हाल ही में केरल के निकाय चुनाव समाप्त हुए, जिसके अंतर्गत 1107 पंचायत और 86 नगर निगमों के लिए चुनाव हुआ। सभी की आशाओं के अनुरूप कम्युनिस्ट समर्थत एलडीएफ ने बहुमत प्राप्त करते हुए 514 ग्राम पंचायत, 10 जिला पंचायत और 108 ब्लॉक पंचायत में विजय प्राप्त की, और इसके साथ ही उन्होंने 35 नगर निगमों पर भी कब्जा जमाया। लेकिन उन्हें अपने से कहीं कम सीटें जीतने वाली एनडीए से इतनी घृणा है कि उन्होंने उनके सदस्यों द्वारा जश्न मनाने के तरीके पर ही आपराधिक मुकदमा दायर कर दिया।
निकाय चुनाव में भाजपा समर्थित एनडीए ने 23 ग्राम पंचायतों और 2 नगर निगमों में विजय प्राप्त की। लेकिन जिस राज्य में कम्युनिस्ट पार्टी के अलावा किसी और पार्टी को चैन से जीने भी न दिया जाता हो, वहाँ पर एक दक्षिणपंथी एवं राष्ट्रवादी पार्टी के लिए इतनी सीटें जीतना भी कोई कम बड़ी उपलब्धि नहीं है।
लेकिन यह खुशी कम्युनिस्टों को कतई रास नहीं आई। जब पलक्कड़ नगर निगम में विजयी होने पर भारतीय जनता पार्टी के सदस्यों ने श्री राम और छत्रपति शिवाजी महाराज के बड़े बड़े बैनर लहराए, तो केरल का वामपंथी प्रशासन उबल पड़ा, और उन्होंने सांप्रदायिकता फैलाने के आरोप में भाजपा के कार्यकर्ताओं के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया।
पलक्कड़ के नगर निगम सचिव ने भाजपा कार्यकर्ताओं के विरुद्ध प्रभु श्री राम के नारे और बैनर के साथ छत्रपति शिवाजी महाराज के पोस्टर लहराकर ‘सांप्रदायिक सद्भाव’ बिगाड़ने के आरोप में मुकदमा दर्ज कराया। श्रीराम के प्रति कम्युनिस्टों की घृणा तो समझ में आती है, परंतु छत्रपति शिवाजी महाराज के पोस्टर लहराने पर जो मुकदमा दर्ज हुआ है, उससे वामपंथियों की कुंठा के साथ साथ उनका भय भी जगजाहिर होता है। दरअसल, हाल ही में भाजपा ने दक्षिण भारत में कर्नाटक से आगे बढ़ते हुए तेलंगाना में अपनी उपस्थिति दर्ज करानी शुरू कर दी है।
अब केरल के वामपंथी बेहद असहज हो रहे हैं, और उनकी घबराहट उनके वर्तमान निर्णयों में भी स्पष्ट दिखाई दे रही है। भले ही भाजपा के पास केरल में ज्यादा ताकत न हो, और भले ही विधानसभा में सिर्फ एक विधायक उनका प्रतिनिधित्व कर रहा हो, लेकिन उसकी उपस्थिति से ही वामपंथियों, विशेषकर सत्ताधारी सीपीआई[एम] के पसीने छूट रहे हैं, क्योंकि वे भली भांति जानते हैं कि कैसे महज दो सांसदों से आगे बढ़ते हुए इस पार्टी ने आज पूरे देश में अपना प्रभाव स्थापित किया है।
सच कहें तो वामपंथियों ने जय श्री राम के नारे लगाने और छत्रपति शिवाजी महाराज के पोस्टर लहराने पर मुकदमा कर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मारी, क्योंकि इससे उनके अंदर भाजपा का जो खौफ है, वही जगजाहिर हुआ है।