अजिंक्य रहाणे- टेस्ट क्रिकेट का एक ऐसा बेमिसाल कप्तान, जैसा आज तक भारत ने नहीं देखा

सर्वकालीन महान भारतीय कप्तान बनने की क्षमता रखते हैं रहाणे

रहाणे

भारत ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे टेस्ट को 8 विकेट से जीत लिया है। विराट कोहली मोहम्मद शमी, भुवनेश्वर कुमार और रोहित शर्मा जैसे प्रमुख खिलाड़ियों की गैरमाजूदगी में खेले गए इस मैच में मिली जीत के लिए बल्लेबाजी और गेंदबाजी के साथ अगर किसी की सबसे अधिक भूमिका रही है तो वह है कप्तानी की। क्षेत्ररक्षण में बदलावों से लेकर गेंदबाजी परिवर्तन और शांत चित से कप्तानी तक अजिंक्य रहाणे ने बेहतरीन तरीके से टीम का नेतृत्व किया और मैन ऑफ द मैच रहे। हालांकि, रहाणे ने अधिक मैचों में कप्तानी नहीं की है लेकिन जिस तरह के कप्तानी का प्रदर्शन किया है उससे यह कहना बिल्कुल गलत नहीं होगा कि वे एक ऐसे बेहतरीन टेस्ट कप्तान हैं जो भारत के रेगुलर कप्तान नहीं बन पाएंगे। विराट कोहली के रहते उनके रेगुलर कप्तान बनने की उम्मीद न के बराबर है। रहाणे लंबे समय तक कोहली के लिए डिप्टी रहे हैं और शायद आगे भी रहेंगे।

इस टेस्ट से पहले इस मध्यक्रम के बल्लेबाज ने पहले भी दो टेस्ट मैचों में भारतीय क्रिकेट टीम का नेतृत्व किया है। वर्ष 2017 में रहाणे ने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट कप्तानी की शुरुआत की। वह भी रहाणे को तब मौका मिला जब विराट कोहली को उस श्रृंखला के दौरान चोट लगी थी। उस दौरान उन्हें अंतिम टेस्ट के लिए टीम की बागडोर सौंपी गई। धर्मशाला में हुए उस टेस्ट मैच में ही रहाणे ने अपनी शांत चित और बेहतरीन आक्रामक फैसले लेने की निर्णायक क्षमता का प्रदर्शन किया। हालांकि, उस मैच के हीरो रविन्द्र जडेजा थे जिन्होंने 63 रन बना कर तथा चार विकेट लेकर भारत को बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी जीतने में मदद की थी। परंतु रहाणे ने उस मैच में 5 गेंदबाजों के साथ उतर कर यह दिखा दिया था कि वह बिना किसी शारीरिक आक्रामकता दिखाये (जैसी विराट दिखाते) कितने आक्रामक हो सकते हैं। अंजिक्य रहाणे में नेतृत्व करते हुए किसी भी स्थिति को संभालने के लिए शांत चित्त है। वह एक टीम मेंबर हैं। उनकी यह भावना ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इस मैच में भी देखने को मिला था जब भारत की पहली पारी में वो रन आउट हो गए तब उन्होंने जडेजा पर नाराजगी जाहिर किए बैगर उन्हें अच्छा खेलने का निर्देश दे कर आए। उनकी इस तरह के बर्ताव की सभी ने तारीफ की।

 

इससे पहले रहाणे ने टेस्ट में दो बार भारतीय क्रिकेट टीम की कप्तानी की, दोनों जीते। अब यह तीसरा मैच भी जीत लिया है। वहीं एकदिवसीय की बात करे तो भारत ने तीनों एकदिवसीय मैचों में जीत दर्ज की है जिसमें रहाणे कप्तान रहे हैं। उनकी कप्तानी में खेले गए दो टी20 मैचों में भारत ने एक मैच जीता एक हार का सामना किया है।

अगर अजिंक्य रहाणे की कप्तानी पर गौर किया जाए तो राहुल द्रविड़ और एमएस धोनी की शांत चित्त परछाई के साथ गांगुली की आक्रामकता भी रखते हैं।

फील्ड प्लेसमेंट हो या गेंदबाजों की अदल-बदल या फिर टीम संयोजन ही क्यों न हो, रहाणे विराट से अधिक सक्षमता से फैसले लेते हैं। फील्ड प्लेसमेंट में कोहली की तुलना में रहाणे थोड़ा अधिक आक्रामक हैं। उन्होंने अधिक बार मिड-ऑन और मिड-ऑफ रखा है तथा नए बल्लेबाज के आने पर और अधिक क्षेत्ररक्षण को आक्रामक करने की कोशिश की। रहाणे भी मैदान में बदलाव करने में सक्रिय दिख रहे हैं और उन्हें लगातार अपने गेंदबाजों से पूछते हुए देखा है कि क्या उन्हें किसी बदलाव की जरूरत है जो किसी भी कप्तान एक बेहतरीन गुण है।

इस मैच में जिस तरह से उन्होंने रविचंद्रन अश्विन का इस्तेमाल किया, अंपायर के गलत फैसले पर भी टीम को शांत रखा तथा मैदान पर शांत रहे और गेंदबाजों को लंबे स्पेल दिया, उसे देखते हुए यह कहा जा सकता है कि रहाणे की नेतृत्व शैली पूरी तरह से विराट कोहली के विपरीत दिखाई देती है।

ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ इसी मैच की पहले इनिंग्स के 11 वें ओवर में रहाणे ने अश्विन को गेंदबाजी सौपीं और उनका फैसला एक मास्टरस्ट्रोक निकला। अश्विन ने अपने पहले स्पैल में मैथ्यू वेड और स्टीव स्मिथ को आउट किया। इस तरह के गेंदबाजी में बदलाव से टीम को महत्वपूर्ण समय में विकेट मिल जाते हैं, जिससे जीत की राह खुलती है।

वहीं टीम की संरचना की बात करे तो बार्डर-गावस्कर सीरीज के आखिरी मैच में कोहली के चोटिल होने के बाद उनके स्थान पर किसी बल्लेबाज को खेला कर कुलदीप को चुनने और 5 गेंदबाजों के साथ उतारने का फैसला किया था, जिसकी तारीफ स्वयं विराट ने भी की थी और उसका श्रेय रहाणे को दिया था। इससे यह स्पष्ट होता है कि रहाणे एक प्रकृतिक रूप से आक्रामक कप्तान हैं।

भारतीय कप्तान के रूप में अजिंक्य रहाणे एक आदर्श संयोजन हैं। द्रविड़ और धोनी की परछाई तथा एक सतर्क दिमाग और शांत स्वभाव वाला कप्तान। परंतु यह विडम्बना ही है कि वे भारत का एक पूर्ण टेस्ट कप्तान के तौर पर नेतृत्व सिर्फ कोहली की गैर मौजूदगी में ही कर पाएंगे। आने वाले समय में भी कोहली के रहते रहाणे का एक पूर्णकालिक टेस्ट कप्तान बनना नामुमकिन लगता है।

Exit mobile version