अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडन की जीत के बाद लगभग सभी देशों की प्रतिक्रिया आनी शुरू हो गई है। हालांकि, इन प्रतिक्रियाओं में एक बात खास देखने को मिल रही है और वह है विदेश नीति। सभी प्रमुख देशों जैसे दक्षिण कोरिया, जापान, इजरायल और भारत ने प्रतिक्रिया देते हुए जो बाइडन को यह संकेत दिया है कि अगर उन्होंने ट्रंप की विदेश नीति को आगे नहीं बढ़ाया तो इन देशों के साथ अमेरिका के रिश्तों में खटास आ सकती है।
दरअसल, दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति ने कोरियाई प्रायद्वीप में जो बाइडन से ट्रंप की विदेश नीति अपनाने को कहा है। यह बात सभी को पता है कि कैसे ट्रंप ने उत्तर कोरिया के साथ बातचीत कर इस क्षेत्र में शांति लाने का प्रयास किया था। उनके बातचीत से ना सिर्फ उत्तर कोरिया के बढ़ते कदम को रोका गया था, बल्कि उसकी चीन से नजदीकी भी कम हुई थी। अब सियोल अमेरिका में सत्ता परिवर्तन के बाद भी इसे जारी रखना चाहता है। South China Morning Post की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रपति Moon Jae-in ने एक मीटिंग में कहा कि अगले राष्ट्रपति जो बाइडेन भी उत्तर कोरिया के खिलाफ ट्रंप की परमाणु निरस्त्रीकरण नीतियों को पालन करे जिससे कोरिया प्रायद्वीप में किसी प्रकार का वैक्यूम ना बने।
उन्होंने कहा कि, “मैं पूरी कोशिश करूंगा कि जो अनमोल उपलब्धियां ट्रम्प प्रशासन के तहत मिली हैं उसे अगली सरकार के साथ मिलकर आगे बढ़ायें।”
इसके दो ही कारण हो सकते हैं, पहला उत्तर कोरिया के परमाणु प्रसार को रोकना और दूसरा उसे एक बार फिर से चीन के नजदीक जाने से रोका जा सके।
सिर्फ दक्षिण कोरिया ही नहीं, बल्कि इजरायल, जापान और भारत ने भी बाइडन से ट्रंप की विदेश नीति को ही आगे बढ़ाने के संकेत दिये हैं। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ना सिर्फ जो बाइडन को जीत की बधाई दी बल्कि डोनाल्ड ट्रंप को चार वर्ष की दोस्ती के लिए धन्यवाद भी दिया। उन्होंने लिखा धन्यवाद “डोनाल्ड ट्रम्प आपने जिस तरह इजरायल और व्यक्तिगत मेरे साथ दोस्ती दिखाई है उसके लिए धन्यवाद, यरूशलेम और गोलन को इजरायल के हिस्से के रूप में मान्यता देने के लिए, ईरान के सामने खड़े होने के लिए, ऐतिहासिक शांति समझौते के लिए और अमेरिकी–इजरायल गठबंधन को अभूतपूर्व ऊंचाइयों पर पहुंचाने के लिए, धन्यवाद।“
यही नहीं नेतन्याहू का ट्विटर हेडर अभी भी ट्रंप के साथ का ही लगा है। यह एक तरह से जो बाइडन के लिए संदेश ही है कि जिस तरह से कई अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर डोनाल्ड ट्रंप इजरायल के साथ खड़े थे उसी तरह की विदेश नीति बाइडन को भी अपनानी होगी।
Thank you @realDonaldTrump for the friendship you have shown the state of Israel and me personally, for recognizing Jerusalem and the Golan, for standing up to Iran, for the historic peace accords and for bringing the American-Israeli alliance to unprecedented heights.
— Benjamin Netanyahu – בנימין נתניהו (@netanyahu) November 8, 2020
इसी तरह जापान ने भी बाइडन के व्हाइट हाउस में एंट्री से पहले ही यह संकेत दिया है कि अमेरिका को किसी भी हालत में चीन से निपटने के लिए जापान की आवश्यकता पड़ेगी और जिस तरह से चीन आक्रामकता कम नहीं कर रहा, वैसी स्थिति में बाइडन को ट्रंप जैसी कड़ी नीति को अपनाना होगा।
जापान के प्रधानमंत्री के सलाहकार ने एक इंटरव्यू में कहा कि, चीन और अमेरिका के बीच तनाव एक नए राष्ट्रपति के आ जाने से समाप्त नहीं होगा, क्योंकि डेमोक्रेट और रिपब्लिकन दोनों इस बात पर सहमत हैं कि चीन अमेरिका के लिए मुख्य रणनीतिक प्रतिद्वंद्वी है। ऐसे में चीन से निपटने के लिए जापान की अहम भूमिका होगी।
वहीं, भारत ने भी जो बाइडन को यह संदेश दिया है कि अब भारत और अमेरिका के रिश्तों को आगे बढ़ाने की जिम्मेदारी उनकी है। इसी दिशा में भारत ने सोमवार को राज्य प्रायोजित आतंकवाद की सूची से सूडान को हटाने का स्वागत किया है। इसके साथ ही भारत ने सूडान और इजरायल के बीच हुए शांति और सामान्यीकरण समझौते का भी स्वागत किया है। ये समझौता दोनों देशों के बीच पिछले महीने हुआ था परन्तु भारत ने अब इस डील को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है जो दर्शाता है कि भारत ट्रम्प को नीतियों को ही आगे बढ़ाने के पक्ष में है। ये एक तरह से बाइडन के लिए संकेत भी है कि वो अमेरिका को उसी दिशा में लेकर नीतियां बनाये जिस दिशा में डोनाल्ड ट्रम्प प्रयासरत थे।
जिस तरह से ट्रम्प ने राष्ट्रपति रहते हुए भारत के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी को आगे बढ़ाया, जिसे अब और आगे बढ़ाना बाइडन की ज़िम्मेदारी है।
इस तरह से देखा जाए तो विश्व के बड़े देशों ने बाइडन को स्पष्ट संकेत दिया है कि उन्हें ट्रंप के विदेश नीति पर खास कर चीन के खिलाफ चलना होगा। अगर ऐसा नहीं होता है तो भविष्य में अमेरिका के लिए ही मुश्किलें बढ़ेंगी और उसके वर्चस्व को चुनौती भी मिल सकती है