अराजक किसानों की सरकार से अपील, हमसे ही बात करो, देश भर के किसानों का ठेका हमने ही ले रखा है

अब आंदोलनकारी किसान कर रहे हैं कानून के समर्थक किसानों का भी विरोध

किसानों

(pc-the indian express)

किसान आंदोलन के नाम पर अराजकता फैला रहे पंजाब हरियाणा के किसानों की बेबुनियाद मांगें किसी से छिपी नहीं है। इन लोगों की कृषि कानूनों को पूरी तरह से रद्द करने की मांग असल में एक ढकोसला है। पूरे देश के अन्य किसान और उनके संगठन मोदी सरकार के समर्थन में भी उतर आए हैं, जिसके चलते अब ये आंदोलन करने वाले पंजाब के 40 किसान संगठन केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं कि अन्य किसी भी किसानों के संगठन से बात करके हमारे आंदोलन को बदनाम न किया जाए, जो असल में अब इन लोगों की घबराहट को दर्शाता है।

दरअसल, संयुक्त किसान मोर्चा के अंतर्गत आने वाले 40 किसान संगठनों ने केंद्रीय कृषि मंत्रालय के सचिव विवेक अग्रवाल को पत्र लिखा है। इसमें कहा गया है कि सरकार देश के अन्य किसी भी किसान संगठन से बातचीत न करे। उनका कहना है कि इस तरह की समानान्तर बातचीत से हमारे आंदोलन को बदनाम किया जा रहा है। संगठन के ही नेता धर्म पाल ने लिखा है कि सरकार द्वारा जो भी कानून में बदलाव के प्रस्ताव दिए गए थे वो हम सभी ने अस्वीकार कर दिए हैं।

पत्र में मांग की गई है कि किसान अब इस कानून को रद्द करने पर अडिग हैं और जब तक सरकार इसपर फैसला नहीं लेती है तब तक ये लोग यूं ही आंदोलन जारी रखेंगे। उनका कहना है कि जो भी बात की जाए वो उनसे ही की जाए क्योंकि दूसरे संगठनों से बातचीत करने से हमारा संगठन बदनाम हो रहा है।

किसानों की ये चिंता लाज़मी है क्योंकि एक तो ये आंदोलन हाईजैक हो गया है, जिसके चलते यहां खालिस्तानी समर्थकों से लेकर मोदी विरोध की नौटंकियां शुरू हो गईं हैं। यही नहीं, पंजाब-हरियाणा के अलावा पूरे देश का किसान इनको समर्थन नहीं दे रहा है। इसके इतर आए दिन देश के अन्य राज्यों के किसान केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर से मिलकर कृषि कानूनों का समर्थन कर रहे हैं, साथ ही नरेंद्र सिंह तोमर को धमकी भी दी है कि यदि यह कानून किसी अराजक तत्वों के दबाव में आकर रद्द किए गए तो कानून के समर्थक यह किसान सड़कों पर उतर आएंगे।

हरियाणा, उत्तराखंड, केरल, महाराष्ट्र बिहार सभी प्रमुख राज्यों के किसान पिछले लगभग 10 दिनों से केंद्रीय कृषि मंत्री से मिल चुके हैं। जैसे-जैसे पूरे देश में इन कानूनों का किसानों द्वारा समर्थन सामने आ रहा है, वैसे-वैसे मोदी सरकार की ताकत मजबूत हो रही है, अन्य राज्यों के किसानों का समर्थन अब इन अराजक किसानों को असहज कर रहा है।

किसानों के समर्थन से मोदी सरकार अब धीरे-धीरे मुखर हो रही है, तो इन किसानों के अराजक आंदोलन की प्रासंगिकता खत्म होती जा रही है और इसीलिए अब ये खुलकर यह मांग कर रहे हैं कि पंजाब के किसान संगठनों से ही आंदोलन के मुद्दे पर बात की जाए और अन्य सभी किसानों और किसान संगठनों से बातचीत रद्द हो।

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