चीन और पाकिस्तान की जुगलबंदी में एक नया मोड़ देखने को मिल रहा है। अब चीन पाकिस्तान को बचाने के लिए ASEAN देशों से पाकिस्तान में निवेश करवाना चाहता है जिससे पाकिस्तान में अपनी आर्थिक स्थिति सुधार सके और चीन अपने CPEC बचाने में सफल हो सके।
दरअसल, चीन के Nanning शहर में चल रहे 17 वें China-ASEAN Expo (CAEXPO) में पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने पाकिस्तान, चीन और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) के बीच अंतर क्षेत्रीय व्यापार के अवसरों को बढ़ाने के लिए व्यापार त्रिकोण स्थापित करने का प्रस्ताव दिया। अपने वर्चुअल सम्बोधन में पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की बड़ाई करते हुए आरिफ अल्वी ने चीन और उसके CPEC की भी जमकर तारीफ की।
हालांकि, जिस तरह से पाकिस्तान चीन की धुन पर नाचता है उससे यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है कि वास्तविक प्रस्ताव किसके तरफ से आया होगा। जितनी तारीफ अल्वी ने चीन की कर दी उतनी तो PR एजेंसियां भी नहीं करती।
चीन को यह पता है कि आज के दौर में सभी बड़े देश चीन के खिलाफ हो चुके हैं और चीन की अर्थव्यवस्था को चोट पहुंचाने का हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। चाहे वो अमेरिका हो या भारत या फिर जापान और ऑस्ट्रेलिया ही क्यों न हो। अब तो EU भी चीन से अपनी शर्तों को मनवाने की ज़िद्द कर रहा है। चीन की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे सिकुड़ रही है, और वह अपनी अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए ASEAN देशों की ओर नजर गड़ाए हुए है, लेकिन ASEAN भी वियतनाम के नेतृत्व में QUAD के साथ दिखाई दे रहा है।
वहीं अगर चीन की बात करे तो उसकी महत्वाकांक्षी योजना BRI आज पूरे विश्व में डूबने के कगार पर पहुँच गई है, पाकिस्तान में चल रहे इसी के एक हिस्से CPEC यानि China Pakistan Economic Corridor को बचाने की कोशिश में वह जुटा है। परंतु उसे कहीं से भी संबंध सुधरने के असार दिखाई नहीं दे रहे हैं। एक तो पहले से ही कोरोना के कारण CPEC का काम रुका हुआ था और अब उसकी लागत दोगुना बढ़ चुकी है। मूल रूप से 46 बिलियन अमेरिकी डॉलर के मूल्य वाला CPEC की कीमत अब 87 बिलियन अमेरिकी डॉलर होने का अनुमान है। लेकिन पाकिस्तान के पास चुकाने के लिए पैसे ही नहीं हैं। हाल ही में चीनी बैंकों ने पाकिस्तान में जारी CPEC के लिए नया कर्ज़ देने से मना भी कर दिया था।
यही कारण है कि अब चीन चाहता है कि ASEAN देश पाकिस्तान में निवेश करे जिससे वह पाकिस्तान की डूबती अर्थव्यवस्था के साथ अपने CPEC को भी बचा सके। हालांकि, यह स्पष्ट है कि लगातार बढ़ रहे दबाव से चीन की हताशा बढ़ रही है और वह हर फैसले के साथ अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार रहा है। चीन का ASEAN से पाकिस्तान में निवेश करवाने की चाल भी फेल होने वाली है और इसके कई कारण हैं। पहला पाकिस्तान की डूबती अर्थव्यवस्था, दूसरा पाकिस्तान में एक आतंकी देश है और कोई भी देश ऐसे खतरों से भरे माहौल में निवेश नहीं करने वाला है। वह भी ऐसे समय में जब तालिबान फिर से पड़ोसी देश अफ़ग़ानिस्तान को अपने कब्जे में ले रहा है। और तीसरा कारण पाकिस्तान पर चीनी नियंत्रण। ASEAN के लगभग सभी देश चीन की आक्रामक नीति से परिचित हैं और चीन के बहिष्कार में लगे हुए हैं। ऐसे में पाकिस्तान में दांव लगाने से पहले ये सभी देश हजार बार सोचेंगे। यानि अगर यह कहा जाए कि चीन का यह दांव भी फेल होने जा रहा है तो यह गलत नहीं होगा।