अब UAE ने कसा पाकिस्तान पर शिकंजा, अब फिलिस्तीन समर्थक पकिस्तानियों को जेल में डाल रहा

UAE की पाक को धमकी - हमारा कहा मानो नहीं तो तो सब बर्बाद कर देंगे

UAE

कहते हैं, जब सीधी उंगली से घी न निकले, तो उंगली टेढ़ी करनी पड़ती है। कुछ ऐसी ही सोच के साथ अब संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने पाकिस्तान की हेकड़ी को ठिकाने लगाने के लिए एक अनोखा अभियान चलाया है, जो न केवल पकिस्तानियों को तगड़ा सबक सिखाएगा, बल्कि उन पर कूटनीतिक दबाव भी बढ़ाएगा।

पिछले कुछ दिनों में UAE ने अपने देश में उत्पात मचा रहे पाकिस्तानियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई प्रारंभ कर दी है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, “संयुक्त अरब अमीरात में फिलिस्तीन समर्थक पकिस्तानियों को गिरफ्तार किया जा रहा है। इसके साथ ही यूएई में रह रहे आम पाकिस्तानी नागरिकों को छोटे-मोटे अपराधों में भी गिरफ्तार कर जेल में डाला जा रहा है। इस मामले से जुड़े लोगों के अनुसार अबू धाबी में सिर्फ अल सवईहान जेल में करीब 5 हजार पाकिस्तानी कैदियों को रखा गया है।”

इसी रिपोर्ट में आगे बताया गया, “यूएई (UAE) में नौकरी के लिए जाने वाले पाकिस्तानी नागरिकों के लिए सख्त वीजा मानदंड लागू किया जा सकता है। इसके साथ ही पाकिस्तानियों को रेजिडेंट परमिट को रिन्यू कराने में मुश्किल हो रही है और उनको डिपोर्ट किए जाने का डर सताने लगा है। हालांकि, आधिकारिक तौर पर यूएई ने इस तरह का कोई आदेश नहीं दिया है।”

लेकिन सिर्फ यही कारण नहीं है जो UAE पाकिस्तान के विरुद्ध इतना आक्रामक हुआ पड़ा है, बल्कि इसके पीछे एक कूटनीतिक रूप से अहम कारण भी है। दरअसल, अभी कुछ ही महीनों पहले यूएई ने एक ऐतिहासिक निर्णय में इज़राएल के साथ शांति समझौता किया था, और वह ऐसा कुछ भी नहीं चाहता जिससे इस नए संबंध में दरार आए। फ़िलस्तीन के साथ इज़राएल की काफी लंबी लड़ाई चली है, और जिस प्रकार से पाकिस्तान फ़िलस्तीन के समर्थन के नाम पर फ़िलस्तीन में उग्रवाद को भड़काता रहा है, वो यूएई के लिए काफी चिंताजनक है।

इसलिए UAE अपनी वर्तमान कार्रवाई से पाकिस्तान को एक संदेश भेजना चाहता है – या तो फ़िलस्तीन पर अपना रुख बदलो नहीं तो अपने रुख पर अड़े रहने का दुष्परिणाम भुगतो। इसकी ओर अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने भी हाल ही में एक साक्षात्कार में इशारा भी किया था। उनके अनुसार, “अब इस्लामाबाद को भी इजरायल को मान्यता देने के लिए कहा जा रहा है, जिसे उनकी सरकार ने अभी खारिज कर दिया है। इजरायल का अमेरिका में एक मजबूत प्रभाव है।”

लेकिन जब उनसे उन देशों के नाम पूछे गए, जिन्होंने इस्लामाबाद पर इजरायल को मान्यता देने के लिए दबाव बनाया है, तो इमरान खान ने कहा कि वो नाम नहीं बता सकते क्योंकि उन देशों के साथ पाकिस्तान के अच्छे संबंध हैं। लेकिन जिस प्रकार से खाड़ी देश की ओर से पाकिस्तान के नागरिकों पर कार्रवाई हो रही है, उससे ये अंदाज़ा लगाना गलत नहीं होगा कि कौन से देश पाकिस्तान पर फ़िलस्तीन का साथ छोड़ने के लिए दबाव बना रहे हैं।

सच कहें तो UAE ने अपने वर्तमान निर्णय से एक ही तीर से दो शिकार किए हैं। एक तो उन्होंने अपने देश में पाकिस्तान द्वारा उग्रवाद को दिए जा रहे बढ़ावे पर लगाम लगाने की दिशा में एक सार्थक कदम बढ़ाया है, तो वहीं दूसरी ओर उसने पाकिस्तान को स्पष्ट संदेश दिया है – या तो हमारी बात मानो नहीं तो अपनी बर्बादी की कथा लिखो।

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