CCP को डर है कि अपने पैसों के बल पर जैक मा अगले राष्ट्रपति बन सकते हैं

अलीबाबा

इन दिनों चीन के राष्ट्राध्यक्ष शी जिनपिंग के लिए सबसे बड़ा सरदर्द कोई और नहीं है, बल्कि चीन के प्रसिद्ध उद्योगपति और अलीबाबा कंपनी समूह के स्वामी, जैक मा हैं। कहते हैं, जो देश की धन संपदा पर नियंत्रण रखता है, वही देश के शासन पर भी नियंत्रण रखता है। अब चीनी प्रशासन को भय है कि कहीं अपनी धन संपदा के बल पर जैक मा चीन की सत्ता को भी न हथिया ले।

इसीलिए आजकल चीन हाथ धोके पड़ी जैक मा और उनके अलीबाबा ग्रुप के पीछे पड़ी हुई है। हाल ही में चीनी प्रशासकों ने अलीबाबा से संबंधित फिनटेक कंपनी Ant Group Co को पुनः अपने मूल स्वरूप, यानि पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर बनने को कहा है। अप्रत्यक्ष रूप से चीन ने इस कंपनी की प्रमुख सेवा, यानि माइक्रो लेंडिंग और धन प्रबंधन पर वार करने की धमकी दी है।

परंतु चीनी प्रशासन को ऐसा रास्ता क्यों अपनाना पड़ा है? दरअसल जैक मा के पास अकूत संपत्ति है, और उनकी कुल संपत्ति का मूल्य 50 बिलियन डॉलर से कम नहीं है। वे चीन के तीसरे सबसे अमीर आदमी हैं, और वे चीन में सबसे लोकप्रिय भी हैं। लेकिन जो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी से भी अधिक लोकप्रिय हो, उससे भला CCP क्यों नहीं असुरक्षित महसूस करेगी?

इसके अलावा जैक मा जिन उद्योगों में सफल है, वे भी रणनीतिक रूप से चीन के लिए बहुत अहम है। व्यापार हो, ई कॉमर्स हो, मीडिया हो, आप बोलते जाइए और जैक मा का प्रभाव हर जगह हगी। 2015 में जैक मा ने हाँग काँग में बसे मीडिया पोर्टल साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट को भी खरीद लिया था।

फिनटेक क्षेत्र में भी Ant Group Co के जरिए जैक मा ने 200 बिलियन डॉलर से भी अधिक का साम्राज्य खड़ा किया। अब सोचिए, जब यही आदमी चीन में अपना प्रभाव और बढ़ाता, और वाकई में राजनीति में उतरता, तो चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को अकेले ही हराने में वे सक्षम होते।

यही बात चीनी कम्युनिस्ट पार्टी को फूटी आँख नहीं सुहाई, और उसने जैक मा के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया। यह सब इसलिए हुआ क्योंकि कुछ समय पूर्व जैक मा ने चीन की व्यापार पर नियंत्रण रखने की सड़ी गली मानसिकता पर निशाना साधा और सरकार द्वारा प्रायोजित बैंकों पर साहूकारों की तरह व्यवहार करने का आरोप लगाया। इसीलिए चीन का प्रशासन जैक मा के बढ़ते प्रभाव से काफी असहज है, क्योंकि वह भली भांति जानता है कि जैक मा इतने सक्षम है कि CCP की सहायता के साथ या उसके बिना भी वह चीन की बागडोर संभालने में सक्षम है, और इसी चिंता ने जिनपिंग प्रशासन को पागलों की तरह बर्ताव करने पर विवश कर दिया है।   

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