कभी चीते को भागने के लिए कछुए से ट्रेनिंग लेते देखा है, या कभी शेर को शिकार करने के लिए लोमड़ी का सहारा लेते देखा है? यदि नहीं तो तुर्की में आपका स्वागत है, जहां ये विचित्र नजारा आपको देखने को मिलेगा। आम तौर पर किसी संकट से लड़ने के लिए लोग उच्चतम संसाधनों का सहारा लेते हैं, लेकिन तुर्की अपने वायुसेना में पायलटों के अकाल को पूरा करने के लिए पाकिस्तान के वायुसैनिकों का सहारा ले रहा है।
जी हाँ, आपने ठीक सुना। तुर्की अपने वायुसेना में पायलटों की कमी को पाटने के लिए पाकिस्तानी वायुसेना का सहारा ले रहा है। इस बारे में प्रकाश डालते हुए ग्रीक सिटी टाइम्स नामक न्यूज पोर्टल ने बताया, “तुर्की के प्रोपेगेंडा हवाई युद्ध’ के परिप्रेक्ष्य में हमने सोच कि क्यों न तुर्की की एफ-16 फाइटर जेट्स के बारे में बात की जाए, जिन्हें अप्रशिक्षित पाकिस्तानी फाइटर पायलट पिछले कुछ सालों से चला रहे हैं। इससे स्पष्ट पता चलता है कि तुर्की ग्रीस से मुकाबला करने के लिए कितना तैयार है।”
लेकिन भला पाकिस्तान तुर्की के जेट्स का इस्तेमाल कैसे कर रहा है, और आखिर क्यों तुर्की को पाकिस्तानी पायलटस की सेवा लेनी पड़ रही है? इसका उत्तर स्वयं ग्रीक सिटी टाइम्स ने अपने लेख में लिखते हुए कहा कि, “इसमें कोई दो राय नहीं है कि तुर्की और पाकिस्तान में दांत काटी दोस्ती है। स्वयं पाकिस्तान ने कहा है कि तुर्की का दुश्मन उसका दुश्मन है। लेकिन हम इस बात में क्यों रुचि रखें? दरअसल, 2016 के असफल तख्तापलट के बाद तुर्की के राष्ट्राध्यक्ष एर्दोगन ने उन सभी सैनिकों को हिरासत में लिया, जिन पर उन्हें संदेह था। तुर्की को करीब 1350 पायलटस की आवश्यकता पड़ती है, और 2017 आते-आते उनके पास 400 से भी काम पायलटस थे। इसलिए उन्होंने पाकिस्तान की सेवा ली। प्रारंभ में वह चाहता था कि अमेरिका उसकी सहायता करे, लेकिन अमेरिका द्वारा पाकिस्तानी पायलटस को तुर्की में ट्रेनिंग देने से मना करने के बाद तुर्की ने यह जिम्मेदारी स्वयं संभाल ली।”
शायद तुर्की के वर्तमान प्रशासक इतिहास के बारे में कोई जानकारी नहीं रखते, वरना उन्हें पता चलता कि पाकिस्तान के पायलटस को प्रशिक्षण देकर वे कैसे अपने ही पैर पर कुल्हाड़ी मार रहे हैं। पाकिस्तान वह देश है जिसके हाथ में हथियार माने बंदर के हाथ में उस्तरा। 1967 में जब पांच अरब देशों ने मिलकर इज़रायल पर धावा बोला, तो पाकिस्तान ने भी बहती गंगा में हाथ धोने के लिए अपनी वायुसेना को उस क्षेत्र में भेज दिया। लेकिन इज़रायल को डराना तो दूर की बात रही, उलटे इज़रायल ने ही पाकिस्तान को बाकी पाँच देशों की भांति हवाई युद्ध में पटक-पटक के धोया।
इसके अलावा पाकिस्तान ने दशकों से अमेरिका से रक्षा सहायता के नाम पर अत्याधुनिक हथियार लिए हैं, परंतु उनका इस्तेमाल अधिकतर उसने भारत के विरुद्ध आतंकवाद को बढ़ावा देने या फिर युद्ध में इस्तेमाल हेतु ही किया है। पुलवामा हमले के बाद पाकिस्तान के बालाकोट में स्थित आतंकी कैमप्स को जब भारतीय वायुसेना ने नष्ट किया, तो प्रत्युत्तर में पाकिस्तान ने भारत पर आक्रमण करते हुए अमेरिकी एफ-16 फाइटर जेट्स का इस्तेमाल किया, जिसके प्रमाण के तौर पर भारतीय सेना ने पाकिस्तान द्वारा असफल फायरिंग से बरामद हुए AMRAAM मिसाइल [जो केवल एफ 16 द्वारा प्रक्षेपित किए जाते हैं] प्रदर्शित किए।
तुर्की की वर्तमान व्यवस्था को देखते हुए बचपन में सुनी एक कहावत याद आती है, ‘अशर्फियाँ लुटे, कोयलों पर मोहर’, यानि सही चीज छोड़कर दोयम दर्जे की वस्तुओं पर जरूरत से ज्यादा भरोसा करना। किसी संकट से लड़ने के लिए कोई देश उच्च से उच्चतम साधन का उपयोग करता है, लेकिन तुर्की अपनी रक्षा क्षमता को बढ़ाने के लिए पाकिस्तान का सहारा ले रहा है। लेकिन ये स्वाभाविक भी है, क्योंकि आर्थिक तौर पर अब दोनों देशों में जल्द ही कोई विशेष अंतर नहीं रहने वाला।