ये दुनिया भी बड़ी विचित्र है। तुर्की और पाकिस्तान जैसे कुछ देश हैं, जो अपने आप को अधिक मुसलमान सिद्ध करने के लिए अधिक दकियानूसी बनने को तैयार है, तो वहीं दूसरी ओर यूएई जैसे देश भी हैं, जो इस्लाम के हर सिद्धांत का अक्षरश: पालन करने के साथ-साथ अपने देश को और अधिक उदार बनाने को प्रयासरत हैं।
हाल ही में यूएई ने एक अहम निर्णय में अपने देश के कानूनों में कई व्यापक सुधार करते हुए हर प्रकार के नागरिकों के लिए कई सुविधाओं का प्रबंध किया है। उदाहरण के लिए यदि किसी लड़की के साथ यौन-शोषण हुआ है, या किसी भी प्रकार का शोषण हुआ है, तो आरोपी बचकर निकल नहीं पाएगा, और न ही लड़की के संबंधी होने का कोई फायदा उसे मिलेगा, बल्कि उसे कड़ी से कड़ी सजा मिलेगी। इस दायरे में किसी लड़की का पीछा करना और छेड़खानी जैसे अपराध भी शामिल होंगे।
The UAE has announced a raft of major legal reforms.
➡️Unmarried couple can live together legally.
➡️Alcohol consumption decriminalised.
➡️Male relatives will no longer get lighter punishment for assaulting a female relative
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— Sameer Hashmi (@sameerhashmi) November 7, 2020
लेकिन ये तो कुछ भी नहीं है। अपने कानूनों में व्यापक सुधार करते हुए यूएई ने ये सुनिश्चित किया है कि न केवल शराब के सेवन पर कम पाबंदियां लगेंगी, अपितु अविवाहित दंपति यूएई में वैधानिक तौर पर रह भी सकते हैं। इतना ही नहीं, यदि किसी कारणवश कोई शादीशुदा दंपति तलाक लेते हैं, तो उन्हें यूएई के कानून के अनुसार नहीं, बल्कि अपने देश के कानून के अनुसार तलाक संबंधी मामलों के निस्तारण की सुविधा मिलेगी।
यूं तो यूएई पहले से काफी उदारवादी देश है, जहां लोगों को अन्य मिडिल ईस्ट देशों की भांति काफी सुविधाएं मिलती हैं, परंतु पहली बार ऐसा हो रहा है जब किसी इस्लामिक बहुल देश में इस प्रकार के सामाजिक उदारीकरण को बढ़ावा दिया जा रहा है। लेकिन इसमें हैरान होने जैसी कोई बात नहीं है – ये वही यूएई है जिसने इज़रायल के साथ हाल ही में एक ऐतिहासिक शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया है।
पिछले कुछ महीनों से यूएई एक के बाद एक ताबड़तोड़ निर्णय ले रहा है, जिससे लोगों के बीच ये संदेश जा सके कि यूएई अपनी जनता की सुख शांति के लिए कितना प्रतिबद्ध है। जैसे कि पहले बताया गया, यूएई ने वर्षों की लड़ाई पर पूर्ण विराम लगाते हुए इज़रायल के साथ शांति समझौते पर हस्ताक्षर किया था।
लेकिन बात सिर्फ वहीं पर नहीं रुकी। यूएई ने अपने नागरिकता अधिनियमों में अहम बदलाव करते हुए दुनिया के अन्य नागरिकों के लिए भी यूएई के दरवाजे खोल दिए हैं। अरेबियन बिजनेस की रिपोर्ट के अनुसार, अब यूएई की नागरिकता पाने के लिए याचिकाकर्ता को इन पैमानों पर खरा उतरना होगा:
- किसी अन्य देश की नागरिकता का परित्याग करना
- वैधानिक रूप से देश में निवास करना
- अरबी भाषा में निपुण होना
- जीवनयापन के लिए एक वैधानिक व्यवसाय में लिप्त होना
- शैक्षिक रूप से सम्पन्न होना
- अपना व्यवहार सही रखना
- किसी अपराध में दोषी नहीं पाए जाना
- आवश्यक सुरक्षा मान्यताओं पर खरा उतरना
- राज्य के प्रति वफादारी की शपथ लेना
इससे पहले किसी गैर अरब को यूएई की नागरिकता चाहिए होती थी, तो उसे कम से कम 30 वर्षों के लिए यूएई में निवास करना पड़ता था। इसके अलावा भी एक गैर अरब को अनेकों प्रकार के पापड़ बेलने पड़ते थे, और अरबी भाषा में निपुण होना पड़ता था, तब जाकर उसे यूएई की नागरिकता मिलती थी। हालांकि, अरबियों के लिए कोई ऐसी समस्या नहीं थी, क्योंकि अगर वे ओमान, क़तर या बहरीन के नागरिक थे, तो वे केवल तीन वर्ष के बाद ही आवेदन कर सकते थे। वहीं, दूसरे देशों में रहने वाले अरबियों को सात वर्षों के अंदर-अंदर ही यह सुविधा प्राप्त हो जाती थी।
तो इस अधिनियम से किसे विशेष रूप से फायदा होने वाला है? यूएई में लगभग 90 प्रतिशत आबादी प्रवासियों से भरी हुई है, जिसमें करीब 28 प्रतिशत अकेले भारत से आते हैं, और वे हर वर्ष 14 बिलियन डॉलर से अधिक धनराशि भारत भेजते हैं। यह अमेरिका से प्रवासी भारतीयों द्वारा भेजी जाने वाली रकम से कई गुना ज़्यादा है।
अब जिस प्रकार से यूएई ने अपने कानूनों में व्यापक सुधार किया है, उससे एक संदेश स्पष्ट जाता है– अब दुनिया के लिए यूएई के दरवाजे पूरी तरह से खुल चुके हैं, और यहाँ उन्हें वैसे ही सारी सुविधाएं मिलेंगी, जो किसी प्रगतिशील देश में मिलनी चाहिए। जिस सुधारवादी नीति के लिए कभी तुर्की विश्वभर में प्रसिद्ध था, अब उसी नीति को अपना यूएई अपने आप को और समृद्ध बना रहा है।