2022 में पंजाब जीतेगी BJP ? BJP विरोधी पार्टियां फर्जी विरोध प्रदर्शन को बढ़ावा देकर ये सुनिश्चित कर रहीं

भाजपा की सफलता का डर इन्हें खाने लगा है!

तेलंगाना भाजपा

New Delhi: BJP president Amit Shah shoes a victory sign after addressing a press conference following party’s victory in the assembly elections, at the party head quarters in New Delhi on Saturday. PTI Photo by Kamal Kishore(PTI3_11_2017_000136B)

पंजाब में किसानों के नाम पर जमकर राजनीति हो रही है। इस मुद्दे पर पंजाब की सभी राजनीतिक पार्टियां बीजेपी को घेर रही हैं, लेकिन इस पूरे प्रकरण के कारण सबसे ज्यादा छवि आम आदमी पार्टी की ही खराब हो रही है। पिछले चुनावों में भी खालिस्तानी समर्थकों के कारण इस पार्टी की भद्द पिटी थी, और कुछ ऐसा ही पार्टी एक बार फिर कर रही है। पंजाब का भी एक बड़ा वर्ग जानता है कि ये आंदोलन राजनीतिक है। ऐसे में वो भी इन सभी राजनीतिक पार्टियों से नाराज हैं। ऐसी स्थिति में 2022 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी इन सभी के लिए सबसे विश्वसनीय विकल्प बनकर उभरेगी, जो कि पंजाब की राजनीति में एक नया अध्याय जोड़ेगा।

विस्तार की कवायद

पंजाब की राजनीति में आम आदमी पार्टी ने पिछले चुनावों में खूब मेहनत मशक्कत की थी। अरविंद केजरीवाल पगड़ी पहनकर पंजाब की गलियों में घूम रहे थे, लेकिन उनको किसी का साथ नहीं मिला और कई सीटों पर तो आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार की जमानत तक जब्त हो गई। ऐसे में किसान आंदोलन के जरिए पंजाब की राजनीति में आम आदमी पार्टी एक मौका देख रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल तो ख़ुद सिंघु बॉर्डर पर जाकर किसानों को समर्थन दे चुके हैं। आम आदमी पार्टी के नेता और पार्षद किसानों के खाने-पीने से लेकर सभी तरह की सहूलियतों का ध्यान रख रहे हैं, क्योंकि उन्हें लगता है कि इसका लाभ उन्हें दो साल बाद होने वाले विधानसभा चुनाव में मिलेगा।

संदेहास्पद है आंदोलन

जिस आंदोलन में ख़ालिस्तान के समर्थन में नारे लग रहे हैं, जहां ट्रैक्टरों में खालिस्तानी पोस्टरों के साथ एके-47 बंदूकों की तस्वीरें चस्पा हों। वो खुद साबित करता है कि इन चंद किसानों के आंदोलन को राजनीतिक बनाया गया है, जो कि पूर्णतः फर्जी है। इसमें कोई शक नहीं है कि कांग्रेस ने राजनीतिक मंशाओं के चलते इस आंदोलन को हवा दी है, और जब वो देश विरोधी दिखने लगा तो अब पंजाब के ही सीएम इस मुद्दे का गृहमंत्री अमित शाह से जल्दी हल निकालने का अनुरोध कर रहे हैं।

आप का कटेगा पत्ता

पंजाब में राजनीतिक रूप से कांग्रेस और अकाली दल ही मुख्य राजनीतिक पार्टी हैं। वोट शेयर की बात करें तो कांग्रेस को पिछले चुनावों में 38% अकाली दल को 25% और इतने सालों की मेहनत के बावजूद आम आदमी पार्टी को 23% वोट मिला था। आम आदमी पार्टी इस किसान आंदोलन के जरिए अपना वोट बैंक बढ़ाना चाहती है, लेकिन इस संदेहास्पद किसान आंदोलन से एक बड़ा पंजाबी हिंदू और दलित वर्ग खफा है। इसके चलते उसका वोट इस आंदोलन की प्रायोजक कांग्रेस और अकाली दल जैसी पार्टियों के अलावा अलगाववादी आंदोलन का समर्थन करने वाली आम आदमी पार्टी को नहीं जाएगा।

बीजेपी लाएगी सुनामी

इन परिस्थितियों में जनता के बीच नए विकल्प के रूप में बीजेपी ही होगी। हालांकि, बीजेपी का पंजाब में कोई बड़ा जनाधार नहीं है लेकिन विश्लेषक ये मानते हैं विधानसभा चुनाव में यदि बीजेपी अकेले चुनाव लड़ती तो उसे फायदा होता। बीजेपी के खराब प्रदर्शन को अकालियों के प्रति जनता की नाराज़गी के तौर पर देखा जाता है। ऐसी स्थिति में बीजेपी 2022 में एक नए विकल्प के रूप में सामने आएगी, जिस पर जनता विश्वास कर सकेगी। जो कि पंजाब की परंपरागत राजनीतिक पार्टियों के लिए खतरा साबित होगी।

बीजेपी से नाराज लोगों का छोटा वोट बैंक कांग्रेस और अकाली दल में बंटेगा और सीधा एक मुश्त हिंदू पंजाबी वोट बीजेपी की झोली में आएगा। इसके जरिए बीजेपी विधानसभा चुनाव में वोटों की एक सुनामी लेकर आएगी। बीजेपी की इस सुनामी में ही फर्जी आंदोलन करने वाली अकाली दल और कांग्रेस जैसी राजनीतिक पार्टियों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी, और इस आंदोलन से अपना राजनीतिक शो रूम खोलने की तैयारी में लगे अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी का पंजाब की राजनीति में अस्तित्व खत्म हो जाएगा।

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