क्या नीतीश CM पद से इस्तीफा देकर , बिहार में नए सिरे से चुनाव की मांग कर सकते हैं?

बिहार की राजनीति में बहुत कुछ बदलने वाला है

आया राम गया राम

बिहार में हाल ही में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों के बाद बीजेपी के लिए एनडीए के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार मुश्किलें खड़ी कर रहे हैं। एक तो वो बीजेपी के जनाधार वाले दूसरे राज्यों में जाकर भी स्थिति को कमजोर करने की नीति पर काम कर रहे हैं तो दूसरी तरफ बीजेपी को धमकी दे रहे हैं कि उन्हें सीएम पद की कोई अभिलाषा नहीं है। ऐसी नीतियों के साथ पूरे पांच साल सरकार चलाना दोनों के लिए ही मुश्किल है और ये जल्द ही मध्यावधि चुनावों का कारण बन सकता है।

नीतीश कुमार उस दिन से बीजेपी से खफा है जब बीजेपी ने अरुणाचल प्रदेश के 6 जेडीयू विधायकों को अपनी पार्टी में शामिल कर लिया था। ऐसी स्थिति में बीजेपी पर जेडीयू के महासचिव और राज्यसभा सांसद केसी त्यागी समेत जेडीयू के कुछ नेता हमलावर हैं। जिसके बाद हाल ही में पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता संजय पासवान ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से गृह विभाग की जिम्मेदारी छोड़ने की बात कह दी थी जो नीतीश को चुभ गई है। ऐसे में अब नीतीश भाजपा को धमकियां देने की नीतियों पर काम कर रहे हैं।

नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद और कथित दबाव की स्थितियों पर कहा, “मेरी मुख्यमंत्री बनने की कोई इच्छा नहीं थी। मैंने कहा था कि जनता ने अपना जनादेश दिया है और किसी को भी मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है। भाजपा अगर चाहे तो अपना मुख्यमंत्री बना सकती है।” नीतीश कुमार नहीं चाहते हैं कि उनसे बीजेपी के ज्यादा नेता मिलें। इसलिए उन्होंने जेडीयू अध्यक्ष पद छोड़कर आरसीपी सिंह को थमा दिया है। वो अब बेहद ही चुनिंदा नेताओं और मंत्रियों से मुलाकात कर रहे हैं जो कि उनकी सरकार चलाने को लेकर उदासीनता को प्रदर्शित करता है।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दरअसल अब कमज़ोर जनसमर्थन के कारण असहज हो गए हैं, लेकिन ऐसी स्थिति में भी वो बीजेपी को हेकड़ी दिखाना चाहते हैं, लेकिन उनकी पार्टी के पास इतनी सीटें भी नहीं हैं कि वो हेकड़ी दिखा सके। इसलिए समय-समय पर ये मुख्यमंत्री के पद  की इच्छा न होने का कार्ड खेलते रहते हैं जिससे बीजेपी के लिए स्थिति नकारात्मक हो जाए और वो सरकार गिरने पर एक शहीद प्रतीत हों।

बीजेपी के लिए ऐसी स्थिति में सरकार चलाना काफी कठिन हो रहा है, जो कि बीजेपी के गठबंधन से बाहर निकलने की स्थिति है जिससे मध्यावधि चुनाव की उम्मीद उजागर होगी। ऐसे मुश्किल वक्त में राज्य पर दोबारा चुनाव थोपने के पूरे दोषी केवल नीतीश कुमार ही होंगे क्योंकि उनकी सत्ता लोलुपता गठबंधन में असहजता उत्पन्न कर रही है।

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