अमेरिका के राष्ट्रपति बनने की ओर जो बाइडन अग्रसर हैं, और कई देश इस बात के लिए उन्हें बधाई भी दे चुके हैं, लेकिन अगर चीन की बात करे, तो वो आश्चर्यजनक रूप से शांत है। जो चीन बाइडन को सत्ता में आसीन होते देखने के लिए लालायित था, वो बाइडन को सत्ता के करीब पहुंचते देखकर भी चुप है। न चीनी राजदूत, न चीन के राष्ट्राध्यक्ष, यहाँ तक कि चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स ने भी ट्रम्प की संभावित हार को बढ़ा-चढ़ाकर नहीं दिखाया।
ऐसा क्यों है? ऐसा इसलिए क्योंकि चीन को अभी भी ट्रम्प का ‘भूत’ सता रहा है। ये भय यूं ही नहीं है, क्योंकि बाइडन भले ही अभी के लिए राष्ट्रपति चुने जा चुके हो, परंतु कागजी ड्रैगन चीन भली-भांति जानता है कि 20 जनवरी 2021 तक अमेरिका की सत्ता ट्रम्प के हाथ में ही है, और वह कुछ ऐसे निर्णय भी ले सकते हैं कि बाइडन चाहे न चाहे, परंतु वह उनकी चीन विरोधी नीतियों को बिल्कुल नहीं कुचल सकते हैं।
न्यूज एजेंसी ANI के अनुसार, विशेषज्ञों और पूर्व अफसरों का मानना है कि ट्रम्प ‘जाने से पहले’ कुछ ऐसे निर्णय चीन के परिप्रेक्ष्य में ले सकते हैं, जो न सिर्फ लंबे समय के लिए प्रभावी रहेंगे, अपितु उनके उत्तराधिकारी, यानि जो बाइडन चाहकर भी उन नीतियों को नहीं बदल पाएंगे। पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद अफसर जेफ़ मून ने इसी विषय पर प्रकाश डालते हुए कहा, “ट्रम्प ने वादा किया था कि वह वुहान वायरस दुनिया भर में फैलाने के लिए चीन को सजा देंगे, तो अब प्रश्न यह है कि वह इस काम को कैसे अंजाम देंगे?”
सच कहें तो इस दिशा में अमेरिका ने पहले ही काम शुरू कर दिया। उन्होंने हाल ही में पूर्वी तुर्किस्तान इस्लामिक मूवमेंट को अपने आतंकी संगठनों की सूची से हटा दिया है। ये इसलिए भी है, क्योंकि ये संगठन चीन के कब्जे में स्थित शिंजियांग में काम करती है, और इसलिए भी क्योंकि आतंकी हमलों को नियंत्रण में रखने के नाम पर शिंजियांग में हो रहे उइगर मुसलमानों पर अत्याचार को चीन के उच्चाधिकारी उचित ठहराना चाहते हैं।
लेकिन बात यहीं तक सीमित नहीं है। साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से बातचीत के दौरान सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटेरनेश्नल स्टडीज़ चाइना पॉवर प्रोजेक्ट के निदेशक बॉनी ग्लेजर के अनुसार ट्रम्प प्रशासन अब कुछ ऐसे निर्णय ले सकती है, जिसे हटना बाइडेन के लिए लगभग नामुमकिन होगा। उनके अनुसार, “चाहे चीन हो या फिर ईरान, अब कुछ ऐसे निर्णय लिए जाएंगे, जिन्हें हटाना लगभग नामुमकिन होगा।”
इस दिशा में ट्रम्प कुछ अहम निर्णय भी ले सकते हैं, जैसे चीनी प्रशासन द्वारा संचालित कंपनियों पर प्रतिबंध लगाना, दोहरे उपयोग में सक्षम मिलिटरी एक्स्पोर्टस पर प्रतिबंध लगाना और कई चीनी एप पर प्रतिबंध लगाना है। भौगोलिक स्तर पर ट्रम्प दक्षिण चीन सागर में चीन को चुनौती देकर ताइवान के साथ अपनी साझेदारी बढ़ा सकते हैं, जिससे चीन की हेकड़ी पहले जैसी नहीं रहेगी।
इसी परिप्रेक्ष्य में साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट से बातचीत के दौरान जेम्स ग्रीन नामक जॉर्जटाउन विश्वविद्यालय के वरिष्ठ फ़ेलो बताते हैं, “यहाँ पर ट्रम्प के पास शपथ ग्रहण से पहले कई अमेरिकी नीतियों में व्यापक बदलाव करने का बेहद सुनहरा अवसर है। मुझे नहीं लगता कि ट्रम्प इतनी आसानी से सत्ता छोड़ेंगे।”
ऐसे में यदि वाकई में ट्रम्प को सत्ता छोड़नी पड़ेगी, तो भी उनके पास शान से सत्ता छोड़ने का एक सुनहरा अवसर है। यह बात चीन भी भली-भांति जानता है, और इसलिए वह चाहकर भी ट्रम्प के संभावित हार की खुशी नहीं मना सकता।