जब हार का डर सताने लगता है तो राजनीति में ऊल-जलूल बातों की तादाद बढ़ने लगती है। पश्चिम बंगाल की राजनीति में भी कुछ ऐसा ही होने लगा है जहां तृणमूल कांग्रेस को अपनी हार दिख रही है। इसलिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की कैबिनेट मे़ उनके कुकर्मों के साथी मंत्री ने कहा है कि अगर ममता बनर्जी चुनाव जीत गई तो बीजेपी उनकी हत्या करवा सकती है जो कि जनता की सहानुभूति हासिल करने का एक काफी बेहूदा तरीका है क्योंकि उन्हें अब अपनी हार साफ दिखने लगी है।
पश्चिम बंगाल में चुनावी सरगर्मी के बीच मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथी मंत्री सुब्रत मुखर्जी ने आरोप लगाया है कि बंगाल में ममता की हत्या की जा सकती हैं। अगर बंगाल के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की हार होती है तो बीजेपी ममता को जान से मार सकती है। उनके इस बयान को सहानुभूति बटोरने के रूप में देखा जा रहा है। इस बयान के साथ ही उन्होंने बीजेपी के बंगाल ईकाई के अध्यक्ष दिलीप घोष को भी निशाने पर लिया है।
बंगाल के मंत्री के बयान पर बीजेपी अध्यक्ष दिलीप घोष ने भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, “जिस व्यक्ति ने सारा समर्थन गंवा दिया है,अब सहानुभूति बटोरना चाहता है। ममता बनर्जी अचानक जेल भेजे जाने की बातें क्यों करने लगी हैं, क्योंकि उन्हें अच्छे से पता है कि चुनाव के बाद उन्हें जेल जाना ही पड़ेगा।” टीएमसी में हत्यारों के होने की बात को लेकर उन्होंने कहा, “वो (ममता) कह रही हैं कि कोई उनकी हत्या की साजिश रच रहा है, लेकिन कोई ऐसा अपराध क्यों करेगा? सच तो ये है कि उनकी पार्टी के कार्यकर्ता दूसरों के हत्यारे हैं। वो वोट के लिए सहानुभूति बटोरना चाह रही हैं, लेकिन बंगाल के लोग अब उन्हें समर्थन नहीं देने वाले।’
ये बेहद ही अजीब बात है कि जिस मुख्यमंत्री के शासन में खुलेआम उनकी पार्टी के कार्यकर्ता अपने प्रतिद्वंद्वियों की लाशें गिराते हों और पुलिस कोई कार्रवाई तक न करती हो। वहां कोई उस मुख्यमंत्री की हत्या की साजिश कैसे रच सकता है। ये सच में एक सहानुभूति कार्ड लग रहा है क्योंकि ममता के खिलाफ अब पूरे बंगाल में रोष दिखने लगा है। ममता बनर्जी के खिलाफ लोगों में ही नहीं उनकी पार्टी में भी रोष है। ममता के ही सहयोगी मंत्री और नेता अब उनका साथ छोड़ रहे हैं। सब एक ही आरोप लगा रहे है कि ममता का शासन लाशों पर है। उनके ही नेताओं ने उनकी सरकार की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
बीजेपी की रैलियों से लेकर उनके वरिष्ठ नेताओं के रोड शो में उमड़ रहा प्रदर्शन साफ बता रहा है कि ममता से लोग नाराज हैं। इसलिए ममता को विधानसभा चुनावों में अपनी हार साफ दिखने लगी हैं और इसीलिए उनके नेता उनकी हत्या की साजिश जैसे सहानुभूति के दांव खेलने लगे हैं जबकि असलियत यह है कि इस तरह के सहानुभूति कार्ड का विधानसभा चुनाव पर कोई खास असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि जनता ममता के गुंडाराज से त्रस्त हो चुकी है।