हाल ही में पाकिस्तानी प्रशासन ने एक अहम निर्णय लेते हुए छह तुर्की कंपनियों के गैराज पर छापा मारा है। ये कंपनियां पाकिस्तान में साफ सफाई का काम करती हैं। उन्होंने न सिर्फ छापे के दौरान वहाँ काम कर रहे कर्मचारियों को बाहर भगाया, बल्कि उन्हें अपना सामान भी नहीं ले जाने दिया। यह एक तरह से अरब देशों के दबाव में पाकिस्तान का कोर्स करेक्शन भी लगता है।
तुर्की मीडिया पोर्टल आनाडोलू एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, “रात के करीब ढाई बजे पाकिस्तान की पुलिस ने ओजपाक और अल्बेराक कंपनियों के यहाँ छापा डाला, जो लाहौर के वेस्ट प्रबंधन कंपनियों के साथ काम करती है। वहाँ पर कंपनी प्रमुख और अन्य कर्मचारियों को न सिर्फ दफ्तर से बाहर खदेड़ा गया, बल्कि तुर्की स्टाफ को उनका सामान भी नहीं छूने दिया गया। इसके अलावा पुलिस ने रेड के दौरान कथित तौर पर कंपनी का कुछ वीडियो फुटेज भी डिलीट कराया।”
करीब छह ऐसे गैराजों पर पाकिस्तान के पुलिस ने रेड डाली थी। लेकिन इस छापे से तुर्की प्रशासन काफी भड़का हुआ है, और उन्होंने पाकिस्तानी प्रशासन से इसके लिए माफी भी मांगने को कहा है। दोनों तुर्की कंपनियों द्वारा जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार ये घटना सरासर गुंडई है, और वे जल्द ही लाहौर वेस्ट प्रबंधन कंपनी के विरुद्ध केस फ़ाइल करेंगे। कंपनी के अफसरों ने दावा किया है कि उन्होंने करीब 150 मिलियन डॉलर का निवेश 2012 से अब तक किया है।
अब पाकिस्तान की अपनी मजबूरी भी है, जिस कारण प्रशासन ने चुप्पी साध रखी है। दरअसल, इन दिनों पाकिस्तान पर दबाव बन रहा है कि वह अरबी देशों के कहे अनुसार काम करे, और उनकी वर्तमान उदारवादी नीतियों का भी समर्थन करे, जिसमें इज़रायल के लिए नरम रुख अपनाना भी शामिल है।
अब पाकिस्तान के लिए ये आगे कुआं तो पीछे खाई वाला प्रश्न था। एक ओर वह अपने नए आका तुर्की को नाराज नहीं करना चाहता था, लेकिन वहीं दूसरी ओर अरब देश, विशेषकर सऊदी अरब और UAE ने उसकी राह बेहद मुश्किल कर दी। हालत तो यह हो गई कि UAE ने पाकिस्तानियों को वीज़ा तक उपलब्ध कराने से मना कर दिया।
इसके अलावा सऊदी अरब ने न केवल पाकिस्तान को दिए कर्ज का बकाया देने पर विवश किया, बल्कि भारत को और निकट लाकर पाकिस्तान को खुलेआम ठेंगा दिखाना भी शुरू कर दिया। ऐसे में पाकिस्तान, जिसकी अर्थव्यवस्था खस्ती हालत में है, मजबूरी में ही सही, पर तुर्की पर कड़े कदम उठाने को बाध्य हो गया, जिसका प्रमाण अभी हाल ही में लाहौर में देखने को मिला है।
पाकिस्तान इस समय तुर्की की नाराजगी मोल ले सकता है, परंतु यदि अरब देशों ने उसे दुलत्ती दी, तो पाकिस्तान पूर्ण रूप से दिवालिया हो जाएगा, क्योंकि चीन के हितों को भी अब बलूचिस्तान और सिंध के बागी नुकसान पहुंचाने लगे हैं। इसके अलावा जिस प्रकार से वैश्विक समीकरण पाकिस्तान के विरुद्ध हैं, उसमें एक भी गलती पाकिस्तान को बहुत बुरी तरह से भारी पड़ने वाली है। ऐसे में पाकिस्तान ने अरब देशों के कोप दृष्टि से बचने हेतु तुर्की को बलि का बकरा बनाने का निर्णय लिया है।