दो शहज़ादों की लड़ाई- इज़रायल मुद्दे पर MBS के खिलाफ खड़े हुए दूसरे प्रिंस, लड़ाई रोचक होगी

सऊदी शाही परिवार इज़रायल मुद्दे पर दो भागों में बंटा!

इज़रायल

अरब देश और इज़रायल एक दूसरे के बेहद करीब आते जा रहे हैं। हाल ही में UAE और इज़रायल के बीच साइन किए गए Abraham Accords उसी का सबसे बड़ा उदाहरण है। अब सबकी निगाहें सऊदी अरब और यहाँ के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान पर है, जो UAE की तरह ही इज़रायल के साथ कूटनीतिक संबंध स्थापित करने के लिए इच्छुक दिखाई देते हैं। हालांकि, सऊदी रॉयल परिवार के सभी सदस्य उनके इस मत से सहमत नहीं दिखाई देते। सऊदी अरब के राजा सहित कई राजकुमार इज़रायल के साथ संबंध स्थापित करने का विरोध कर चुके हैं और ऐसे में अब अटकलें लगाई जा रही हैं कि अरब-इज़रायल शांति समझौते के कारण खुद सऊदी अरब के शाही परिवार की शांति खतरे में आ सकती है।

उदाहरण के लिए अब हाल ही में बहरीन की राजधानी में International Institute for Strategic Studies द्वारा आयोजित किए गए Manama Dialogue में बोलते हुए सऊदी के एक अन्य ताकतवर प्रिंस तुर्की अल फैज़ल ने इज़रायल की कड़ी आलोचना की। वह भी तब जब इज़रायल के विदेश मंत्री Gabi Ashkenazi खुद इस सम्मेलन में Virtually भाग ले रहे थे। इस सम्मेलन के दौरान चर्चा तो सऊदी अरब और इज़रायल के बीच बढ़ती नज़दीकियों की होनी थी, लेकिन प्रिंस तुर्की के मन में तो कुछ और ही चल रहा था।

सम्मेलन के दौरान सऊदी के खुफिया विभाग की दो दशक से भी ज्यादा वक्त तक कमान संभाल चुके और अमेरिका तथा ब्रिटेन में राजदूत रह चुके प्रिंस तुर्की अल फैज़ल ने इज़रायल की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि “इज़रायल ने सुरक्षा संबंधी आरोपों में- युवा और बुजुर्ग, महिलाओं और पुरुषों को शिविरों में कैद कर रखा है, जहां उनको कोई न्याय नहीं मिलता है। वे अपनी मर्जी से घरों को गिरा रहे हैं, और अपनी मर्जी से लोगों को मार भी रहे हैं।”

उनका यह बयान ऐसे समय में आया है जब सऊदी अरब और इज़रायल के बीच के रिश्ते सामान्य होने की अटकलें लगना तेज हो गयी हैं। हाल ही में सऊदी अरब में ही अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो, इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतनयाहू, इजरायली खूफिया विभाग मोस्साद के अध्यक्ष और सऊदी अरब के प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के बीच एक “गुप्त बैठक” का आयोजन हुआ था। विश्लेषकों का मानना है कि अमेरिका में ट्रम्प प्रशासन अपने आखिरी दिनों में अरब नीति पर गहरी छाप छोड़ने के लिए सऊदी अरब और इज़रायल के बीच के संबंध भी सामान्य कराने पर ज़ोर दे रहा है।

MBS सऊदी अरब को तेल आधारित अर्थव्यवस्था से हटकर देश की इकॉनमी को Diversify करना चाहते हैं। ऐसे में इज़रायल के साथ संबंध स्थापित कर वे अपने देश में बड़ी मात्रा में विदेश निवेश, तकनीक और कई आर्थिक अवसरों को प्राप्त कर सकते हैं। आर्थिक हित के साथ-साथ यहाँ सऊदी अरब के लिए सुरक्षा हित भी छुपे हैं। ईरान और तुर्की जैसे देश अरब देशों के साथ-साथ इज़रायल के भी धुर विरोधी हैं। ऐसे में दोनों देश साथ आकर अपने साझा शत्रु के साथ लड़ सकते हैं।

इसीलिए Abraham Accords के साइन होने से पहले ही MBS तो सऊदी और इज़रायल के बीच मजबूत सम्बन्धों के पैरवी करते रहे हैं। हालांकि, सऊदी अरब के Fundamentalists उनके इस कदम का विरोध करते रहे हैं, और यही लोग आगे चलकर उनकी राह में बड़ा रोड़ा भी बन सकते हैं। ऐसे में अगर क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान सऊदी शाही परिवार में अपना दबदबा बढ़ाते हैं, तो उनके लिए इज़रायल के साथ संबंध स्थापित करना उतना मुश्किल नहीं रहने वाला। स्पष्ट है कि इज़रायल के साथ दोस्ती करने से पहले MBS को अपने परिवार के अंदर पनप रहे उनके विरोध को समाप्त करना होगा।

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