चुनाव-दर-चुनाव हार का मुंह देखने वाली देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी अब अंतर्कलह से जूझ रही है। बिहार चुनाव में करारी हार के बाद पार्टी के ही नेता कपिल सिब्बल ने पार्टी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठा दिए हैं जिसके बाद दो खेमों में बंटी कांग्रेस में सिर फुटौव्वल की स्थितियां बन गई हैं। अशोक गहलोत से लेकर अधीर रंजन चौधरी तक सिब्बल पर बरस पड़े हैं। सिब्बल का पार्टी के खिलाफ जाना किसी को रास नहीं आ रहा है। इस वक्त जब पार्टी को सिब्बल जैसे कद्दावर नेताओं की सबसे ज्यादा जरूरत है तो ऐसे वक्त में ही कुछ नेता उन्हें पार्टी के बाहर का रास्ता दिखाने लगे हैं।
बगावती सिब्बल
कपिल सिब्बल ने बिहार चुनाव में करारी हार के बाद पार्टी की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाए थे। उनका कहना था कि पार्टी के लिए हार अब एक सामान्य घटना बन गई है जबकि ये आश्चर्यजनक है। कपिल सिब्बल ने पार्टी में हार को लेकर मंथन किए जाने की बात कही थी। उनका कहना था कि अब कांग्रेस वर्किंग कमेटी में भी आमूल-चूल परिवर्तन की आवश्यकता है।
सिब्बल ने इंडियन एक्सप्रेस को दिए अपने इंटरव्यू में कहा था, “अगर छह सालों में कांग्रेस ने आत्ममंथन नहीं किया तो अब इसकी उम्मीद कैसे करें? हमें कांग्रेस की कमजोरियां पता हैं। हमें पता है सांगठनिक तौर पर क्या समस्या है। मुझे लगता है कि इसका समाधान भी सबको पता है। कांग्रेस पार्टी भी जानती है, लेकिन वो इन समाधान को अपनाने से कतराते हैं। अगर वो ऐसा करते रहेंगे को ग्राफ यूं ही गिरता रहेगा। यह कांग्रेस की दुर्दशा की स्थिति है जिससे हम सब चिंतित हैं।”
छोड़ दें पार्टी
पार्टी की हार के बाद जब सिब्बल की बात पर संज्ञान लेते हुए पार्टी आलाकमान को मंथन करना चाहिए था तो उस वक्त पार्टी के कुछ नेता सिब्बल को ही लपेटने लगे हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उन्हें लताड़ा कि आंतरिक मामलों को मीडिया में न उछालें, साथ ये भी कहा कि पार्टी जल्द ही वापसी करेगी। इसके बाद अब अधीर रंजन चौधरी भी कपिल सिब्बल पर बरस पड़े हैं। लोकसभा में नेता विपक्ष अधीर रंजन चौधरी ने सिब्बल के बयान पर आपत्ति जताई है। उन्होंने मीडिया में आंतरिक बातों का उठना गलत बताया है।
चौधरी ने कहा, “सार्वजनिक तौर पर पार्टी की फजीहत कराने के बजाए सिब्बल पार्टी के भीतर मुद्दा उठा सकते थे। वह वरिष्ठ नेता हैं और पार्टी के शीर्ष नेताओं तक उनकी पहुंच है।” इसके साथ ही उन्होंने कपिल सिब्बल को पार्टी से बाहर जाने की सलाह भी दे दी है। उन्होंने कहा, “पार्टी के कामकाज से जो लोग खुश नहीं हैं और अगर उन्हें लगता है कि कांग्रेस उनके लिए उपयुक्त स्थान नहीं है तो वो अपनी नई पार्टी बना सकते हैं या अपनी मर्जी से किसी भी पार्टी में शामिल हो सकते हैं।”
कांग्रेस का सूर्यास्त
कांग्रेस के 23 बगावती नेताओं में कपिल सिब्बल भी शमिल थे। वो पिछले काफी वक्त से कांग्रेस की नीतियों और कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते रहे हैं। आश्चर्यजनक ये भी है कि सिब्बल को ही निशाने पर लिया जा रहा है। ऐसा इसलिए है कि जिन अन्य नेताओं ने बगावत की थी उनमें से अधिकतर को बड़े पद पार्टी आलाकमान ने दे दिए है जबकि सिब्बल खाली हाथ ही है़ं जिसके चलते अब उनकी फजीहत हो रही है।
कपिल सिब्बल कोई छोटे नेता नहीं हैं। उन्होंने पार्टी में कई उतार-चढ़ाव देखें हैं ऐसे में उनके खिलाफ पार्टी के नेताओं का बोलना दिखाता है कि पार्टी केवल चाटुकारिता को पसंद करती है और बगावत या सही बात करना उन्हें पसंद नहीं है। पार्टी की ये गतिविधियां साफ संकेत है़ कि पार्टी के अंदर हार के बावजूद कोई चिंता नहीं है। ऐसे में सिब्बल का बोलना अब किसी को पसंद नहीं आ रहा है इसलिए पार्टी अब सिब्बल को बाहर का रास्ता दिखाने की तैयारी कर रही है।
एक तरफ बीजेपी अपने खेमे में अनुभवी और बुजुर्ग नेताओं के सहारे नए नेताओं को आगे बढ़ाने पर काम कर रही है तो वहीं, कांग्रेस अपने अनुभवी नेताओं को ही लताड़ रही है जबकि युवा तो उस पार्टी में राहुल गांधी के सिवा कोई रहा ही नहीं। ऐसे मुश्किल वक्त में पार्टी की ये आंतरिक सिर फुटौव्वल कांग्रेस के राजनीतिक भविष्य के लिए किसी त्रासदी से कम नहीं है।