जानिए, क्यों अमेरिका का सुप्रीम कोर्ट अब तय करेगा कि राष्ट्रपति कौन होगा

गेंद अब सुप्रीम कोर्ट के पाले मे है..

अमेरिका

अमेरिकी मीडिया ने राष्ट्रपति चुनाव के परिणामों की कथित तौर पर घोषणा की है, और उनके अनुसार डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडन अमेरिका के राष्ट्रपति बनने जा रहे हैं। लेकिन जितना सरल यह लग रहा है, उतना है नहीं। अगर वर्तमान समीकरणों पे ध्यान दें, तो ऐसा प्रतीत होता है कि अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट यह तय करेगा कि अगला अमेरिकी राष्ट्रपति कौन बनेगा।

सत्ताधारी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का मानना है कि इस बार के चुनाव में धांधली हुई है और वे हर हाल में इस मामले में इसे सुप्रीम कोर्ट में ले जाकर ही रहेंगे। भले ही अमेरिकी मीडिया ये दावा कर रही हो कि ट्रम्प बिना किसी ठोस सबूत के ऐसे आरोप लगा रही है, लेकिन ऐसे कई रिपोर्ट्स और साक्ष्य सामने आए हैं, जो ये सिद्ध करते हैं कि अमेरिका में सब कुछ ठीक नहीं है।

ट्रम्प के वकीलों ने ये भी दावा किया है कि पेन्सिलवेनिया जैसे राज्यों में अभी लड़ाई खत्म नहीं हुई है। पेन्सिलवेनिया, मिशिगन, विस्कॉन्सिन, एरिज़ोना इत्यादि ऐसे राज्य थे जहां डोनाल्ड ट्रम्प को अच्छी खासी बढ़त थी, लेकिन देखते देखते ही जो बाइडेन के मत प्रतिशत में जबरदस्त उछाल आया, और उन्होंने यह राज्य ट्रम्प से हथिया लिए।

राष्ट्रपति के निजी अधिवक्ता रुडी गिलानी ने कहा है कि एक के बाद एक कई मुकदमे दर्ज किए जाएंगे, और जल्द ही सच सबके सामने आएगा। उन्होंने फिलाडेल्फ़िया में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “इस शहर में वोटिंग में धांधली का इतिहास बहुत पुराना रहा है। यह अवैध है और असंवैधानिक है। इसके विरुद्ध हम कड़े से कड़ा एक्शन लेंगे। स्वयं ट्रम्प ने एक अन्य कॉन्फ्रेंस में कहा, “स्पष्ट बात यह है कि ये चुनाव अभी खत्म नहीं हुआ है।”

इतना ही नहीं, रुडी गिलानी ने आगे कहा, “एक भी मेल बैलेट की निष्पक्ष जांच नहीं हुई। किसी रिपब्लिकन को उन बैलेट्स के आसपास भी नहीं फटकने दिया गया। हमारे पास एक नहीं, अनेक गवाह है इस धांधली को बेनकाब करने के लिए। ये कोई छोटा मोटा केस नहीं है। यह बहुत बड़ा केस बनने वाला है। मैं ये भी बताना चाहूँगा कि यही धांधली जॉर्जिया में हुई है, यही मिशिगन में दोहराया गया है और यही काम उत्तरी कैरोलीना में भी हुआ है।”

रुडी गिलानी अपने विश्लेषण में पूरी तरह से गलत भी नहीं है, क्योंकि अकेले पेन्सिलवेनिया से ही वोटिंग में धांधली के कई मामले निकल के सामने आ रहे हैं। यूएस पोस्टल सेवा के एक अधिकारी रिचर्ड हॉपकिंस ने दावा किया है कि कई बैलेट की तारीख बदली गई है। उन्होंने अपने हलफनामे में कहा, “पोस्टमास्टर रोब वीसेनबैच ने मुझे मेरे सहकर्मियों को चुनाव दिन के पश्चात बैलेट इकट्ठा करके उन्हें देने को कहा गया, और कुछ देर बाद मैंने वीसेनबैच को एक निरीक्षक को यह कहते सुना कि वे बैलेट की तारीख बदल रहे हैं, ताकि यह लगे कि 3 तारीख को यह बैलेट आए हैं, जबकि असल में बैलेट 4 नवंबर या उससे भी बाद में आए थे” –

https://twitter.com/JamesOKeefeIII/status/1324845160358940673?s=20

इसी ओर ध्यान आकर्षित हुए टीवी शो होस्ट टकर कार्लसन ने बताया था कि जिस प्रकार से अमेरिका में वोटों की धांधली हुई है, उससे अब अमेरिका वासियों का चुनावी प्रक्रिया पर से विश्वास उठने लग जाएगा। उन्होंने कई ऐसे उदाहरण दिए, जो शत प्रतिशत सत्य होते दिखाई दे रहे हैं, जैसे मरे हुए लोगों का भी वोट डलवाना, वैध वोट रद्द करवाना, अवैध वोट भी गिनना।

कार्लसन पूरी तरह गलत भी नहीं है क्योंकि अभी हाल ही में मिशिगन में आरोप लगाए गए हैं कि घटिया सॉफ्टवेयर के कारण हुई गड़बड़ से 6000 वोट सीधे बाइडेन के पक्ष में चले गए, जो वैसे डोनाल्ड ट्रम्प के पक्ष में जाने थे। मिशिगन में 47 काउंटी ने इस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया था, और यदि ये आरोप शत प्रतिशत सत्य है, तो बाइडेन चुनाव जीते नहीं है, बल्कि उन्हें येन केन प्रकारेण जिताया गया है –

इसी प्रकार से नेवाडा में भी वोटों में धांधली के ऐसे आरोप सामने आए हैं। नेवाडा के GOP ने ट्वीट किया, “हमारे वकीलों ने एटर्नी जनरल बार्र को एक क्रिमिनल रेफ़रल भेजते हुए बताया है कि यहाँ वोटर संबंधित धांधली के 3062 मामले सामने आए हैं, जो समय के साथ और बढ़ेंगे। ऐसे कई मामले सामने आने का अंदेशा है जहां उन लोगों ने भी वोट डाले हैं, जो नेवाडा से बाहर होकर भी यहाँ बैलेट डाल रहे हैं” –

उदाहरण के लिए नेवाडा के GOP ने बताया कि कैसे एक 17 वर्षीय को भी एक पंजीकृत वोटर का ओहदा दिया गया था, लेकिन पिता की सतर्कता के कारण एक अवैध वोट जाने से बच गया” –

जिस प्रकार से वोटों की धांधली ने अमेरिकी चुनाव की निष्पक्षता पर प्रश्नचिन्ह लगाया है, उससे इतना तो स्पष्ट है कि सब कुछ ठीक नहीं है। अब ये अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट के ऊपर है कि किसे वास्तव में अमेरिका की कमान सौंपी जानी चाहिए और किसे नहीं।

 

Exit mobile version