केरल के ईसाई अब भाजपा के लिए करेंगे वोट, मुस्लिमों और लव जिहाद का एकतरफा समर्थन कांग्रेस को पड़ा भारी

केरल की राजनीति भी अब भगवा पार्टी के ही इर्द-गिर्द घूमने वाली है

केरल

केरल की राजनीति भी बीजेपी के एजेंडे के अनुसार खुद ही घूमने लगी है। जहां कांग्रेस, यूडीएफ और मुस्लिम लीग का प्रभाव बढ़ रहा है इसके साथ ही राज्य में मुस्लिमों के अलावा किसी अन्य समुदाय को पार्टियां तवज्जो नहीं दे रही हैं। इनकी इन्हीं नीतियों से ईसाईयों को परेशानी होने लगी है। लव जिहाद से लेकर धर्मांतरण के सभी मुद्दों पर ये लोग कांग्रेस से खफा है। नतीजा ये कि ईसाई नेताओं और पादरियों ने बीजेपी की तरफ अपनी राजनीति मोड़ दी है, सभी राजनीतिक पार्टियों से परेशान होकर बीजेपी से मोह स्थापित करने का ईसाईयों का ये फैसला अन्य राजनितिक पार्टियों के लिए मुश्किलें खड़ी करने वाला है।

लेफ्ट और कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले केरल में मुस्लिम नेताओं के बढ़ते प्रभाव से हरकत में आए चर्च बीजेपी की तरफ हाथ बढ़ाने लगे हैं। खबरों के मुताबिक साइरो मालाबार कैथोलिक चर्च के पादरी मेजर आर्कबिशप हाल ही में तिरुवनंतपुरम स्थित राजभवन के एक कार्यक्रम में राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान से मिले थे। राज्यपाल ने आर्कबिशप को इस मौके पर मिजोरम के पूर्व राज्यपाल एवं बीजेपी केरल यूनिट के प्रेसिडेंट एस श्रीधरण पिल्लई द्वारा ‘Justice for All, Prejudice to None’ शीर्षक के अंतर्गत लिखी गई किताब भी उपहार स्वरूप दी थी।

यही नहीं, पिछले महीने ही में चर्च के नेताओं ने पिल्लई को रात्रिभोजन में आमंत्रित कर मुस्लिमों के बढ़ते प्रभाव को लेकर गंभीर चर्चा की थी और अपनी असल चिंताएं जाहिर की थीं। उन्होंने इस मामले पर पीएमओ तक अपनी शिकायत दर्ज कराने की गुजारिश की थी। दरअसल, ईसाई नेता इस मामले पर बीजेपी से हस्तक्षेप करने की गुहार लगा रहे हैं।

केरल में मुस्लिम समुदाय का प्रभाव बढ़ रहा है, सेंटर फॉर डेवलपमेंट में प्रोफेसर K C Zachariah के अध्ययन में यह बात सामने भी आईं है कि 2050 तक मुस्लिम आबादी बढ़कर राज्य में 35 फीसदी हो जाएगी। यही कारण है कि लव जिहाद न केवल हिंदू समुदाय बल्कि ईसाई लड़कियों के साथ भी किया जा रहा है। मुस्लिमों के बीच कांग्रेस समेत मुस्लिम लीग,एलडीएफ सभी लोकप्रिय हैं। ऐसे में केरल का ईसाई समुदाय बीजेपी से मदद मांगने पहुंच चुका है। जिसमें लाभ बीजेपी का ही है और इतने बड़े ईसाई वोट बैंक का मोह भंग होने से अब यहां बीजेपी के अलावा सभी पार्टियों को नुकसान उठाना पड़ेगा।

केरल की राजनीति में 40 प्रतिशत के करीब ईसाई और मुस्लिम वोट बैंक है। ऐसे में सभी पार्टियां मुस्लिमों पर दांव लगाती हैं। ईसाईयों को बदले में बस प्रताड़ना मिलती है। ऐसे में बीजेपी के पास इस वोट बैंक को हासिल करने का सुनहरा मौका है, और बीजेपी इस मौक़े को हाथों-हाथ लेना चाहती है। इसीलिए बीजेपी इन ईसाई समुदाय की मांगों को गंभीरता से ले रही है जो कि कांग्रेस के लिए एक सवाल है कि उसके गढ़ में परेशान लोग अगर बीजेपी का रुख करना लगे हैं तो ये गढ़ भी अब खतरे में ही है।

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