भगवान श्रीराम को लेकर कांग्रेस की नीतियों की हमेशा आलोचना ही हुई है। बहुसंख्यक वर्ग का एक बड़ा तबका इसीलिए कांग्रेस को पसंद नहीं करता है। इस छवि को बदलने के लिए कांग्रेस अब हर संभव कोशिश करती है लेकिन इस कोशिश में कांग्रेस अंतरकलह से जूझने लगती है। कुछ ऐसी ही स्थिति छत्तीसगढ़ में श्रीराम पथ गमन के आधार पर 19 जिलों की सरकारी श्रीराम रथ यात्रा के साथ हुई है। कांग्रेस शासित भूपेल बघेल सरकार के इस फैसले पर कांग्रेस में ही अंतरकलह की स्थिति आ गई है। यहां तक कि पूर्व केंद्रीय मंत्री तक इस राम रथ यात्रा का खुलकर विरोध कर रहे हैं।
कांग्रेस ने हमेशा बीजेपी पर श्रीराम के नाम का इस्तेमाल करने का आरोप लगाया है। इसके बावजूद बीजेपी को हर बार पहले से ज्यादा जनसमर्थन मिला है। बीजेपी की सफलता को देखते हुए कांग्रेस भी अपनी रणनीति बदल रही है। इसी के चलते कांग्रेसी नेता अब हिंदू देवी देवताओं के मंदिरों में जाते हैं, पूजन करते हुए फोटो खिंचाते हैं जिसका उदाहरण राहुल गांधी भी हैं। कांग्रेस की इसी छवि बदलने की मुहिम के तहत अब छत्तीसगढ़ सरकार राम के नाम पर 19 जिलों में रथयात्रा निकाल रही है, लेकिन वहां विरोध हो गया है।
छत्तीसगढ़ सरकार का कहना है कि यह वही स्थान है जहां से भगवान राम वनवास के दौरान गुजरे थे और इन स्थानों भगवान राम का ननिहाल भी माना जाता है। इसीलिए इसे रामपथ गमन के नाम से भी जाना जाता है। कांग्रेस सरकार राम से जुड़े इन सभी स्थानों को विकसित करने में और उन्हें धार्मिक स्थल बनाने के प्रयास कर रही है। हालांकि, इस पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच क्रेडिट लेने की होड़ भी है।
बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक कांग्रेस की इस सरकारी राम रथ यात्रा इतर पार्टी में इस मुद्दे पर अंतरकलह की स्थिति भी है। ऐसा अक्सर देखा गया है कि जब भी पार्टी बहुसंख्यक समुदाय के किसी कार्यक्रम का शुभारंभ करती है तो उसके अंदर ही विरोध हो जाता है। इस बार पार्टी के आदिवासी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविंद नेताम ने इस मुद्दे पर कांग्रेस की अपनी सरकार की ही आलोचना कर दी है और पार्टी पर संघ के एजेंडे पर काम करने का आरोप लगा दिया है।
अरविंद नेताम ने कहा, “कांग्रेस पार्टी भाजपा और संघ के एजेंडे पर काम कर रही है। आदिवासियों को हिन्दू बनाने का एजेंडा अब तक भाजपा और संघ का रहा है। कांग्रेस को इस तरह राम वन गमन पथ बनाने की ज़रूरत क्यों पड़ी, यह मेरी समझ से परे हैं। मुझे याद नहीं आता कि कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे पर कभी कोई बैठक की हो या आदिवासियों से ही चर्चा की हो।” गौरतलब है कि इस मुद्दे पर आदिवासी समाज भी कांग्रेस से खासा नाराज है।
आदिवासियों के विरोध के साथ ही पार्टी के नेता का विरोध दर्शाता है कि कांग्रेस में कोई भी काम केवल दिखावे के लिए किया जाता है। पार्टी अपनी छवि सुधारने के लिए लगातार बहुसंख्यक समुदाय के देवी देवताओं को महत्व दे रही है लेकिन उनके ही पार्टी के कुछ लोग अपनी ही पार्टी का रहा-बचा जनाधार गंवाने को आतुर हैं।