चीन की आर्थिक कठिनाईयां खत्म होने का नाम नहीं ले रही हैं। Nikkei Asia की हालिया रिपोर्ट बताती है कि चीन की अर्थव्यवस्था बड़े debt crisis अर्थात कर्ज के जंजाल में फंस गई है। चीन की अर्थव्यवस्था की तरक्की की दर उसके कर्ज बढ़ने की दर से कम हो गई है। चीन की सरकार में इस बात का भय बना हुआ है कि बढ़ते कर्ज को रोकने का कोई तरीका जल्द न खोजा गया तो अर्थव्यवस्था की मुश्किलें और बढ़ेंगी। चीनी सरकार इस स्थिति से बचने के लिए corporate debt market को नियंत्रित करने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने का प्रयास कर रही है।
चीन की अर्थव्यवस्था पर कर्ज का ऐसा दबाव है कि वह उसके ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग हब होने के बाद भी उसकी आर्थिक तरक्की को नुकसान पहुंचा रहा है। Global financial crisis के बाद से चीन पर 20% की सालाना दर से कर्ज बढ़ रहा है। Bank for International Settlement के अनुमान के मुताबिक चीन का debt per GDP ratio 2010 के First quarter में 178% था जो 2020 के प्रथम चतुर्थांश में 275% हो चुका है।
चीन की तीन बड़ी सरकारी कंपनियों द्वारा loan default किया जा चुका है। इसके अलावा Local government financing vehicles ( LGFVs ) नाम की कंपनी जिसे स्थानीय स्तर की सरकार द्वारा चलाया जा रहा है, चीन की केंद्रीय सरकार द्वारा बैंक लोन लेने पर लगाए गए प्रतिबंधों से बचने की कोशिशें कर रही है। LGFVs के कर्ज म्युनिसिपल bonds में बदल गए हैं और अब ये चीन की GDP के 10 प्रतिशत के बराबर हो चुके हैं।
कोरोना काल में चीन की सरकार ने इमरजेंसी सेवाओं के लिए जो खर्च किये हैं उनसे भी चीन का कर्ज बढ़ा है। अब चीन की केंद्रीय और स्थानीय सरकारें debt default के बढ़ने के कारण परेशान हो रही हैं।
जैसे चीन के Henan प्रान्त में स्थानीय सरकार ने कई सरकारी उद्यमों के सहयोग से एक अन्य सरकारी कंपनियों Yongcheng coal and Electricity holding group के bond default को रोकने की कोशिशें शुरू की हैं। टोल टैक्स वसूलने वाली सरकारी उद्यम Henan Transport को Yongcheng की 9.5% हिस्सेदारी खरीदने को कहा गया है, जिससे Yongcheng को आर्थिक मदद मिल सके और उसे bond default की स्थिति से बचाया जा सके।
चीन के राष्ट्रपति कोरोना पूर्व स्थिति को प्राप्त करने और चीन की गिरती अर्थव्यवस्था को बचाने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। वे चीन में उत्पादन बढ़ाना चाहते हैं, लेकिन अभी चीन की कंपनियों के कर्जों की स्थिति देखकर लगता है कि उनका सपना पूरा नहीं हो सकेगा। चीन में लगातार बढ़ता कर्ज का जंजाल उसके सरकार नियंत्रित बैंकिंग प्रणाली को भी ध्वस्त कर सकता है। यह भविष्य में पता चलेगा कि जिनपिंग इस समस्या को कैसे सुलझाते हैं अथवा सुलझा भी पाते हैं या नहीं। अभी के हालात तो यह है कि चीन पूरी तरह से bankrupt होने के कगार पर है और चीन की जिनपिंग सरकार को इससे बचने का कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है।