटाने का भी फैसला लिया है, जिसके बाद इस बात की संभावना भी बढ़ गयी हैं कि भारत और फिलीपींस भविष्य में साथ मिलकर दक्षिण चीन सागर में Joint Exploration कर सकते हैं।
अमेरिका में अगर ट्रम्प फिर से राष्ट्रपति नहीं बनते हैं, तो अब ASEAN में चीन विरोधी मुहिम को आगे बढ़ाने के लिए भारत और जापान जैसे देश कमर कस रहे हैं। अमेरिका की ओर से बेशक चीन विरोधी मुहिम में कोई ढील देखने को मिल सकती है, लेकिन भारत और जापान की ओर से चीन को कोई राहत नहीं मिलने वाली! भारत RCEP से बाहर होकर पहले ही चीन को एक बड़ा झटका दे चुका है। अब भारत एक और बड़े वार की तैयारी में है।