बांग्लादेश चीनी BRI को डंप कर भारत-म्यांमार-थाईलैंड राजमार्ग प्रोजेक्ट में शामिल होने जा रहा है

Sonadia द्वीप में चीनी प्रोजेक्ट को रद्द करने के बाद अब बांग्लादेश ने भारत के साथ निर्माणाधीन भारत-म्यांमार-थाईलैंड राजमार्ग परियोजना में शामिल होने की रुचि दिखाई है। रिपोर्ट के अनुसार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने इस निर्माणाधीन राजमार्ग परियोजना में शामिल होने में दिलचस्पी दिखाई है। अब बांग्लादेश जिस तरह से चीन से दूरी बना रहा है, उसे देख कर ऐसा लगता है कि वह चीन के झांसे में नहीं आने वाला है।

दरअसल, बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना ने भारतीय पीएम नरेंद्र मोदी के साथ अपने वर्चुअल शिखर सम्मेलन के दौरान इस त्रिपक्षीय राजमार्ग में शामिल होने की बात कही। उन्होंने अपने एक बयान में भारत-म्यांमार-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना के बारे में गहरी रुचि व्यक्त की और बांग्लादेश के लिए दक्षिण और दक्षिण पूर्व एशिया के क्षेत्रों के बीच संपर्क बढ़ाने के लिए इस परियोजना से जुड़ने के लिए भारत का समर्थन मांगा।

यही नहीं इसी भावना के साथ, भारतीय पक्ष ने बांग्लादेश से होते हुए पश्चिम बंगाल के Hili से मेघालय में महेंद्रगंज-तुरा तक कनेक्टिविटी की अनुमति देने का भी अनुरोध किया। हसीना और मोदी ने चल रहे द्विपक्षीय संपर्क उपायों का जायजा लिया और हाल ही में Protocol on Inland Water Transit and Trade (PIWTT), के लिए दूसरे संस्करण पर हस्ताक्षर करने सहित हाल की पहलों का स्वागत किया।

स्पषट है कि दोनों देशों ने चीन को दुलती देकर अब आपस की साझेदारी को और बढ़ाने के प्रयास की दिशा में कदम बढ़ाया है।

बता दें कि इससे बांग्लादेश सरकार ने आधिकारिक तौर पर देश के दक्षिण-पूर्वी तट से Sonadia द्वीप में चीन द्वारा बनाए जा रहे एक Deep Sea Port प्रोजेक्ट को बंद कर दिया था। बंगाल की खाड़ी में चीन के इस हाई-प्रोफाइल परियोजना के बंद होने से न सिर्फ चीन की हिंद महासागर क्षेत्र में आर्थिक और रणनीतिक महत्वाकांक्षा का एक औपचारिक दफन हुआ, बल्कि बांग्लादेश ने यह भी संदेश दे दिया कि वह चीन के इशारे पर नहीं नाचने वाला है। इस प्रोजेक्ट को चीन के BRI का ही एक हिस्सा कहा जा सकता है।

हालांकि, बांग्लादेश सरकार ने इस प्रोजेक्ट को पूरी तरह से बंद करने के फैसले का कारण पर्यावरण संबंधी चिंताओं को बताया था लेकिन इसका मुख्य कारण भारत का  जियोपॉलिटिकल दबाव भी हो सकता है।

बांग्लादेश में प्रभाव के लिए भारत-चीन में अक्सर एक प्रतिस्पर्धा देखने को मिलती है। चीन किसी भी तरह से भारत के पड़ोसियों पर दबाव बना कर, उन्हें अपने इशारे पर नचाना चाहता है जिससे भारत पर दबाव बनाया जा सके। उदाहरण के लिए नेपाल पाकिस्तान या श्रीलंका को देखा जा सकता है। इसी तरह वह बांगलादेश को भी लालच देकर अपने जाल में फंसाना चाहता था। परंतु अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है।

इसी वर्ष अगस्त के अंत में एक कैबिनेट बैठक में, हसीना सरकार ने औपचारिक रूप से Sonadia दीप सागर बंदरगाह प्राधिकरण अधिनियम 2012 को रद्द कर दिया और परियोजना को रद्द करने की घोषणा की।

नई दिल्ली ने कथित तौर पर Sonadia परियोजना में चीनी भागीदारी का विरोध किया था। इस प्रोजेक्ट की भौगोलिक स्थिति को देखते हुए भारत पर होने वाले प्रभाव के कारण यह जायज भी था। भारत को ऐसी आशंकाएं थी कि श्रीलंका की तरह चीन ढाका को ऋण के बोझ तले दबाकर इस रणनीतिक डीप पोर्ट को हड़पने का दबाव बना सकता है। ऐसी स्थिति में, नई दिल्ली को डर था कि इस पोर्ट का चीन के हाथ में जाना ही भारत की सुरक्षा के लिए एक खतरनाक स्थिति बन जाती।

हालांकि, बांग्लादेश अब तक चीन का एक सावधान कर्जदार रहा है, इस बात का ध्यान रखता है कि ऐसी परियोजनाओं का चयन न किया जाए जो उसकी राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप नहीं हैं।

इस तरह अब चीन को इस परियोजना से बाहर कर बांग्लादेश स्वयं भारत के साथ त्रिपक्षीय राजमार्ग परियोजना में शामिल हो रहा है। यह बांग्लादेश की समझदारी ही है कि वह चीन के खिलाफ अपने कदम फूंक-फूंक कर रख रहा है।

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