पश्चिम बंगाल में जेपी नड्डा की सुरक्षा में हुई चूक, अब शाह ने बंगाल सरकार के अधिकारियों और IPS अधिकारियों से मांगा जवाब

पश्चिम बंगाल में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा पर घातक हमले के बाद अब गृह मंत्री अमित शाह ने मोर्चा संभाल लिया है। उन्होंने न केवल राज्य प्रशासन की आलोचना की है, बल्कि उन पुलिस अफसरों की भी क्लास लगाई है, जिनपर भाजपा नेताओं के सुरक्षा की जिम्मेदारी थी। इसीलिए उन्होंने एक अहम कार्रवाई में तीन आईपीएस अफसरों को केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति पर बुलाया है।

उक्त अफसरों को बंगाल दौरे पर आए भाजपा अध्यक्ष की सुरक्षा में लगाया था। इंडिया टुडे के अनुसार इनमें प्रमुख हैं एसपी भोलानाथ पांडे, जो डायमंड हार्बर की जिम्मेदारी संभाल रहे थे, दक्षिण बंगाल के एडीजी राजीव मिश्रा और प्रेसीडेंसी रेंज के डीआईजी प्रवीण त्रिपाठी। हालांकि, तृणमूल कांग्रेस तो अपना अपराध स्वीकारने से रही, लेकिन अमित शाह की कार्रवाई से इतना तो स्पष्ट है कि बंगाल चुनाव से पहले राष्ट्रपति शासन लगना संभव है।

बता दें कि अभी कुछ ही दिनों पहले भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा बंगाल भाजपा प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय सहित कई अहम भाजपा नेताओं के साथ बंगाल के दौरे पर आए थे। उनके काफिले पर जबरदस्त पत्थरबाजी हुई थी, जिसमें कैलाश विजयवर्गीय सहित कई नेताओं को चोटें आई, और वहीं दूसरी ओर कुछ कार्यकर्ताओं का सर भी फट गया। लेकिन तृणमूल कांग्रेस की ढिठाई तो देखिए, हमले पर कार्रवाई या निंदा तो दूर की बात, उन्होंने उलटे भाजपा पर ही सहानुभूति बटोरने के लिए हमला करवाने का आरोप लगा दिया।

अमित शाह इस हमले और तृणमूल कांग्रेस की बेशर्मी से कितना क्रोधित हैं, इसका अंदाज़ा आप इसी बात से लगा सकते हैं कि उन्होंने पश्चिम बंगाल के डीजीपी और मुख्य सचिव को गृह मंत्रालय के सामने 14 दिसंबर को पेश होने के लिए कहा है। लेकिन जिस प्रकार से बंगाल का वर्तमान प्रशासन अपने तेवर दिखा रहे हैं, उससे इन लोगों का गृह मंत्रालय के समक्ष पेश होने की संभावना लगभग न के बराबर है।

जिस प्रकार से वर्तमान में गतिविधियां हो रही हैं, अगर उसपर अध्ययन किया जाए, तो ऐसा लग रहा है मानो तृणमूल कांग्रेस केंद्र सरकार को उकसा रही है कि वो राष्ट्रपति शासन लगाए। पहले ही अमित शाह ने ममता बनर्जी और उनके चाटुकारों की ढिठाई के लिए खूब खरी खोटी सुनाई है। उनके अनुसार, “तृणमूल सरकार के राज में बंगाल में अत्याचार, अराजकता और अंधकार की राजनीति हावी होने लगी है। जिस प्रकार से राजनीतिक हिंसा को वर्तमान सरकार के नेतृत्व में बढ़ावा मिल रहा है, वो अपने आप में काफी निराशाजनक और चिंता पैदा करने वाली बात है”।

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अब चूंकि जेपी नड्डा पर हमला हुआ है, इसलिए न केवल बंगाल की तृणमूल सरकार ने अपनी शामत बुलाई है, बल्कि भाजपा ने भी अब इसे आर या पार की लड़ाई बनाने का निर्णय बना दिया है। अमित शाह ने अब तय कर लिया है कि कुछ भी हो, पर तृणमूल को एक बेहद शर्मनाक विदाई देनी ही पड़ेगी। यदि अगले वर्ष के चुनावों में तृणमूल काँग्रेस हारती है, तो इसका सबसे बड़ा कारण ममता बनर्जी द्वारा गुंडों को शासन की अनाधिकारिक कमान संभालने देना ही होगा।

 

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