चीनी ही चीनी वैक्सीन को रिजेक्ट कर रहे: 90% चीनी वर्कर ने कहा वो चीन की फेक वैक्सीन नहीं लगवाएंगे

चीन के लिए इससे बड़ी शर्मिंदगी क्या होगी!

वैक्सीन

चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के लिए एक बड़ी शर्मिंदगी का मामला सामने आया है। चीन के लोगों ने ही अब चीनी वैक्सीन लगवाने से मना कर दिया है। रिपोर्ट के अनुसार चीनी शहर शंघाई में आयोजित एक स्थानीय सर्वेक्षण में, लगभग 90 प्रतिशत प्रतिभागियों ने कहा कि वे चीन में विकसित वैक्सीन से टीका नहीं लगवाएंगे। नागरिकों ने वैक्सीन की वैधता और दुष्प्रभाव को इसका कारण बताया।

पिछले महीने करवाए गए इस सर्वेक्षण ने चीनी प्रशासन को परेशान कर दिया है। यह सर्वे ऐसे समय में आया है जब चीन आक्रामक रूप से कई देशों को अपनी वैक्सीन कूटनीति के जरीय लुभाने की कोशिश कर रहा है।

इस सर्वेक्षण के अनुसार शंघाई के एक स्थानीय अस्पताल में केवल 10 प्रतिशत श्रमिकों ने COVID -19 के लिए किसी चीनी वैक्सीन से टीकाकरण करवाने की इच्छा व्यक्त की। शेष 90 प्रतिशत ने किसी भी चीनी वैक्सीन को अक्षम और घोटालेबाज वैक्सीन उद्योग पर विश्वास की कमी के कारण नकार दिया।

NTD की रिपोर्ट के अनुसार सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि शहर में स्थित एक रियल एस्टेट कंपनी के केवल तीन श्रमिकों ने ही चीनी वैक्सीन के साथ टीकाकरण के लिए हामी भरी।

शंघाई के अधिकारियों ने पिछले महीने नगर निगम के अस्पतालों, क्लीनिकों और वायरस से संबंधित प्रयोगशालाओं को एक गोपनीय तरीके से लोगों का सर्वेक्षण करने के लिए एक आपातकालीन नोटिस जारी किया था। इससे यह पता लगाने की कोशिश थी कि शहर के कितने चीनी नागरिक Covid-19 के लिए स्थानीय टीकाकरण कराने पर अपना समर्थन देंगे।

परंतु जैसे CCP ने अनुमान लगाया था वैसा परिणाम नहीं आया और उल्टे चीनी नागरिकों का चीन के वैक्सीन उद्योग पर अविश्वास सामने आ गया। शी जिनपिंग दुनिया भर में चीनी वैक्सीन का निर्यात करना चाहता है, लेकिन चीनी जनता ही उनके वैक्सीन को स्वीकार नहीं करना चाहती। यह CCP के आकांक्षाओं पर किसी झटका से कम नहीं है।

चीन के लोगों का चीनी वैक्सीन नकारने के कई कारण हैं। ऐतिहासिक रूप से, चीन में किसी भी बीमारी के सुरक्षित वैक्सीन के उत्पादन में बुरी तरह विफल रहा है।

TFI ने पहले भी बताया है कि चीन का वैक्सीन उद्योग सिर्फ अपने फायदे पर ध्यान देता है लोगों की सुरक्षा पर नहीं। कई चीनी वैक्सीन व्यक्ति में पक्षाघात का कारण बन सकते हैं या इससे भी बदतर हालत कर सकते हैं।

इसी पर एक व्यक्ति ने NTD को बताया कि, “आप सभी जानते हैं कि कम्युनिस्ट पार्टी द्वारा उत्पादित वैक्सीन ऊंच मानक के नहीं होते हैं। मैं वैक्सीन की गुणवत्ता के बारे में चिंतित हूं। जालसाजी करने में CCP माहिर है। ”

एक अन्य शंघाई नागरिक ने बताया कि पिछले महामारी के दौरान भी चीनी वैक्सीन से अधिक समस्याएं पैदा हुई थी। जिस तरह से चीनी नागरिकों के अंदर चीनी वैक्सीन के खिलाफ रोष था उससे देख कर यह अंदाजा लगाया जा सकता है चीन की साम्यवादी सरकार ने क्या क्या जुल्म किए हैं।

वास्तव में, चीन के पास वार्षिक-वैक्सीन घोटालों का इतिहास रहा है, जिसके परिणामस्वरूप असंख्य, और अक्सर निर्दोष नागरिकों, विशेष रूप से बच्चों की मृत्यु की रिपोर्ट सामने आती है।

चीन की सरकार ने अपने वैक्सीन उद्योग को प्रोत्साहन दे कर इतना बड़ा बनाया है जिससे अधिक से अधिक मुनाफा कमाया जा सके। ये वैक्सीन उद्योग सुरक्षा और अनुसंधान सुनिश्चित करने के बजाय बिक्री और वितरण में अधिक निवेश करता है। वास्तव में, जब वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ बायोलॉजिकल प्रोडक्ट्स जैसे राज्य के स्वामित्व वाली फर्मों की बात आती है, जिन्हें दुनिया भर में आपराधिक लापरवाही के लिए जाना जाता है, तब चीन के अधिकारी बच्चों की मृत्यु के ऊपर आंखें मूंद लेते हैं। चीन का वैक्सीन उद्योग का 40 प्रतिशत का स्वामित्व CCP के द्वारा संचालित कंपनियों के ऊपर है, जो जानते हैं कि भले ही कितना भी घटिया उत्पाद तैयार कर रहे हों किसी भी प्रकार से सरकार उन्हें नुकसान नहीं पहुंचाएगी।

अब जब यह खबर फैल चुकी है कि चीनी नागरिक भी चीनी वैक्सीन लगवाने के इच्छुक नहीं हैं, तब CCP के लिए निश्चित रूप से आने वाला समय कठिन होगा क्योंकि वह कई देशों से वैक्सीन के लिए सौदा कर चुका है और कई को तो लोन की भी पेशकश की है।

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