नेहरू का बिगाड़ा, मोदी ने संवारा- DRDO अब बदल चुका है और यह भारत के लिए बेहद अच्छा है

PC: DRDO

ऐसा लग रहा है कि पंडित नेहरू के जमाने से अपनी सुस्ती और सफलता से अधिक असफलता के लिए मशहूर DRDO अब जाग चुका है और उसमें अब एक नई ऊर्जा दिखाई दे रही है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन यानि DRDO की स्थापना 1958 में “भारत की रक्षा सेवाओं को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी प्रणालियों और संसाधनों से लैस करके एक निर्णायक बढ़त प्रदान करने” की दृष्टि से की गई थी, जो पिछले 65 वर्षों में कभी पूरा नहीं हुआ।

अब ऐसा लग रहा है कि DRDO अपनी स्थापना के 65 वर्षों बाद अपने विजन पर सफल होता दिखाई दे रहा है। परंतु ऐसा क्या बदला जिससे अचानक से यह संस्थान भारत को डिफेंस क्षेत्र में ताकतवर बनने की ओर अग्रसर हो रही है। यह और कुछ नहीं बल्कि मोदी सरकार द्वारा DRDO की पेंच टाइट करने और जवाबदेही तय करने के कारण हुआ है।

रिपोर्ट के अनुसार रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) को एयर इंडिया द्वारा संचालित 6 एयरबस A320 जेट को रडार और सेंसर के साथ संशोधित कर उन्हें भारतीय वायु सेना के लिए एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल विमानों में बदलने के लिए मंजूरी दे दी गई है।

DRDO ने सशस्त्र बलों के लिए एंटी-ड्रोन सिस्टम तैयार किया है, यही नहीं इसी ड्रोन किलर को पीएम मोदी की सुरक्षा के लिए भी लगाया जाएगा।

पिछले कुछ महीनों की बात करें तो चीन के साथ सीमा पर तनाव के बाद से भारत ने पिछले 45 दिनों में 12 मिसाइलों का सफल परीक्षण किया है। ये सभी परीक्षण डिफेंस रिसर्च ऐंड डेवेलपमेंट ऑर्गनाइजेशन द्वारा बनाए गए मिसाइलों का ही किया गया। बैलिस्टिक मिसाइल ‘शौर्य’, ऐंटी-रेडिएशन मिसाइल ‘रुद्रम’, स्टैंड-ऑफ ऐंटी-टैंक (SANT) मिसाइल से लेकर पृथ्वी -2 मिसाइल और ब्रह्मोस तक का परीक्षण किया गया था।

जब से DRDO की स्थापना हुई है तब से देखा जाए तो इसकी सफलता से असफलता की लिस्ट अधिक लंबी चौड़ी है। DRDO का रिकॉर्ड भी HAL की भांति सुस्ती, आपूर्ति में देरी और असफलता से भरा पड़ा है। उदाहरण के लिए लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (ICA) प्रोजेक्ट, 2001 में चालू किया गया था जिसमें 20 वर्ष से अधिक की देरी हो चुकी है। ICA के लिए कावेरी इंजन के विकास में भी 20 वर्ष से अधिक की देरी हुई है। वर्ष 2011 में, नियंत्रक और महालेखा परीक्षक ने DRDO की क्षमताओं पर एक गंभीर प्रश्न चिह्न लगाया था।

जब सरकार बदली और वर्ष 2014 में NDA की सरकार बहुमत के साथ आई तो DRDO की असफलता को देखते हुए पीएम मोदी ने इसे सुधारने का जिम्मा स्वयं लिया और इस संस्थान की पेंच टाइट की। उस दौरान कई नौसैनिक जहाजों मध्यम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल SAM और Advanced Light Towed Array Sonars (ALTAS) सिर्फ DRDO की असफलता के कारण नहीं लगाया गया था। आईएनएस कोलकाता को भी लंबी दूरी के SAM सिस्टम और ALTAS के बिना ही कमीशन किया गया था।

इससे पीएम मोदी बेहद नाखुश हुए थे और DRDO को नोटिस दे दिया था। सरकार ने रक्षा में 49% एफडीआई को मंजूरी देने के साथ, पीएम ने उस अकर्मण्य संगठन को निजी क्षेत्र से प्रतिस्पर्धा के लिए स्वरूप देने और संगठन की एक विस्तृत समीक्षा करने के लिए कहा था। पीएम मोदी ने व्यक्तिगत रूप से DRDO को एक सख्त संदेश देते हुए संगठन के वार्षिक पुरस्कार समारोह के दौरान अधिकारियों से कहा था कि आप अपने “चलता है” रवैये को छोड़ दें। हालांकि, इस चेतावनी से पहले ही DRDO की सफाई परियोजना शुरू कर दी गयी थी।

DRDO अब सभी सैन्यकरण के लिए वैश्विक निर्भरता को कम करने के लिए स्वदेशीकरण को बढ़ावा देने की ओर अग्रसर है। इसका नमूना हमे तब देखने को मिला जब भारत ने चीन के साथ तनाव बढ़ने के बाद 45 दिनों में 12 मिसाइलों का सफल परीक्षण किया। अब यह संस्थान पटरी पर लौट आया है और जिस काम के लिए इसकी स्थापना की गयी थी उसमें सफल हो रहा है। इसी तरह चलता रहा तो भारत में कई नए डिफेंस तकनीक विकसित किए जाएंगे और भारत इम्पोर्ट के बजाए एक्सपोर्ट पर ध्यान केन्द्रित कर सकेगा।

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