क्या महाविकास अघाड़ी BMC चुनाव से पहले ही बिखर जायेगी, लग तो ऐसा ही रहा है

ये सरकार नहीं टिकने वाली

कांग्रेस

PC: Mera Vote

महाराष्ट्र में मिलकर सरकार बनाने वाली तीनों ही पार्टियों के बीच दिन-प्रतिदिन तनातनी बढ़ती ही जा रही है। अब मौजूदा तनाव को देख लगता है कि BMC के अगले चुनाव आते-आते यह गठबंधन टूट जाएगा और तीनों पार्टियों के बीच बढ़ रहा अविश्वास महाविकास आघाडी के अंत का कारण बन जाएगा। दरअसल,  ईडी ने शिवसेना के एक जाने माने नेता प्रताप सरनाईक के घर छापा मारा जिसके बाद सरकार की अन्य दोनों पार्टियां यानि कांग्रेस और NCP शिवसेना से दूरी बनाते हुए दिखे। कांग्रेस ने तो एक कदम आगे बढ़ते हुए प्रताप सरनाईक और शिवसेना के अन्य नेताओं को भ्रष्ट बताते हुए सभी के खिलाफ जांच करने की बात कह दी।

रिपोर्ट के अनुसार सरनाईक के घर अचानक से प्रवर्तन निदेशालय की टीम ने छापेमारी की और यह छापामारी तकरीबन 5 घंटे चली। इस रेड के बाद ईडी के अधिकारी प्रताप सरनाईक के बेटे विहंग सरनाईक को अपने साथ ले गए। प्रवर्तन निदेशालय ने यह छापेमारी किस मामले में की है फिलहाल इसका पता अभी तक नहीं चल पाया है। प्रवर्तन निदेशालय को इस बात का शक है कि प्रताप सरनाईक और टॉप्स सिक्योरिटी एजेंसी के बीच में हुए आर्थिक लेनदेन में कुछ घोटाला हुआ है।

इसी मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए, वरिष्ठ कांग्रेस नेता संजय निरुपम ने ईडी के छापों का समर्थन किया और कहा कि “शिवसेना के नेता भ्रष्ट हैं और उनकी जांच की जरूरत है।”

उन्होंने आगे कहा कि “अगर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) या कोई अन्य केंद्रीय जांच एजेंसी किसी को राजनीतिक उद्देश्यों से जांच करती है, तो मैं इसका विरोध करता हूं और मैं इसकी निंदा करता हूं। लेकिन, यह भी सच्चाई है कि शिवसेना के कई नेता भ्रष्टाचार में लिप्त हैं। पिछले एक या दो दशकों में, उन्होंने कई अवैध संपत्ति एकत्र की हैं और उनकी जांच होनी है। मुझे ठाणे के विधायक(प्रताप सरनाईक) के बारे में नहीं पता है, हम जांच के बाद पता करेंगे, लेकिन कई अन्य भी हैं जो बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार कर रहे हैं”।

उन्होंने शिवसेना पर हमला करते हुए कहा कि, “शिवसेना के नेताओं, विधायकों की जांच होनी चाहिए और इसे राजनीति से प्रेरित बताकर जांच को खारिज नहीं किया जाना चाहिए।“

यह बयान कोई सामान्य बयान नहीं है बल्कि सरकार में एक सहयोगी पार्टी के साथ नेताओं पर भी भयंकर भ्रष्टाचार के आरोप हैं। शिवसेना इस बयान को बिल्कुल हल्के में नहीं लेगी। अक्सर कांग्रेस नेताओं द्वारा यह आरोप लगाया जाता रहा है कि शिवसेना और NCP मिलकर कांग्रेस को नजरंदाज कर रहे हैं और शायद इसी का नतीजा है कि इस बार कांग्रेस के एक नेता शिवसेना के नेता के घर ED की छापेमारी का समर्थन करते दिखे।

इन दोनों ही पार्टियों के बीच पहली बार इस तरह के मतभेद नहीं हुए हैं। कुछ ही दिनों पहले बिजली बिल के मुद्दे पर भी कांग्रेस और शिवसेना आमने-सामने थी। बिजली मंत्री और कांग्रेस नेता नितिन राउत ने NCP नेता और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजीत पवार जिनके पास वित्त मंत्रालय भी है, उनपर बिजली उपभोक्ताओं को राहत देने के प्रस्ताव को ‘आठ बार’ खारिज करने का आरोप लगाया है। पिछले एक साल में कई मौकों पर, कांग्रेस नेताओं ने उपेक्षा किए जाने और कार्यों के लिए फंड न मिलने का आरोप लगाया है लेकिन उसका कोई फायदा नहीं हुआ। अब ऐसा लगता हैं कि यह मामला बढ़ चुका है और दोनों ही पार्टियों के बीच खींचतान जारी है। पहले भी कई बार महाविकास आघाडी में तनाव पैदा हुए हैं लेकिन हर बार शरद पवार की चालों से मामला शांत हो जाता था लेकिन इस बार ऐसा लगता है कि चिंगारी नहीं बल्कि आग लग चुकी है है।

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